शेयर बाजार की अस्थिरता को देखते हुए निवेशक अन्य विकल्पों जैसे ऋण और सोने का रुख कर रहे हैं।
हालांकि, अधिकांश निवेशक सोने में निवेश करना मुश्किल समझते हैं जिसकी वजह इसका रख-रखाव और इस पर लगने वाला वेल्थ टैक्स है। इसके रख-रखाव पर जहां विभिन्न संस्थानों के आधार पर सालाना 500 से 20,000 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं वहीं अगर सोने की कीमत 15 लाख रुपये से अधिक है तो उस पर एक प्रतिशत के हिसाब से वेल्थ टैक्स का भुगतान भी करना पड़ेगा।
लेकिन अब न केवल आप इन खर्चों की बचत कर सकते हैं बल्कि अपने सोने पर ब्याज भी अर्जित कर सकते हैं। देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने इन समस्याओं के समाधान के लिए गोल्ड डिपोजिट स्कीम की शुरुआत की है। इस योजना के तहत आप कम से कम 500 ग्राम सोना एसबीआई के चुनिंदा शाखाओं में एक खास अवधि के लिए जमा करवा सकते हैं।
तीन साल के लिए सोना जमा करवाने पर एक प्रतिशत, चार साल पर 1.25 प्रतिशत और पांच वर्षों की अवधि पर आपको 1.5 प्रतिशत का ब्याज दिया जाएगा। कर नहीं लगाया जाता। चार्टर्ड अकाउंटेंट कनु दोशी ने कहा, ‘ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि जब आप अपना सोना जमा करवाते हैं तो एसबीआई एक गोल्ड बॉन्ड देती है। और कागजी या इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे गए सोने पर कोई वेल्थ टैक्स नहीं लगाया जाता है।’
वित्तीय योजनाकार गौरव मशरूवाला के अनुसार बचाए गए कर, रख-रखाव के खर्च और ब्याज से होने वाली आय को जोड़ कर देखा जाए तो अधिक आय वाले धनाढय लोगों के लिए यह पेशकश काफी आकर्षक है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन सोने को जमा करना है इसके लिए नई खरीदारी करने का कोई तुक नहीं बनता है। इसके बदले गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में निवेश करना बेहतर है।’
परिपक्वता पर बैंक आपको दो विकल्प देती है- या तो आप अपना सोना वापस ले लें या फिर उस समय सोने की जो कीमत चल रही है उसके बराबर बैंक से नकदी ले लें। अगर आप इस सौदे में मोल-भाव भी कर रहे हैं तो बेफिक्र रहिए, इस लेन-देन पर कोई वेल्थ टैक्स नहीं लगाया जाएगा।
एसबीआई ग्राहक के सोने को पिघला कर उसके शुध्दता की जांच करता है और फिर उसे छड़ों में बदलवा देता है। जांच के परिणामों के आधार पर 90 दिनों के भीतर ग्राहक को गोल्ड डिपोजिट सर्टिफिकेट भेजती है। इस प्रक्रिया में हुए खर्च का वहन एसबीआई करता है।
एसबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘हम आभूषण बनाने वालों और कारोबारियों को यह सोना उधार देते हैं और बदले में उनसे ब्याज लेते हैं।’ इस जमा में सारे भुगतान सोने से जुड़े होते हैं। इसलिए, मान लीजिए कि कोई जमाकर्ता 500 ग्राम सोना जिसकी कीमत 15,000 ररुपये प्रति 10 ग्राम है, तीन सालों के लिए जमा करता है।
ब्याज की गणना सोने केमूल्य के आधार पर नहीं की जाएगी। बल्कि, बैंक जमा की मात्रा के आधार पर एक प्रतिशत की गणना करेगा जो इस मामले में 5 ग्राम बनता है। परिपक्वता के समय 5 ग्राम सोने की कीमत जमाकर्ता को दी जाएगी।
परिपक्वता पर, जमाकर्ता चाहे तो अपना वापस सोना वापस ले या फिर उस समय सोने की जो कीमत चल रही हो उतने पैसे ले ले। एसबीआई इस जमा के विरुध्द ऋण भी उपलब्ध कराता है। गोल्ड डिपोजिट सर्टिफिकेट के आधार पर जमाकर्ता सोने के मूल्य का अधिकतम 75 प्रतिशत तक ऋण ले सकता है। गोल्ड डिपोजिट की लॉक-इन अवधि एक साल की है।
जमा कीजिए, चमकेगा सोना
भारतीय स्टेट बैंक ने शुरू की है गोल्ड डिपोजिट स्कीम
जमा किए गए सोने पर नहीं देना होगा वेल्थ टैक्स
एक से डेढ़ प्रतिशत तक का ब्याज देय, वह भी सोने के रूप में
परिपक्वता पर चाहे सोना लें या तत्कालीन कीमत