facebookmetapixel
भारत को AI में विश्व नेता बनाना है, लेकिन सहानुभूति भी जरूरी: Mukesh AmbaniEpstein Files: बड़े नाम गायब क्यों, जेफरी एपस्टीन की असली कहानी कब सामने आएगी?दिल्ली एयरपोर्ट पर लो-विजिबिलिटी अलर्ट, इंडिगो ने उड़ानों को लेकर जारी की चेतावनीFD Rates: दिसंबर में एफडी रेट्स 5% से 8% तक, जानें कौन दे रहा सबसे ज्यादा ब्याजट्रंप प्रशासन की कड़ी जांच के बीच गूगल कर्मचारियों को मिली यात्रा चेतावनीभारत और EU पर अमेरिका की नाराजगी, 2026 तक लटक सकता है ट्रेड डील का मामलाIndiGo यात्रियों को देगा मुआवजा, 26 दिसंबर से शुरू होगा भुगतानटेस्ला के सीईओ Elon Musk की करोड़ों की जीत, डेलावेयर कोर्ट ने बहाल किया 55 बिलियन डॉलर का पैकेजत्योहारी सीजन में दोपहिया वाहनों की बिक्री चमकी, ग्रामीण बाजार ने बढ़ाई रफ्तारGlobalLogic का एआई प्रयोग सफल, 50% पीओसी सीधे उत्पादन में

US वीजा अनिश्चितता से NBFC education loans वृध्दि में भारी मंदी की आशंका

रेटिंग एजेंसी  क्रिसिल के मुताबिक भारत में फाइनैंस कंपनियों का शिक्षा ऋण सबसे तेजी से बढ़ने वाला संपत्ति वर्ग रहा है।

Last Updated- July 09, 2025 | 10:11 PM IST
Higher Education

अमेरिका में पढ़ाई करने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए वीजा मंजूरी को लेकर बढ़ती अनिश्चितता और अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के लिए शिक्षा नीति पर ट्रंप प्रशासन के रुख को देखते हुए शिक्षा ऋण देने वाली अधिकांश गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) अपना रुख बदल रही हैं।  बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में एनबीएफसी अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका से बाहर अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन जैसे देशों के विश्वविद्यालयों से गठजोड़ करने के लिए ऋणदाता संपर्क कर रहे हैं।

यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब चालू वित्त वर्ष में शिक्षा ऋण वृद्धि में भारी मंदी की आशंका है। इस तरह के ऋण में एनबीएफसी की अहम हिस्सेदारी है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में इस तरह के ऋण में 48 प्रतिशत वृद्धि हुई है, जबकि इसके पहले के वित्त वर्ष में 77 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।

Also Read: भारत में निवेश बढ़ाने से पहले वैश्विक व्यापार नीति में स्पष्टता चाहता है सिस्को: चक रॉबिंस

मई में ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी दूतावासों को छात्र वीजा के लिए अपॉइंटमेंट शेड्यूल करना बंद करने के निर्देश दिए थे। अमेरिका सरकार ऐसे आवेदकों की सोशल मीडिया की जांच करने की तैयारी कर रही है

ट्रंप प्रशासन के एक आधिकारिक ज्ञापन में कहा गया था कि छात्र और विदेशी मुद्रा वीजा के लिए सोशल मीडिया जांच बढ़ाई जाएगी, जिसके दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों पर ‘गंभीर प्रभाव’ पड़ेंगे। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब ट्रंप प्रशासन अमेरिका के कुछ प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों पर व्यापक कार्रवाई कर रहा है। इसके बाद नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने एफ, एम और जे श्रेणी के छात्र वीजा आवेदकों को स्क्रीनिंग प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट सार्वजनिक करने की सलाह दी। एफ-1 वीजा एकेडमिक अध्ययन के लिए, एम श्रेणी व्यावसायिक या गैर एकेडमिक प्रोग्राम के लिए और जे वीजा एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए मिलता है, जिसमें अध्ययन या शोध शामिल है।

Also Read: दृष्टिकोण नहीं, समाधान जरूरी: बड़ी समस्याओं की अनदेखी कर रहा भारत

एक शिक्षा ऋण देने वाले एनबीएफसी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘छात्र खुद अमेरिकी विश्वविद्यालयों का विकल्प नहीं चुन रहे हैं क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका में पढ़ाई के लिए वीजा की मंजूरी को लेकर अनिश्चितता जल्द दूर होगी। इसके अलावा विद्यार्थी यह भी देख रहे हैं कि आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कुछ अन्य छोटे देशों में पढ़ाई के बाद नौकरी की बेहतर संभावनाएं हैं।’

एक और एनबीएफसी के अधिकारी ने कहा, ‘आयरलैंड उच्च शिक्षा के लिए भारतीयों के तरजीही केंद्रों में से एक बनकर उभर रहा है, क्योंकि वहां के वीजा नियम सरल हैं और नौकरियों के अवसर भी बेहतर हैं। साथ ही आयरलैंड में रहने के व अन्य खर्च अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बड़े देशों की तुलना में कम हैं। मौजूदा स्थिति पर विचार करते हुए हम आयरलैंड में डबलिन सहित अन्य जगहों पर कुछ विश्वविद्यालयों से गठजोड़ पर विचार कर रहे हैं। इस समय हमने 1,500 से ज्यादा विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है, जिनमें ज्यादातर अमेरिका, ब्रिटेन व जर्मनी में हैं।’

रेटिंग एजेंसी  क्रिसिल के मुताबिक भारत में फाइनैंस कंपनियों का शिक्षा ऋण सबसे तेजी से बढ़ने वाला संपत्ति वर्ग रहा है। इसमें पिछले कुछ वर्षों में लगभग 50 प्रतिशत और उससे अधिक की सालाना वृद्धि दर्ज की है।

एनबीएफसी के शिक्षा ऋण की प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) पिछले वित्त वर्ष में तेजी से 48 प्रतिशत बढ़कर 64,000 करोड़ रुपये हो गया। इससे पहले वित्त वर्ष 2024 में 77 प्रतिशत की और भी तेज वृद्धि हुई थी। इस वित्त वर्ष में वृद्धि घटकर लगभग 25 प्रतिशत तक रहने उम्मीद है, जिसके साथ एयूएम लगभग 80,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

क्रिसिल ने रिपोर्ट में कहा है कि कुल शिक्षा ऋण पोर्टफोलियों में अमेरिका की हिस्सेदारी मार्च 2025 तक के आंकड़ों के मुताबिक पहले ही  घटकर 50 प्रतिशत रह गई है, जो मार्च 2024 में 53 प्रतिशत थी और उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ वर्षों में अमेरिका की हिस्सेदारी और कम होगी क्योंकि कर्जदाता अन्य देशों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

क्रिसिल ने कहा कि बाधाओं को देखते हुए  एनबीएफसी ने अन्य भौगोलिक इलाकों पर ध्यान बढ़ा दिया है और ब्रिटेन, जर्मनी, आयरलैंड और छोटे देशों के पाठ्यक्रमों के लिए ऋण दोगुना कर दिया है।   पिछले वित्त वर्ष में विद्यार्थियों ने वैकल्पिक केंद्रों को चुना है।

Also Read: जून में जुड़े 25 लाख नए डीमैट अकाउंट, कुल संख्या 20 करोड़ के करीब पहुंची

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस तरह के भौगोलिक क्षेत्रों के लिए दिया गया कुल ऋण बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 50 प्रतिशत पहुंच गया, जो एक साल पहले 25 प्रतिशत था। लेकिन इससे अमेरिका से जुड़े ऋण वितरण में आई गिरावट की पूरी तरह भरपाई नहीं हो पाएगी।’

विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण संबंधी सलाह देने वाली एक फर्म के एक अधिकारी के अनुसार, ‘हालांकि अभी एनबीएफसी से मिलने वाली फंडिंग में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इस साल अमेरिका स्थित संस्थानों में आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। छात्रों का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटेन और आयरलैंड की ओर चला गया है, जो अमेरिका की तुलना में सस्ती जगहें हैं।’

First Published - July 9, 2025 | 10:07 PM IST

संबंधित पोस्ट