मालविंदर सिंह द्वारा प्रोमोटेड रेलिगेयर इंटरप्राइजेज (आरईएल) ने अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसिप्ट सहित अन्य साधनों के जरिए कुल 1,075 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है।
पूंजी जुटाने के लिए इस्तेमाल होने वाले इन साधनों में विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड, ग्लोबल डिपॉजटरी रिसिप्ट भी शामिल हैं। इस बाबत आरईएल के प्रवक्ता का कहना है कि जुटाई जाने वाली रकम का उपयोग पूंजीगत जरूरतों और फर्म के नेट वर्थ में इजाफे के लिए किया जाएगा।
इसके अलावा बोर्ड ने रेलिगेयर के गैर-जीवन बीमा क्षेत्र में भी उतरने को मंजूरी दे दी है। इस स्वीकृ ति के साथ ही कंपनी ने साझीदारों की तलाश शुरू कर दी है और इस बाबत केपीएमजी ग्रुप को संभावित साझीदार बनाने के आसार ज्यादा हैं। मालविंदर सिंह ने हाल ही में प्रोमोटर परिवार की कुछ हिस्सेदारी जापान के दायची सैक्यो को 19,780 करोड़ रुपये में बेची है। इस पर सिंह का कहना था कि इस पैसे से रेलीगेयर और फॉर्टिस जैसे फर्मों की स्थिति पुख्ता की जाएगी। उनका कहना था कि हमारा मुख्य ध्यान स्वास्थ्य एवं वित्तीय सेवाओं पर ज्यादा रहेगा।
हाल ही में रेलीगेयर के अप्रत्यक्ष सब्सिडयरी ने हाइकैन्स, हैरिसन एंड को. अधिग्रहित किया है। इसके अलावा कंपनी ने सेबी से एक आंतरिक नियम संबंधी स्वीकृति भी हासिल की है। इस स्वीकृति के तहत वह एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी ऐगॉन के साथ आधी-आधी साझेदारी पर काम करेगी। हालांकि इस बाबत कंपनी को अभी अंतिम रूप से लाइसेंस मिलना बाकी है। बात अगर कारोबार की जाए तो रेलिगेयर ने कर अदा करने के बाद कुल 91.97 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है,जो पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 270 फीसदी ज्यादा है। इस प्रकार कंपनी के पीएटी यानी कर चुकाने के बाद के मुनाफे का अंतर कुल 10.26 फीसदी हो गया है।
कंपनी ने डिविडेंड की भी घोषणा की है, जिसके तहत 10 रुपये के अंकित मूल्य के शेयर पर कुल 1.1 फीसदी का डिविडेंड दिया जाएगा। हालांकि कंपनी को इस वित्तीय वर्ष 2007-08 में नुकसान के प्रावधान किए हैं। ये प्रॉविजन इनके सब्सिडयरी रेलीगेयर फिनविस्टे और रेलीगेयर सिक्योरिटीज के लिए बनाए गए थे क्योंकि मार्जिन फंडिंग और ग्राहकों के डिफॉल्ट की संख्या में खासा इजाफा हो रहा था। इस प्रकार इस सब्सिडियरी के लिए प्रॉविजन्स के साथ कं पनी का कुल प्रॉविजन 63 करोड़ रुपये का हो गया है। इससे पहले सबसे ज्यादा प्रॉविजन 23 करोड़ रुपये का था।
मालूम हो कि बाजार गिरने के चलते इस साल की शुरूआत से ही कंपनी का मार्जिन फंड का कारोबार मंदा चल रहा था। इस बीच रिजर्व बैंक ने फोर्टिस कंपनी का ग्रांट सर्टिफिकेट नामंजूर कर दिया है। हालांकि फॉर्टिस ने खुद ही एनबीएफसी लाइसेंस की नामंजूरी के लिए आरबीआई को दरख्वास्त दी थी। इस बारे में कंपनी के एक प्रवक्ता का कहना है कि चूंकि कंपनी अब वित्तीय सेवाओं से तकनीकी सेवाओं की ओर जा रही है, लिहाजा हमने रद्द करने की दरख्वास्त भेजी थी।