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शिक्षा-ऋण के भुगतान पर मंदी की मार

Last Updated- December 11, 2022 | 1:21 AM IST

जिन छात्रों ने अपनी उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण लिया है, वे अब थोड़े सशंकित हो सकते हैं। आर्थिक मंदी को देखते हुए नौकरी मिलना अब उतना आसान नहीं रह गया है।
पहले ही रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो चुका है कि जाने-माने प्रबंधन संस्थानों जैसे इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद और कुछ इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) ने अधिकांश नौकरियों की पेशकश को ज्यादा आकर्षक नहीं समझते हुए प्लेसमेंट की अवधि बढ़ा दी है। इसके अतिरिक्त कई बड़े नियोक्ता सक्रिय नजर नहीं आए।
इस परिस्थिति को देखते हुए ‘अभी पढ़िए, बाद में चुकाइए’ जैसे विचार कम से कम कुछ समय से अपना आकर्षण खो चुके हैं। इसके अलावा, इनमें से कुछ जाने-माने संस्थानों ने शुल्क बढ़ाने का निर्णय किया है। इसलिए, इन संस्थानों के भावी छात्रों के लिए यह सवाल कठिन है कि क्या उन्हें अपने करियर की शुरुआत से पहले ही शिक्षा के लिए महंगा ऋण लेना चाहिए?
हां, बात तो सही है। लेकिन तब है कि एक अच्छा कोर्स करने के बाद यह सुनिश्चित हो जाता है कि नौकरी पाने के लिए आपके पास सबसे अच्छी डिग्री है। इसलिए शिक्षा ऋण को बोझ ना समझें। आइए, जरा देखें कि इस कर्ज को हम किस प्रकार पुनर्गठित कर सकते हैं। शुरुआती लोगों के लिए तीन विकल्प हैं जिससे उनके ब्याज की लागत कम हो सकती है।
तीन तरह की परिस्थितियों में बैंक एक प्रतिशत कम ब्याज लेती है- अगर कर्ज पढ़ाई की अवधि में ही चुका दी जाए, अगर पूरा ब्याज कोर्स की अवधि में चुका दिया जाए और अगर सारे कर्ज का भुगतान कोर्स खत्म होने के एक साल के भीतर या नौकरी मिलने के छह महीने के भीतर कर दिया जाए।
उपरोक्त तीन विकल्प का चुनने का लाभ यह है कि बैंक ऋण लेने वाले से सामान्य ब्याज लेता है। हालांकि, कई छात्र इस तरीके को अपनी मजबूरियों की वजह से नहीं भी अपना सकते हैं। अगर आप भुगतान को लेकर चिंतित हैं तो लागत कम करने के लिए कुछ सामान्य से कदम उठाइए और इस प्रक्रिया को और आसान बनाइए।
अपेक्षाकृत कम ब्याज लागत
यह पता कर लीजिए कि बैंक मासिक आधार पर या तिमाही आधार पर आपसे ब्याज ले रहा है। मतलब यह कि बैंक आपसे ब्याज मासिक या तिमाही आधार पर चुकाने को कह रहा है। आप बैंक से निवेदन करें कि वे ब्याज मासिक आधार की जगह तिमाही आधार पर लिया करें। इस प्रकार, अचानक आए संकट की घड़ी में आप मासिक की जगह प्रत्येक तिमाही अपने ब्याज का भुगतान करेंगे। यह अपेक्षाकृत थोड़ी राहत देगा।
दूसरे बैंक का रुख करें
अगर पहली नीति काम न आए तो आप अपना कर्ज दूसरे बैंक को ट्रांसफर कर सकते हैं जो वार्षिक की जगह दैनिक आधार पर घटती राशि पर ब्याज लेता हो। इससे आपको स्पष्ट तौर पर लाभ होगा क्योंकि ब्याज की राशि में कमी आएगी। लेकिन एक बात याद रखिए कि एक बैंक से दूसरे बैंक जाने पर आपको कर्ज की राशि का एक प्रतिशत शुल्क के तौर पर देना होगा।
अपने खर्चे घटाएं
प्रत्येक वर्ष बैंक खर्च के अनुमान के बारे में पूछता है ताकि कर्ज की राशि निर्धारित की जा सके । इस अवसर का लाभ उठाइए और अपने कर्ज की राशि घटाइए। उदाहरण के लिए, कर्ज का इस्तेमाल किताबें खरीदने, टयूशन फीस, परीक्षा शुल्क और होस्टल के शुल्कों के भुगतान में करें। लेकिन, छोटे-छोटे खर्च जैसे पुस्तकालय शुल्क और वार्षिक दिवस पर पहने जाने वाले परिधानों का खर्च इसमें शामिल न करें। दूसरे वर्ष में पढ़ाई के लिए यात्रा के खर्च को अलग ही रखें।
ओवरड्राफ्ट का लाभ उठाएं
जीवन बीमा पॉलिसी, राष्टीय बचत प्रमाणपत्र या जायदाद के बदले बैंक की ओवरड्राफ्ट सुविधा प्राप्त की जा सकती है और इसकी बदौलत शिक्षा ऋण का भुगतान किया जा सकता है। यह एक सस्ता विकल्प है क्योंकि शिक्षा ऋण का ब्याज अपेक्षाकृत अधिक होता है।
आयकर में कटौती का दावा
नौकरी मिलने पर आयकर प्रावधानों का पूरा-पूरा लाभ उठाइए ताकि शिक्षा ऋण पर हुए खर्च की थोड़ी-बहुत भरपाई हो सके। उदाहरण के लिए, शिक्षा ऋण के लिए किए गए ब्याज का भुगतान का दावा आयकर अधिनियम की धारा 80ई के तहत प्रत्येक वर्ष किया जा सकता है। यह प्रक्रिया आठ वर्षों तक जारी रह सकती है। पहले इसके तहत कोई व्यक्ति 40,000 रुपये कादावा कर सकता था।
लेकिन अब लोन चुकाने की शुरुआत के साथ ही आप इसका लाभ उठा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर लोन भुगतान की अवधि जून 2008 से शुरू हुई है तो छूट का दावा साल 2014-15 तक किया जा सकता है।
दूसरे प्रावधान के तहत माता-पिता अपने बच्चे के शिक्षा ऋण पर चुकाए गए ब्याज के एवज में आयकर में छूट का दावा कर सकते हैं वह भी सात वर्षों तक। पहले ऐसा नहीं था। अब पत्नी भी अपने पति का शिक्षा ऋण चुका कर आयकर में छूट का दावा कर सकती है।

First Published - April 20, 2009 | 11:15 AM IST

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