क्या कोई नाबालिग किसी फंड में निवेश कर सकता है?
मैं यह जानना चाहता हूं कि कोई नाबालिग फंड में निवेश कर सकता है या नहीं? दरअसल मैं काफी अजीब उलझन में हूं, मेरे बेटे के नाना मेरे बेटे को, जो माइनर यानी नाबालिग है, काफी बड़ी रकम देना चाहते हैं।
चूंकि इस रकम की जरूरत उसे तत्काल नहीं पड़नी है, मैं उसे किसी इक्विटी आधारित फंड में निवेश करना चाहता हूं। जो अगले दस या उससे ज्यादा साल में काफी बढ़ जाए। क्या यह काम इस तरह से किया जा सकता है कि मैं आगे अपने बेटे की ओर से बतौर अभिभावक लेनदेन कर सकूं?
सुधींद्र चटर्जी
जी हां, कोई भी नाबालिग अपने अभिभावक के जरिए फंड में निवेश कर सकता है। कोई भी वयस्क, जो उसके माता पिता या कानूनी तौर पर अभिभावक हों, म्युचुअल फंड के यूनिट रख सकते हैं और उस बच्चे की ओर से लेनदेन कर सकते हैं।
आपको अपने एएमसी को अपने बेटे की उम्र का प्रमाण देना होगा और यह बताना होगा कि आप किस हैसियत से उसके पैसे को रखना चाहते हैं।
एसआईपी सही तरीका है
हमने हाल में एक वित्तीय अखबार में बयान पढ़ा कि अगर आप समझदार निवेशक हैं तो ब्रॉड मार्केट में हर पांच फीसदी या उससे ज्यादा की गिरावट पर थोड़ी थोड़ी रकम का निवेश करें या फिर एसआईपी का रास्ता अपनाएं। क्या यह सही है? इसके अलावा ब्रॉड मार्केट से क्या तात्पर्य है?
जोजो जैकब
अगर कोई निवेशक इतना समझदार हो सकता है कि वह गिरावट पर खरीदे और ऊंचे में बेच सके तो यह बहुत बड़ी बात होगी। लेकिन गिरावट को परिभाषित करना मुश्किल काम है।
जनवरी 2008 से बाजार लगातार गिरता ही गया है। ज्यादा प्रोफेशनल और व्यक्तिगत निवेशक बाजार को टाइम करने यानी उसके रुख का आकलन कर पाने में नाकामयाब रहे हैं।
इक्विटी में पैसा बनाने का रास्ता है अच्छे शेयरों का पोर्टफोलियो बनाना और सब्र के साथ उसे रखे रहना। अच्छे शेयरों से हमारा मतलब उन कारोबारों से है जिनका प्रबंधन मजबूत हो और कमाई करने की कूवत हो।
लेकिन इसके लिए निवेशक में समझने की इच्छा और समय देना जरूरी है। दूसरा विकल्प है म्युचुअल फंड के जरिए किसी तैयार पोर्टफोलियो में लगातार निवेश करें।
एसआईपी में अनुशासन रहता है और गिरावट में होने वाली चिंता भी कम हो जाती है। यह इक्विटी से कमाने का दूसरा सबसे सही तरीका है। ब्रॉड मार्केट से मतलब आमतौर से सूचकांकों की दिशा से होता है।
पोर्टफोलियो पुनर्संतुलित करें
अगर कोई एसआईपी का नियमित निवेशक हो तो उसे अपना पोर्टफोलियो रीबैंलेंस कैसे करना चाहिए? मैं मासिक निवेश की रकम में 60 फीसदी डेट में और 40 फीसदी इक्विटी में निवेश करता हूं। दोनों ही निवेश एसआईपी के जरिए किए गए।
एक समय हमारे इक्विटी निवेश की वैल्यू डेट में निवेश केबराबर हो गई थी लेकिन हाल में बाजार में आई गिरावट के बाद हमारे पोर्टफोलियो में इक्विटी निवेश की वैल्यू घटकर 30 फीसदी रह गई है। हमें अब अपने पोर्टफोलियो को कैसे रीबैलेंस करना चाहिए जो वही अनुपात (60-40) बरकरार रह सके।
क्या हम अपने डेट से एक रकम एकमुश्त इक्विटी में हस्तांतरित करें? या अपने मासिक निवेश का अनुपात बदलें ताकि वह अनुपात फिर से हासिल हो सके।
निसार शेख
अगर आप अपने डेट और इक्विटी का अनुपात 60:40 रखना चाहते हैं तो आपको इस अनुपात के लिए अपना पैसा धीरे धीरे डेट से इक्विटी में करना होगा।
बीच बीच में ऐसा करने से आपको बाजार अनुपात बढ़ने से इक्विटी का फायदा भी मिलेगा। इसी तरह जब इक्विटी में गिरावट आने लगे तो भी डेट से इक्विटी में निवेश हस्तांतरित करना चाहिए ।
इससे आप निचले स्तरों पर खरीदारी कर सकेंगे और ऊंचे स्तर पर बिकवाली कर सकेंगे। पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने के कई तरीके हो सकते हैं। दिक्कत यह है कि रीबैलेंसिंग के समय इक्विटी या डेट से होने वाले मुनाफे पर टैक्स पड़ता है।
लिहाजा, बहुत जल्दी जल्दी रीबैंलेंस करने से बचना चाहिए जब तक कि एलोकेशन का अनुपात बहुत गड़बड़ाया न हो। सालाना रीबैलेंसिंग टैक्स के लिहाज से भी ठीक रहता है क्योंकि लांग टर्म गेन टैक्स फ्री होते हैं।
डेट लिक्विड फंड
मेरा सवाल डेट लिक्विड फंड से जुड़ा है। मैं एक सॉप्टवेयर इंजीनियर हूं और मैं आमतौर पर तीन महीनों के खर्च के बराबर का कैश रिजर्व (किसी आपात जरूरत के लिए) रखता हूं।
क्या इस कैश रिजर्व का कुछ हिस्सा किसी डेट लिक्विड फंड में डालकर रखना उचित होगा? कृपया कुछ अच्छे फंड सुझाएं?
मणिकंडन चेल्लप्पन
अगर आप अपना पैसा किसी आपात स्थिति में तुरंत चाहते हैं तो उसे किसी बैंक में जमा करना मुनासिब होगा या फिर उसे किसी लिक्विड फंड में लगाया जा सकता है।
बैंक के बचत खाते से पैसा किसी भी समय निकाला जा सकता है जबकि लिक्विड फंड से पैसा निकालने में टी+1 दिन लगते हैं यानी चौबीस घंटे।
अगर इस बीच कोई त्योहार हो या नॉन ट्रेडिंग दिन हो तो रिडम्पशन उतना ही और देरी से होगा। लिहाजा आपका चुनाव इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको पैसा कितनी जल्दी चाहिए।
अगर आप लिक्विड फंड का चुनाव करते हैं तो इसके लिए आप अच्छी रेटिंग वाले फंड चुने जैसे कैनरा रोबैको लिक्विड, एस्कॉट्र्स लिक्विड या एचडीएफसी कैश मैनेजमेंट सेविंग्स।
कंपनियों का मार्केट कैप निकालना
मार्केट कैप यानी बाजर पूंजीकरण के आधार पर कोई कैसे जान सकता है कि कंपनी किस श्रेणी की है, लार्ज कैप की, मिड कैप की या स्माल कैप की? क्या इस श्रेणी के लिए कोई सीमा है जैसे मिडकैप या अन्य के लिए 1000 करोड़ आदि?
बाला पिच्चुका
हम शेयरों को बड़े, मझोले और छोटे यानी लार्ज, मिड और स्माल मार्केट कैपिटलाइजेशन में वर्गीकृत करते हैं जिनकी हर माह समीक्षा होती है यानी उनमें संशोधन होता है।
इसके लिए मार्केट कैप के आधार पर बीएसई के सारे सूचीबध्द शेयरों को चढ़ाव-उतार वाले क्रम में लगाया जाता है यानी जिनका कैप ज्यादा वे ऊपर।
इन शेयरों के कुल मार्केट कैप के 70 फीसदी मार्केट कैप तक केशेयर लार्ज कैप में आते हैं जबकि 70 से 90 फीसदी मिडकैप में और आखिरी के दस फीसदी स्माल कैप में।
30 नवंबर 2008 को 58 शेयर लार्ज कैप में थे (यानी बाजार के कुल मार्केट कैप का 70 फीसदी हिस्सा इन्हीं कंपनियों के पास है),
जिनका मार्केट कैप 178,089.80 करोड से 8777.32 करोड़ के बीच था, 177 करोड़ मिडकैप में थे जिनका मार्केट कैप 8521.03 करोड़ से 9.41 करोड़ के बीच था और 2791 शेयर स्माल कैप की श्रेणी में थे जिनका मार्केट कैप 8.54 करोड़ से कम था।
वेल्यू रिसर्च