बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा परिषद की स्थापना के लिए संगठित हो रही हैं।
स्वास्थ्य बीमा परिषद का उद्देश्य बीमा उद्योग की सबसे छोटी श्रेणी, स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करना है। औद्योगिक सूत्रों ने बताया कि विभिन्न कंपनियों की बीमा प्रक्रियाओं के मानकीकरण के लिए भी यह कदम उठाया गया है। इससे पॉलिसीधारक को बेहतर सेवाएं प्राप्त हो सकेंगी।
जीवन और साधारण बीमा परिषद से अलग प्रस्तावित स्वास्थ्य बीमा परिषद में बीमा कंपनियों के अलावा थर्ड पार्टी एडमिन्सट्रेटर और अस्पतालों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) एक इकाई है जो स्वास्थ्य बीमा के दावा निपटान में मदद करती है।
कुछ समय पहले तीन प्रमुख स्वास्थ्य बीमा कंपनियों की अमतैक्यता की वजह से बीमा की इस श्रेणी का विकास प्रभावित हुआ और पिछले साल दिसंबर के अंत तक इसकी पहुंच केवल 14 प्रतिशत के आस पास रही। इसके अतिरिक्त अभी तक देश में कोई यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध नहीं है।
दावों का अनुपात अधिक (लगभग 100 प्रतिशत) होने की वजह से बीमा कंपनियों ने उत्पाद बेचने की आक्रामकता प्रदर्शित नहीं की। इस अनुपात से स्पष्ट है कि दावे की राशि अर्जित प्रीमियम से कहीं अधिक रही है। बीमा कंपनियों के अनुसार पॉलिसीधारकों ने स्वास्थ्य बीमा कवर लेते समय अपनी बीमारियों का खुलासा नहीं किया साथ ही बीमित व्यक्ति के ईलाज में अस्पतालों ने भी बिल बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया।
थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर पर भी यह तोहमत लगाई गई कि उन्होंने दावों को कम करने में स्वास्थ्य बीमा कंपनियों की मदद नहीं की क्योंकि उन्हें बीमा कंपनियों के साथ-साथ अस्पतालों से भी कमीशन प्राप्त होता है।
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) द्वारा गठित एक समिति ने थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर के काम-काज पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य बीमा परिषद बनाने का प्रस्ताव रखा था। औद्योगिक सूत्रों ने बताया कि इस महीने अंत तक समिति अपना अंतिम रिपोर्ट सौंप सकती है। इस इकाई के प्रमुख जीवन बीमा और साधारण बीमा के महासचिव होंगे। प्रत्येक की अवधि दो सालों की होगी।
जीवन बीमा परिषद के महासचिव एस बी माथुर ने कहा, ‘हम जल्द से जल्द ऐसी इकाई चाहते हैं। लेकिन अगर बीमा अधिनियमों में संशोधन किया गया तो इसमें काफी वक्त लगेगा। इस इकाई की स्थापना का उद्देश्य प्रणाली में एकरूपता लाना है।’