भारत में राज्य स्वास्थ्य बीमा योजनाएं सफल न हो सकी। वर्ष 2004 में शुरू की गई यूनिवर्सल हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम (यूएचआईएस) के बाद केंद्र सरकार ने दो अक्टूबर 2007 को गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवारों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) शुरू की जो यूएचआईएस की तुलना में बेहतर है।
750 करोड़ रुपए की आरएसबीवाई असंगठित क्षेत्र के छह करोड़ मजदूरों को सुरखा कवर मुहैया कराने वाली है और बीमाकर्ता इसकी संभावनाओं को लेकर उत्साहित हैं। केंद्र सरकार ने प्रत्येक पांच लोगों के परिवार के लिए 750 रुपए का सालाना प्रीमियम तय कर दिया है। इस योजना के तहत सम एश्योर्ड 30,000 रुपए है। सरकार प्रीमियम का 75 प्रतिशत देगी और राज्य सरकार शेष प्रीमियम के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी।
पॉलिसीधारक को प्रीमियम के तौर पर साल में केवल 30 रुपए देने होंगे। चार सरकारी साधारण बीमा कंपनियों को यूएचआईएस योजना के पेशकश की अनुमति दी गई लेकिन आरएसबीवाई योजना के लिए निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों को भी आमंत्रित किया गया है। राज्य सरकार एक साल के लिए यह ठेका सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को देगी। इसके बाद केंद्र सरकार के साथ यह सुनिश्चित करने के लिए एक समझौता किया जाएगा कि केंद्र सरकार के कोष से राज्य सरकार के कोष तक इस निमित्त फंड का प्रवाह बना रहेगा।
पांच राज्यों- दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केरल में निविदा की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। उत्तर प्रदेश और केरल की बोलियां अभी खुली नहीं है। दिल्ली में आरएसबीवाई का क्रियान्वयन सरकारी साधारण बीमा कंपनी ओरियंटल इंश्योरंस द्वारा किया जा रहा है और हरियाणा और राजस्थान में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी साधारण बीमाकर्ता कंपनी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड इस योजना को क्रियान्वित करने में लगी है। आरएसबीवाई ने निजी बीमाकर्ताओं की भागीदारी को अर्थक्षम बनाया है।
यूएचआईएस प्रीमियम दर एक समान बने रहने की वजह से विकृति का शिकार हो गया। बीमाकर्ताओं के अधिग्रहण-मूल्य के अधिक होते हुए भी आरएसबीवाई का मूल्य अनुकूल है। राज्य सरकारों को अपने मूल्य के हिसाब से पॉलिसी लिखने का अधिकार है और वे पॉलिसी की आवश्यक विशेषताओं को बढ़ा भी सकते हैं।
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के सरकारी समाधान के प्रमुख संजय पांडे ने बताया, ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों, अन्य द्वितीयक स्रोतों जैसे गैर सरकारी संगठनों के आंकड़े और स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में अपने अनुभव के आधार पर लोगों के हेल्थ प्रोफाइल के अनुसार एक्चुरियल विधि से हमने दो राज्यों के लिए प्रीमियम तय किया है।’ आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने राजस्थान के लिए प्रति व्यक्ति सालाना 573 रुपए और हरियाणा के लिए 582 रुपए के प्रीमियम पर यह बोली जीती।
ओरियंटल इंश्योरेंस यह योजना 590 रुपए प्रति परिवार के प्रीमियम पर उपलब्ध करा रही है। हालांकि ये सब प्रीमियम सरकार के संकेतिक प्रीमियम 750 रुपए से कम है।
पांडे ने कहा, ‘स्वास्थ्य बीमा एक उभरता हुआ बाजार है। कवर किए गए लोगों के जोखिम प्रोफाइल, अस्पताल की प्रक्रिया के मूल्यों और शुल्कों का तय किया जाना, इलाज का विधि-विधान और अस्पताल में ठहरना आदि इसमें शामिल हैं।’
आरएसबीवाई योजना यूएचआईएस की खामियों को समाप्त कर देता है। यूएचआईएस योजना के तहत पहले से वर्तमान बीमारियों को कवर नहीं किया जाता था और इसके तहत मातृत्व का लाभ भी नहीं दिया जाता था जो बीपीएल योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके तहत अस्पताल के खर्चों को वापस कर दिया जाता था, यह कोई कैशलेस योजना नहीं थी। आरएसबीवाई योजना के तहत एक बीपीएल के अंतर्गत आने वाला रोगी जरुरत पड़ने पर कैशलेस सुविधा का लाभ उठा सकता है।
कैशलेस लेन देन को बढ़ावा देने के लिए बीमाकर्ताओं ने उन वेंडरों से गठजोड़ करना शुरू किया है जो पॉलिसीधारकों को बायोमेट्रिक कार्ड उपलब्ध करा सकेंगे।आईसीआईसीआई के पांडे कहते हैं, ‘हरियाणा और राजस्थान में इस कार्ड के लिए हमने फाइनैंशियल इंफॉर्मेशन नेटवर्क ऐंड ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड से समझौता किया है और दक्षिण के राज्यों के लिए हम दो वेंडरों से गठजोड़ करेंगे जिनकी स्थिति दक्षिण में मजबूत है।’ इस कार्ड की कीमत 125 रुपए होगी जिसमें से 60 रुपए का भुगतान केन्द्र सरकार करेगी। शेष राशि को प्रीमियम में समायोजित किया जाएगा। तब थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर की मदद नहीं ली जाएगी और इस पूरी प्रक्रिया में उनके लिए कोई जगह नहीं होगी।
बायोमेट्रिक कार्ड में लगे चिप में पॉलिसीधारक की सारी सूचनाएं होंगी जैसे पॉलिसी में क्या-क्या सम्मिलित हैं, कवर की राशि क्या है, किन लाभों को सम्मिलित किया गया है, लाभ प्राप्त कर्त का नाम और बीमारियां और कवर की गई बीमारियों के लिए शुल्क। बीमाकर्ता स्थानीय अस्पतालों से गठजोड़ करेंगे जहां स्मार्ट कार्ड रीडर लगा होगा। स्मार्ट कार्ड रीडर जिसकी कीमत 10,000 रुपए है का वहन अस्पताल द्वारा किया जाएगा। यह कार्ड प्रामाणिक लेन देन सुनिश्चित करेगा क्योंकि यह रोगी के फिंगर प्रिट के आधार पर पहचाना जाएगा।
एक तरफ जहां केंद्र सरकार प्रीमियम के एक हिस्से का वहन करेगी वहीं यह भी सुनिश्चित करने की जरुरत है कि राज्य सरकार आरएसबीवाई योजना के शेष हिस्से के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी। यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के उप महाप्रबंधक के सनत कुमार ने जानकारी दी कि यूएचआईएस को उतना समर्थन नहीं मिल पाया और बीमाकर्ताओं को निजी तौर पर कोष की व्यवस्था करनी पड़ रही थी।
ओरियंटल इंश्योरेंस के मुख्य प्रबंध निदेशक भी सनत कुमार की बातों का समर्थन करते हैं। कुमार कहते हैं, ‘किसी राज्य ने यूएचआईएस को बढ़ावा नहीं दिया क्योंकि सभी राज्य ज्यादा विस्स्तृत कवर चाहते थे। यही कारण है कि केंद्र सरकार आगे आई और आरएसबीवाई को लांच किया।’
आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस ने वर्ष 2006-2007 में 1,260 लाख ग्रामीण लोगों का बीमा किया था जिनमें से 400 लाख भारतीय लोगों का बीमा विभिन्न राज्य स्वास्थ्य एवं व्यक्तिगत दुर्घटना योजनाओं के तहत किया गया था। उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि गरीबों के लिए चिकित्सा बीमा की ऐसी योजनाएं चल निकलेंगी अगर रिकॉर्ड के मामले में पारदर्शिता बरती जाए।
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के उपाध्यक्ष (स्वास्थ्य) ने बताया, ‘अभी बीमाकर्ताओं को स्वास्थ्य बीमा पर होने वाले खर्चों का ठीक-ठीक पता नहीं है। सरकार बिना एक्चुरियल अध्ययन किए पिछले रिकॉर्ड के आधार पर चलती है। कई राज्यों में तो बीपीएल परिवारों की कोई पहचान ही नहीं है।’
अगर बीमा उद्योग और सरकार की तरफ से जोखिम की सही तस्वीर सामने आ जाए तो इससे ग्रामीण बीमा के क्षेत्र में और आरएसबीवाई जैसी योजनाओं में प्रतिभागी बीमा कंपनियों की संख्या बढ़ सकती है।