वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के केंद्रीय बजट में घोषणा की थी कि भविष्य निधि (पीएफ) में कर्मचारी के सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर 1 अप्रैल से कर लगेगा। बाद में इस सीमा को बढ़ाकर उन मामलों में पांच लाख रुपये कर दिया गया, जिनमें अकेेले कर्मचारी ही योगदान देते हैं, नियोक्ता नहीं।
इन बदलावों का नतीजा यह हुआ है कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) ग्राहक के खाते में अब दो हिस्से होंगे-कर योग्य और गैर-कर योग्य। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर ब्यूरो (सीबीडीटी) ने बुधवार को निर्धारित सीमा से अधिक योगदान पर ब्याज के कर योग्य हिस्से की गणना के लिए नियम 9डी अधिसूचित कर दिया।
लाभों में कमी
पहले ईपीएफ पर ब्याज बिना किसी सीमा के पूरी तरह कर मुक्त था। एनए शाह ऐंड एसोसिएट्स में पार्टनर गोपाल बोहरा ने कहा, ‘बहुत से अति धनाढ्य व्यक्ति (एचएनआई) अपने वेतन का एक अहम हिस्सा ईपीएफ में निवेश करते थे ताकि कर मुक्त ब्याज की ऊंची दर का फायदा उठाया जा सके। सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के लिए आयकर अधिनियम में संशोधन कर दिया।’
कर का कैसे होगा आकलन
यहां यह समझाने के लिए एक उदाहरण दिया जा रहा है कि कैसे योगदान के कर योग्य हिस्से पर देनदारी का आकलन किया जाएगा। एबीसी अपने मूल वेतन का 12 फीसदी ईपीएफ में योगदान देता है, जो 24,000 रुपये प्रति माह या 2.88 लाख रुपये सालाना है। उसका नियोक्ता न्यूनतम अनिवार्य राशि का योगदान देता है, जो 1,800 रुपये प्रति महीना है।
एबीसी का उस साल का ओपनिंग बैलेंस 5.5 लाख रुपये है। उसका 2.5 लाख रुपये का योगदान गैर-कर योग्य होगा, जबकि अतिरिक्त राशि 38,000 रुपये पर कर लगेगा। साल के अंत में उसका गैर-कर योग्य योगदान 8 लाख रुपये होगा। उस पर अगर ब्याज दर 8.5 फीसदी मानते हैं तो उसे 68,000 रुपये ब्याज मिलेगा। कर योग्य हिस्से पर ब्याज 3,230 रुपये मिलेगा। टैक्समैन के उप महाप्रबंधक (डीजीएम) नवीन वाधवा ने कहा, ‘वर्ष 2021-22 में अर्जित इस राशि पर कर्मचारी को आकलन वर्ष 2022-23 में ‘अन्य स्रोतों से आय’ के मद में कर चुकाना होगा।’
अगर ब्याज आय धारा 194ए के तहत 5,000 रुपये की सीमा को पार करती है तो स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) होगी। आरएसएम के संस्थापक सुरेश सुराणा ने कहा, ‘ईपीएफओ उन कर्मचारियों को टीडीएस प्रमाणपत्र भेजेगा, जिनके खातों से कर काटा गया है।’
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत निवेश परामर्शदाता पर्नसलफाइनैंसप्लान के संस्थापक दीपेश राघव ने कहा, ‘टीडीएस काटने के बाद करदाताओं को अर्जित ब्याज से नहीं बल्कि अपनी जेब से शेष कर देनदारी चुकानी होगी।’
आप पर वित्तीय असर
इन संशोधनों के चलते आपको कुछ चीजों पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। विक्टोरियम लीगलिस-एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में प्रबंध साझेदार आदित्य चोपड़ा कहते हैं, ‘सबसे पहले यह तय करें कि क्या 2.5 लाख रुपये या 5 लाख रुपये की सीमा आप पर लागू होगी।’ इससे बहुत कम कर्मचारी प्रभावित होंगे क्योंकि इसके दायरे में अधिक वेतन वाले कर्मचारी ही आएंगे। कर्मचारियों को मूल वेतन कम कराने के लिए अपने वेतन का पुनर्गठन कराने से पहले ठीक से विचार करना चाहिए। राघव ने आगाह किया, ‘ऐसा करने से नियोक्ता का योगदान घट जाएगा, जिस पर अब भी कर छूट है। मूल वेतन से जुड़ा आपका मकान किराया भत्ता (एचआरए) और अन्य हिस्सा भी घट जाएगा।’
हालांकि ऊंचे वेतन वाले कर्मचारियों को स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में अपने योगदान के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए। इस योगदान को रोकने से नियोक्ता का योगदान, एचआरए आदि नहीं घटेंगे। जो लोग 30 फीसदी या ऊंची कर श्रेणी में आते हैं, उनके लिए कर बाद प्रतिफल की दर (2.5 लाख रुपये से अधिक ईपीएफ और वीपीएफ पर) 8.5 फीसदी से घटकर 6 फीसदी से नीचे आ गई है। राघव ने कहा, ‘यह लंबी अवधि का पैसा है, इसलिए इक्विटी म्युचुअल फंड जैसे विकल्पों के बारे में विचार करें।’
आपको सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) के 7.1 फीसदी कर मुक्त प्रतिफल का पूरा फायदा उठाना चाहिए, लेकिन इसमें आप हर साल केवल 1.5 लाख रुपये ही निवेश कर सकते हैं।