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एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स-इंडिया (AHPI) ने शुक्रवार को कहा कि उसके सदस्य अस्पताल 1 सितंबर 2025 से बजाज आलियांज (Bajaj Allianz) जनरल इंश्योरेंस कंपनी के पॉलिसीधारकों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा बंद कर देंगे।
एएचपीआई के करीब 15,200 सदस्य अस्पताल हैं, जिनमें मैक्स हेल्थकेयर और मेदांता जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। संगठन का कहना है कि अस्पतालों को लंबे समय से रिएम्बर्समेंट रेट कम मिलने, मनमाने ढंग से पेमेंट कटौती, प्री-ऑथ और डिस्चार्ज अप्रूवल में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
एएचपीआई ने अपने बयान में कहा कि बजाज आलियांज लगातार अस्पतालों के साथ पुराने टैरिफ पर काम कर रहा है और मेडिकल कॉस्ट बढ़ने के बावजूद रेट्स में सुधार से इनकार कर रहा है। संगठन का आरोप है कि कंपनी ने न सिर्फ दरों में संशोधन से इनकार किया है, बल्कि और कटौती करने का दबाव बनाया है।
एएचपीआई के डायरेक्टर जनरल गिर्धर ग्यानी ने कहा कि भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन हर साल करीब 7-8 फीसदी रहता है, जिससे स्टाफ की लागत, दवाओं, उपकरणों और यूटिलिटी पर खर्च बढ़ता है। ऐसे में पुराने रेट पर काम करना अस्पतालों के लिए असंभव है और इससे इलाज की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि संगठन की मांग है कि अस्पतालों के टैरिफ हर दो साल में मेडिकल इन्फ्लेशन के हिसाब से संशोधित किए जाएं, ताकि इलाज की गुणवत्ता और संचालन सुचारू रूप से चलता रहे।
हालांकि, एएचपीआई ने साफ किया है कि बजाज आलियांज़ पॉलिसीधारकों का इलाज बंद नहीं होगा। उन्हें सेल्फ-पे आधार पर इलाज मिलेगा और बाद में वे इंश्योरेंस कंपनी से रिएम्बर्समेंट क्लेम कर सकेंगे।
इसी के साथ संगठन ने केयर हेल्थ इंश्योरेंस को भी नोटिस भेजा है। अगर कंपनी 31 अगस्त तक जवाब नहीं देती, तो सदस्य अस्पताल वहां के पॉलिसीधारकों की कैशलेस सुविधा भी बंद कर देंगे।
इस बीच, बजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस के हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम हेड, भास्कर नेरुरकर ने इस फैसले पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि कंपनी हमेशा पॉलिसीधारकों को बेहतर अस्पताल अनुभव, उचित दरें और आसान क्लेम उपलब्ध कराने की पक्षधर रही है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि कंपनी एएचपीआई और उसके सदस्य अस्पतालों के साथ बातचीत कर समाधान निकालेगी, ताकि ग्राहकों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।