RBI barred Edelweiss group’s 2 Companies: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज एडलवाइस समूह (Edelweiss group) की परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी (asset reconstruction company/ARC) को वित्तीय परिसंपत्तियां एवं सिक्योरिटी रिसीट (SR) लेने से रोक दिया। आरबीआई ने समूह की गैर-बैंकिंग वित्तीय इकाई ईसीएल फाइनैंस (ECL Finance) को अपने सामान्य कामकाज के दौरान पुनर्भुगतान अथवा खातों को बंद करने के अलावा थोक निवेश वाला कोई भी लेनदेन करने से रोक दिया।
एडलवाइस ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी (EARC) को मौजूदा एसआर को वरिष्ठ एवं अधीनस्थ श्रेणियों में पुनर्गठित करने से भी रोक दिया गया है। आरबीआई ने समूह पर जो आपत्ति जताई है उन्हें दूर करने के प्रयासों से यदि केंद्रीय बैंक संतुष्ट हो जाता है तो इन प्रतिबंधों पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
नियामक ने इस कार्रवाई के लिए बुनियादी चिंताओं का हवाला देते हुए कहा है कि डूबते ऋण को बरकरार रखने के लिए समूह की कंपनियों द्वारा साथ मिलकर काम किए जाने से चिंता पैदा होती है।
आरबीआई ने कहा, ‘यह कार्रवाई पर्यवेक्षी जांच के दौरान दिखी चिंताओं पर आधारित है। ये चिंताएं ईसीएल के डूबते ऋण को बरकरार रखने के लिए समूह की कंपनियों द्वारा साथ मिलकर काम करने के आचरण से उत्पन्न होती हैं। इसके तहत ईएआरसीएल एवं संबंधित एआईएफ के प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए ईसीएल के दबावग्रस्त ऋण को बरकरार रखने के लिए नियमों को नजरअंदाज किया जा रहा है।’
एडलवाइस एआरसी आरबीआई में पंजीकृत एक बड़ी परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी है। उसकी कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) मार्च 2024 के अंत में 31,590 करोड़ रुपये थीं, जो एक साल पहले की 37,100 करोड़ रुपये के मुकाबले कम हैं। चौथी तिमाही के दौरान उसने 455 करोड़ रुपये की ऋण परिसंपत्तियां हासिल की। जबकि पूरे वित्त वर्ष 2024 के दौरान उसने 13,187 करोड़ रुपये की ऋण परिसंपत्तियां अर्जित कीं।
ईसीएल फाइनैंस पिछले दो वर्षों से अपने थोक ऋण वाले बहीखाते को घटा रही है। मार्च 2024 तक उसका बहीखाता एक साल पहले के मुकाबले 42 फीसदी घटकर 4,150 करोड़ रुपये रह गया था। पिछले दो वर्षों के दौरान उसके बहीखाते में उल्लेखनीय कमी आई है जो मार्च 2022 के अंत में 10,370 करोड़ रुपये था। कंपनी मार्च 2026 तक उसे और घटाकर 1,500 करोड़ रुपये तक लाना चाहती है। फिलहाल कंपनी खुदरा ऋण कारोबार पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
आरबीआई ने कहा कि ईसीएल के मामले में पर्यवेक्षी आपत्तियों में आहरण शक्ति की गणना के लिए अपने ऋणदाताओं को पात्र बुक डेट का गलत विवरण प्रस्तुत करना, शेयरों के बदले ऋण देने के लिए मूल्य संबंधी मानदंडों का अनुपालन न करना, सेंट्रल रिपॉजिटरी फॉर इन्फॉर्मेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स सिस्टम (सीआरआईएलसी) को गलत जानकारी देना और अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) दिशानिर्देशों का पालन न करना शामिल है। ईसीएल पर समूह की अन्य कंपनियों के साथ उचित तालमेल न रखने का आरोप लगाया गया है।
एडलवाइस समूह ने आरबीआई की कार्रवाई पर टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया।