देश के धनाढ्य लोग निवेश के बेहतर अवसर तलाशने, अपने धन के संरक्षण, जीवन शैली में सुधार और धन सुरक्षा के मकसद से अपने परिवार एवं कारोबार भारत से बाहर स्थानांतरित कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर लोगों में अमेरिका, ब्रिटेन, पुर्तगाल और ग्रीस जैसे देशों के आवासीय वीजा पाने की होड़ दिख रही है। ये सभी देश निवेश के बेहतर मौके उपलब्ध कराते हैं और रियल एस्टेट पर आकर्षक प्रतिफल देने के साथ दूसरे लाभ भी देते हैं।
इस बारे में अमेरिका की निजी निवेश एवं सलाहकार कंपनी एलसीआर कैपिटल पार्टनर्स में वरिष्ठï निदेशक (भारत) शिल्पा मेनन कहती हैं, ‘कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों में आव्रजन कार्यक्रम थम गए थे लेकिन अब अधिक से अधिक परिवार निवास एवं नागरिकता कार्यक्रमों पर विचार कर रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए कई देश बेहतर अवसर मुहैया करा रहे हैं। उपयुक्त देश एवं परियोजना का चयन कर वे अपना मकसद पूरे कर सकते हैं।’ कुछ वर्षों पहले तक भारत में निवेश के लिए लोग ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों का रुख करते थे लेकिन अब यूरोप में निवास के साथ कारोबार करने की तरफ लोगों का रुझान खासा बढ़ा है। वैश्विक निवास एवं नागरिकता नियोजन कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स के मुख्य कार्याधिकारी जुएर्ग स्टीफन कहते हैं, ‘लोगों में ऐसे कार्यक्रमों के प्रति दिलचस्पी की वजह यह है कि बतौर निवेशक वे संप्रभु जोखिम से सुरक्षा पाने के लिए निवास या नागरिकता के वैकल्पिक स्थान खोज रहे हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि कारोबारी गतिविधियों और व्यावसायिक विकास के लिए भारत उम्दा बाजारों में एक है लेकिन धन सुरक्षा के लिहाज से यह उतना सुरक्षित नहीं माना जाता है। भारत कोविड-19 महामारी से केवल वित्तीय संकट का ही सामना नहीं कर रहा है बल्कि इसके वित्तीय संस्थानों को भी धन संरक्षण के लिए पुख्ता एवं दीर्घ अवधि की समाधान योजनाएं पेश करनी होंगी।’
हालांकि इन देशों का रुख करने के लिए लोगों एवं परिवारों को कई कर एवं नियामकीय बाधाओं से गुजरना होगा। इनमें भारत से दूसरे देशों में निवेश ले जाना, कारोबारी मकसद से बार-बार विदेशी यात्राएं करना, भारत में साझा मालिकाना हक वाले कारोबारों पर नियंत्रण रखना, भारत या विदेश में परिवार न्यास बनाना और भारत के कारोबार को विदेश से जोडऩा ऐसी ही कुछ चुनौतियां हैं।
भूटा शाह ऐंड कंपनी में पार्टनर याशीष अशर ने कहा, ‘जब कर एवं नियामकीय पक्षों से तालमेल की बात आती हैं तो झमेले खड़े होने लगते हैं। उदाहरण के लिए जो लोग यूरोप आ चुके हैं वे दूरी और समय सारिणी में अंतर की वजह से भारत में कारोबार पर नियंत्रण नहीं रख पाएंगे। ऐसे धनाढ्य लोगों के लिए भारत से बाहर आर्थिक गतिविधियां स्थानांतरित करने के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र तैयार करना अधिक कारगर विकल्प होगा।’ भारत के नागरिक आव्रजन के बाद तभी प्रवासी भारतीय कहलाएंगे जब वह भारत में 120 दिन से अधिक नहीं रहेंगे।
इसके अलावा उसे नए देश में कर आवास प्रमाणपत्र हासिल करना जरूरी होगा और उसके बाद ही वे भारत से प्राप्त आय से जुड़े संधि लाभों एवं भारत में भुगतान किए कर की भरपाई का दावा कर पाएंगे। अशर कहते हैं, ‘अगर भारत से अर्जित आय 15 लाख रुपये से कम है तो 120 दिनों की शर्त 181 दिन हो जाती है। धनाढ्य निवेशक आय स्रोत भारत से बाहर स्थानांतरित कर रहे हैं ताकि वे तब भी भारत में 181 दिनों तक रहने के लिए पात्र रह सकें।’