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RBI के नए नियमों से NBFCs और माइक्रोफाइनेंस को राहत, लेकिन क्या सस्ते होंगे लोन? पढ़ें ब्रोकरेज की रिपोर्ट

कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले इन नए नियमों का असर बैंकिंग सेक्टर पर व्यापक रूप से पड़ेगा।

Last Updated- March 04, 2025 | 3:27 PM IST
Loan

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ अहम बदलाव किए हैं, जिनसे बैंकों को राहत मिलेगी और माइक्रोफाइनेंस व NBFCs (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) को फंड जुटाने में आसानी होगी। कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले इन नए नियमों का असर बैंकिंग सेक्टर पर व्यापक रूप से पड़ेगा।

NBFCs और माइक्रोफाइनेंस के लिए राहत

पहले RBI ने माइक्रोफाइनेंस लोन को जोखिम भरा मानते हुए 125% का जोखिम भार (Risk Weight) तय किया था, जिससे बैंकों को इस तरह के लोन देने में हिचकिचाहट हो रही थी। अब इस जोखिम भार को घटाकर 100% कर दिया गया है, जिससे बैंकों के लिए माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को कर्ज देना थोड़ा आसान हो जाएगा।

इसी तरह, NBFCs के लिए भी बड़ी राहत आई है। नवंबर 2023 में RBI ने NBFCs को दिए जाने वाले कर्ज पर 25% अतिरिक्त जोखिम भार जोड़ दिया था, जिससे बैंक उन्हें कर्ज देने से बच रहे थे। अब यह अतिरिक्त जोखिम भार हटा दिया गया है, जिससे NBFCs को बैंकों से कर्ज लेने में आसानी होगी।

ब्रोकरेज फर्म का क्या कहना है?

कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव से सबसे ज्यादा फायदा सरकारी बैंकों को होगा, क्योंकि उनके पास निजी बैंकों की तुलना में कम पूंजी होती है और वे NBFCs को ज्यादा कर्ज देते हैं। हालांकि, निजी बैंक भी इससे लाभान्वित होंगे, लेकिन उनकी स्थिति पहले से ही मजबूत है।

माइक्रोफाइनेंस लोन पर बदलाव का असर सीमित हो सकता है, क्योंकि छोटे वित्तीय बैंक (SFBs) पहले से ही अपने ज्यादातर माइक्रोफाइनेंस लोन को 75% जोखिम भार वाली श्रेणी में रखते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा।

बैंकों की रणनीति क्या होगी?

अब बैंकों के सामने तीन बड़े विकल्प हैं:

  • NBFCs और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को ज्यादा कर्ज देना – इस बदलाव से बैंक अपने ऋण पोर्टफोलियो को फिर से संतुलित कर सकते हैं।
  • जोखिम को पहले से कवर करना – अगर माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में ज्यादा डिफॉल्ट का खतरा दिखता है, तो बैंक पहले से ही इसकी भरपाई के लिए प्रावधान कर सकते हैं।
  • अपनी पूंजी को मजबूत करना – बैंक इस राहत का इस्तेमाल अपने बैलेंस शीट को मजबूत करने में भी कर सकते हैं।

क्या लोन लेना सस्ता होगा?

रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले से पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन पर पहले की तरह ही सख्त नियम लागू रहेंगे। यानी, अनसिक्योर्ड लोन अभी भी महंगे रहेंगे।

आगे क्या?

कोटक की रिपोर्ट बताती है कि RBI धीरे-धीरे बैंकों को फिर से कर्ज बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रहा है। हाल ही में लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR), अपेक्षित क्रेडिट लॉस (ECL), और प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग से जुड़े नियमों में भी राहत दी गई है। हालांकि, पूरी बैंकिंग व्यवस्था को पटरी पर आने में अभी कुछ समय लग सकता है, क्योंकि बैंकों के लिए डिपॉजिट (जमा राशि) जुटाना अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।

कुल मिलाकर, RBI के इस फैसले से बैंकों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी, लेकिन यह कोई बड़ी क्रांति नहीं है। NBFCs और माइक्रोफाइनेंस कंपनियां इससे राहत महसूस करेंगी, लेकिन बैंक अभी भी बहुत तेजी से कर्ज देने की स्थिति में नहीं हैं। निवेशकों और कर्ज लेने वालों के लिए सबसे बड़ा सवाल यही रहेगा कि क्या इससे लोन सस्ते होंगे? इस पर अभी कुछ समय इंतजार करना होगा।

First Published - March 4, 2025 | 3:25 PM IST

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