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पहली बार भर रहें हैं आयकर, तो कस लीजिए कमर

Last Updated- December 09, 2022 | 4:46 PM IST

एक बार अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था कि दुनिया में सबसे कठिन बात आय कर को समझना है।


भौतिक विज्ञान की कई कठिन समस्याओं को दूर करने वाले इस प्रतिभावान वैज्ञानिक का मानना है कि आयकर दाखिल करने का कार्य एक दार्शनिक का काम है।

यह काम एक बेहद चुनौती भरा है। लेकिन आप कुछ मूलभूत नियमों के बारे में जान कर इससे जुड़ी जटिलताओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

पहली बात तो यह है कि आपको यह जानना चाहिए कि क्या आप कर निर्धारिती या करदाता हैं। करदाता का मतलब होता है ऐसा कोई भी व्यक्ति जो सरकार को कर चुकाने के लिए जिम्मेदार हो।

ये स्लैब केंद्रीय बजट में तय किए गए थे। मौजूदा समय में सालाना 1.5 लाख से कम की कमाई करने वाले लोगों पर किसी तरह का कर लागू नहीं है।

सरकार किसी व्यक्ति द्वारा प्रत्येक वर्ष कमाई जाने वाली कुल रकम पर विभिन्न स्लैब में आय कर वसूलती है। कुछ कटौती के बाद इन स्लैब की रेंज 10 फीसदी से 30 फीसदी होती है। कर फाइल करने के लिए आपको सबसे पहले पर्मानेंट अकाउंट नंबर (पैन) की जरूरत है।

आय कर अधिनियम में कमाई करने वाले लोगों की पहचान 7 श्रेणियों के तहत की गई है। इनमें शामिल हैं : वैयक्तिक, हिन्दू अविभाजित परिवार, एसोसिएशन ऑफ परसंस, पार्टनरशिप फर्म, कंपनी, स्थानीय प्राधिकरण और मूर्तियों और देवताओं जैसे आर्टीफिशियल जूरीडिकल परसंस।

निवासियों के मामले में यदि वे अपनी पूरी आय किसी अन्य देश के जरिये हासिल करते हैं तो भारत में इस आय पर कर लगेगा। अनिवासियों के मामले में उनकी उसी आय पर कर लागू है जो देश में ही कमाई गई हो। व्यक्ति की आय को 5 विस्तृत श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है :

वेतन से आय
आवास संपत्ति से आय
व्यवसाय या पेशे से आय
पूंजी लाभ से आय
अन्य स्रोतों से आय

इन पांच श्रेणियों से कमाई जाने वाली रकम कर के दायरे में आती है। हालांकि कानून करदाताओं के नुकसान को भी इसमं  शामिल किए जाने की अनुमति देता है। इन कर कटौतियों के बाद बची बकाया राशि कुल कर योग्य आय है।

सबसे सामान्य कटौती धारा 80सी के तहत की जाती है। इसमें शामिल है कर्मचारी भविष्य निधि के लिए योगदान, जीवन बीमा प्रीमियम, पब्लिक प्रोवीडेंड फंड और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट।

सामान्यतया आय पर कर सिर्फ अकाउंटिंग वर्ष के पूरा होने यानी पूर्ववर्ती वर्ष पर स्पष्ट होता है। हालांकि कर संग्रहण को आसान बनाने और सरकार के लिए कोष के प्रवाह को नियमित बनाने के लिए आय कर अधिनियम ने आय के वर्ष के दौरान अग्रिम तौर पर कर भुगतान को निर्धारित किया है।

इसके लिए विशेष इंसटॉलमेंट तारीखें हैं : प्रत्येक वर्ष  को 15 सितंबर, 15 दिसंबर और 15 मार्च। अन्य सरकारी प्रावधान है करदाता के स्रोत पर कर की कटौती किया जाना। इसे स्रोत पर काटा गया कर (टीडीएस) कहा जाता है।

अगर रिटर्न फाइल करते वक्त यह पाया जाता है कि टीडीएस की कटौती के बाद कुछ बकाया कर चुकाया जाना अभी बाकी है तो इसे सेल्फ एसेसमेंट टैक्स के रूप में चुकाया जाता है। व्यक्तिगत करदाताओं को इसके लिए सामान्यतया हर साल 31 जुलाई की तारीख नियत की गई है।

आयकर विभाग, बैंकों या विभाग की वेबसाइट पर ‘चालान’ फॉर्म का इस्तेमाल कर भी यह कर जमा किया जाता है। कर का भुगतान ऑनलाइन भी किया जा सकता है। व्यक्तिगत करदाताओं के लिए नियत तारीख आमतौर पर 31 जुलाई है।

कागजी औपचारिकताओं के लिए करदाता को मासिक वेतन की स्लिप और सालाना सैलरी सर्टिफिकेट जमा करने की जरूरत होती है। इसका इस्तेमाल कर योग्य वेतन के लिए किया जाता है और नियोक्ता द्वारा काटा गया टीडीएस दिखाया जाता है।

इसी तरह ट्रांजैक्शन को दिखाए जाने के लिए अन्य सहायक दस्तावेजों को भी संलग्न किए जाने की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए, शेयर ब्रोकर, शेयरों की खरीद एवं बिक्री के लिए बैंक स्टेटमेंट बिल लगाए जाने चाहिए।

बैंक जमा पर ब्याज, टीडीएस सर्टिफिकेट और कंपनियों और म्युचुअल फंडों से लाभांश के ब्यौरे को भी आय कर अधिकारी द्वारा सत्यापित कराया जाना चाहिए।

भविष्य में संदर्भों के लिए, एक विस्तृत बैलेंस शीट तैयार करें, जिसमें आय और खर्च के साथ-साथ परिसंपत्तियों और देनदारियों का जिक्र किया गया हो।

First Published - January 4, 2009 | 9:12 PM IST

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