सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम एनएमडीसी वैश्विक जिंस बाजारों में आपूर्ति शृंखला पर दबाव का संभावित लाभार्थी है। यूक्रेन और रूस, दोनों ही देश लौह और इस्पात निर्यात क्षेत्र में मुख्य बाजार हैं और मौजूदा युद्घ से आपूर्ति प्रभावित हुई है। दोनों देशों के बीच मौजूदा युद्घ से लौह तथा इस्पात निर्यात में करीब 10 प्रतिशत की कमी आई है।
लौह अयस्क में भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक एनएमडीसी जनवरी से तीसरी बार कीमतें बढ़ाने में सक्षम रही है। हालांकि अयस्क कीमतें वित्त वर्ष 2023 में नरम पड़ सकती है, लेकिन मौजूदा टकराव और प्रतिबंधों से जुड़ी अनिचितताओं की वजह से इसे लेकर किसी समय सीमा का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। अभी भी मध्यावधि कीमतें मजबूत बनी हुई हैं और एनएमडीसी की कीमतें काफी नीचे हैं और अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले ये करीब 40 प्रतिशत नीचे हैं।
एनएमडीसी मूल्य वृद्घि की भी संभावना तलाश रही है, क्योंकि उसका इस्पात संयंत्र जल्द ही शुरू होने की संभावना है। उसकी सहायक इकाई नागरनार आयरन ऐंड इस्पात कंपनी का विलय समाप्त होने सभी भी मूल्यांकन में तेजी आ सकती है, लेकिन अभी इसका इंतजार करना होगा। विलय समाप्त होने से कंपनी खनन इकाई और इस्पात उत्पादक के तौर पर विभाजित हो जाएगी। उसे नए इस्पात संयंत्र में एनएमडीसी शेयरधारकों के लिए शेयर जारी करने की जरूरत होगी। विश्लेषकों का अनुमान है कि एनएमडीसी वित्त वर्ष 2022 में करीब 4.1 करोड़ टन अयस्क का उत्पादन करेगी, जो एक रिकॉर्ड होगा और वित्त वर्ष 2018 में पिछले दशक में यह 3.5 करोड़ टन पर सवाधिक था। इस साल मिश्रित प्राप्तियां करीब 6,680 रुपये प्रति टन होंगी, जो वित्त वर्ष 2021 में 4,663 रुपये प्रति टन थीं। परिचालन खर्च करीब 3,230 रुपये प्रति टन के आसपास होगा, जो पूर्ववर्ती वित्त वर्ष के लिए 2,670 रुपये था। बिक्री वित्त वर्ष 2023 में करीब 5 प्रतिशत बढऩे की संभावना है। एबिटा मार्जिन 20 प्रतिशत के आरओसीई के साथ करीब 39 प्रतिशत है। एनएमडसी मुख्य तौर पर कर्ज-मुक्त है।
कंपनी लगातार लाभांश चुकाने वाली कंपनी है अैर इस वित्त वर्ष में संभावित तौर पर दो अंक में प्रतिफल दिए जाने की संभावना है। उसने अंतरिम लाभांश के तौर पर 14.75 रुपये का भुगतान किया है। उसका ईवी/एबिटा अनुपात 5 के मुकाबले कम है, जो उसके 7 के औसत मूल्यांकन से नीचे है।
प्रबंधन का मानना है कि विलय समाप्त होने की प्रक्रिया मार्च-अप्रैल तक पूरी हो पाएगी और उसके बाद स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्घता में अन्य 2-3 महीने लग जाएंगे। इससे इस्पात संयंत्र का कर्ज नई इकाई एनएसएल को स्थानांतरित होगा और इससे प्रतिफल अनुपात में सुधार आएगा। 30 लाख टन सालाना क्षमता वाले संयंत्र का पूंजीगत कार्य प्रगति पर है।
गिरावट के जोखिमों में लौह अयस्क कीमतों में भारी कमजोरी या खदान पट्टे के नवीकरण के लिए 22.5 प्रतिशत के ऊंचे रॉयल्टी प्रीमियम का आय पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ध्यान देने की बात यह है कि मार्जिन रॉयल्टी वृद्घि की वजह से वित्त वर्ष 2022 की पहली तीन तिमाहियों में प्रभावित हुआ था। यदि विलय समाप्त होने की प्रक्रिया में विलंब होता है तो इससे निवेशकों को निराशा हाथ लगेगी। विभिन्न विश्लेषकों ने इस शेयर के लिए कीमत लक्ष्य 200-125 रुपये के दायरे में रखा है।
