वित्त-बीमा

RBI जल्द जारी करेगा नए शहरी सहकारी बैंकों के लाइसेंस पर चर्चा पत्र

आरबीआई की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में यूसीबी का फाइनैंशियल प्रोफाइल बेहतर हुआ है

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अभिजित लेले   
Last Updated- October 01, 2025 | 10:19 PM IST

अर्बन कोऑपरेटिव बैंकिंग (यूसीबी) क्षेत्र के प्रति अपने रुख में बदलाव का संकेत देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही इस क्षेत्र में नए बैंकों के लाइसेंस पर चर्चा पत्र जारी करेगा। वर्ष 2004 से शहरी सहकारी बैंकों के सेक्टर की खराब वित्तीय स्थिति के कारण नए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया रोक दी गई थी।

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने अपने मौद्रिक नीति संबं​धित भाषण में कहा कि पिछले दो दशकों में इस क्षेत्र में हुई सकारात्मक गतिविधियों और हितधारकों की बढ़ती मांग को देखते हुए नियामक ने इस विषय पर सार्वजनिक चर्चा पत्र का प्रस्ताव दिया है।

आरबीआई की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में यूसीबी का फाइनैंशियल प्रोफाइल बेहतर हुआ है। महामारी के बाद की अवधि में उनकी पूंजी की स्थिति लगातार मजबूत हुई है। इसमें पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) मार्च 2023 के 16.5 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 17.5 प्रतिशत और मार्च 2025 में 18.0 प्रतिशत हो गया है।

शहरी सहकारी बैंकों की परिसंप​त्ति गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। शुद्ध फंसे कर्ज (एनपीए) मार्च 2024 और मार्च 2023 के 2.8 प्रतिशत से घटकर मार्च 2025 में 0.6 प्रतिशत रह गए है। प्रावधान कवरेज रेशियो (पीसीआर) मार्च 2024 में 70.1 प्रतिशत और मार्च 2023 में 77.9 प्रतिशत था जो बढ़कर मार्च 2025 में 91 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट से पता चलता है कि मार्च 2023 में 0.55 प्रतिशत की तुलना में मार्च 2024 में 0.8 प्रतिशत के मुकाबले मार्च 2025 में उनका परिसंप​त्ति पर वार्षिक रिटर्न (आरओए) 0.7 प्रतिशत रहा।

नए यूसीबी शुरू करने के लिए लाइसेंस की योजना का समर्थन करते हुए आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे ने कहा कि प्रदर्शन और फाइनैंशियल प्रोफाइल में सुधार के अलावा यूसीबी ने नियामकीय मानकों और प्रणालियों के अनुपालन में व्यापक सुधार दिखाया है। अब ऐसे दबावग्रस्त यूसीबी की संख्या कम है जिनमें टर्नअराउंड की जरूरत है। आरबीआई का पर्यवेक्षण तेज और सक्रिय है। देश में बड़ी संख्या में नए शहरी केंद्र उभर रहे हैं, जिन्हें परिवारों और सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों की आवश्यकता है। मराठे ने कहा, ‘हमें एंट्री लेवल के मानकों (नए लाइसेंस से संबंधित) पर ध्यान देना होगा।’

नैशनल अर्बन कोआपरेटिव फाइनैंस ऐंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनयूसीएफडीसी) के मुख्य कर्याधिकारी प्रभात चतुर्वेदी ने कहा कि यह वित्तीय समावेशन मजबूत बनाने, ऋण प्रवाह बढ़ाने और देश के वित्तीय तंत्र में यूसीबी की स्थिरता और विश्वसनीयता को मजबूत बनाने की दिशा में अहम कदम है।

First Published : October 1, 2025 | 10:10 PM IST