अगर आपके पास पांच वर्षों की समय सीमा हो तो मिड और स्मॉल कैप फंडों में निवेश कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं । शे यर बाजार में अंदरुनी तौर पर मिड और स्मॉल
वर्श 2007 में सेंसेंक्स में 47 प्रतिशत की बढ़त हुई जबकि बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के मिडकैप सूचकांक ने लगभग 69 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। लेकिन इस छोटे रेस में जीतने वाला तो बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स था जिसने 93.6 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। ऐसा लगता है कि यह वर्ष मिड और स्मॉल–कैप का है।
जब मिड
–कैप शेयरों में बढ़त हुई तो स्वाभविक है कि मिड और स्मॉल कैप फंडों का प्रदर्शन भी बराबरी के लार्ज–कैप फंडों की तुलना में बेहतर होगा। मिड–कैप फंड–रिलायंस ग्रोथ, जो एक बड़ी परिसंपत्ति का प्रबंधन कर रहा था, के प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति में वर्ष 2007 में 100 प्रतिशत की वृध्दि हुई।
कई विविधीकृत फंडों के फंड प्रबंधकों ने भी अतिरिक्त प्रतिफल पाने के लिए इन जोखिम भरे चुनावों पर दांव लगाना शुरू कर दिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या मिड कैप इस लायक हैं
?
मिड
–कैप फंड वर्ग का विश्लेषण कर हम इस प्रश्न का जवाब देने की कोशिश करेंगे। हमने 178 इक्विटी विशाखित फंडों की सूची बनाई और उन फंडों का चयन किया जिन्होंने पिछले एक वर्ष में (फरवरी 2007 से जनवरी 2007 तक) मिड और स्मॉल कैप में औसतन 50 प्रतिशत से अधिक का निवेश किया था।
इस चयन प्रक्रिया के बाद हमें 74 मिड और स्मॉल कैप ओरियेंटेड फंड मिले जिसमें से 20 अच्छी रेटिंग वाले फंडों का हमने चुनाव किया (पांच, चार और तीन सितारे वाले)। इन फंडों का औसत प्रतिफल 32.21 प्रतिशत का था। इस अवधि के दौरान बाजार दो बार –मई 2007 और जनवरी 2008 में–बुरे वक्तों से गुजरा था।
क्या हैं मिड
–कैप?
सामान्य श्ब्दों में कहें तो मिड
–कैप उभरता हुई वैसा स्टॉक है, भविष्य में जिनके लार्ज–कैप होने की प्रबल संभावना होती है। तकनीकी परिभाषा निश्चित पूंजीकरण के स्तर पर आधारित है। म्युचुअल फंड मिड कैप को अपने तरीके से परिभाषित कर सकते हैं। वैल्यू रिसर्च में हम स्मॉल, मिड और लार्ज–कैप को अपने तरीके से परिभाषित करते हैं। लार्ज–कैप शेयरों की वह न्यूनतम संख्या है जो मिल जुल कर बीएसई के कुल बाजार पूंजीकरण के 70 प्रतिशत के बराबर होते हैं।
बाजार पूंजीकरण के अगले
20 प्रतिशत के लिए शेयरों की न्यूनतम संख्या मिड–कैप वर्ग में रखी जाती है और शेष कंपनियां स्मॉल–कैप वर्ग में आती हैं जो बाजार पूंजीकरण के शेष बचे 10 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार होती हैं। मिड–कैप शेयरों में तेजी भी जल्दी आती है और वे उतनी ही तेजी से लुढ़कते भी हैं। मिड–कैप शंयरों के व्यवहार को ऐसे समझिए कि इनकी प्रवृत्ति बाजार के तेजी के दिनों में तेजी से चढ़ने की और मंदी के दिनों में तेजी से लुढ़कने की होती है।
संबद्ध जोखिम
फंड प्रबंधकों के लिए मिड
–कैप शेयरों की छुपी संभावनाओं से लाभ उठाना एक कठिन कार्य है। इसके अतिरिक्त, ऐसे शेयरों में कम समय में बढ़त भी हो सकती है और इनमें गिरावट भी आ सकती है, इससे फंउ प्रबंधकों का कार्य कठिन हो जाता है।
इन शेयरों की छुपी हुई संभावनाएं कुछ दिनों में ही नई ऊंचाईयों को छू सकती हैं और बाजार में गिरावट के दौरान बिना सूचना दिए औंधे मुंह गिर सकते हैं। ये सब मिड–कैप फंडों को उन विशाखित फंडों से ज्यादा जोखिम भरा बना देते हैं जो ज्यादातर रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती या इन्फोसिस टेक्ोलॉजीज जैसे शेयरों में निवेश करती हैं।
बाजार में हाल में आई गिरावट साफ तौर पर मिड
–कैप में निवेश से संबद्ध जोखिमों को दर्शाती हैं। आठ जनवरी 2008 को जब गाजार में गिरावट आनी शुरु हुई तो बीएसई के मिड–कैप और स्मॉल कैप सूचकांकों में तेजी से गिरावट आई थी। अभी चल रही भारी गिरावट की दौर में बीएसई के मिड और स्मॉल कैप सूचकांकों में क्रमश: 30.7 और 37.8 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि सेंसेक्स में 23.5 प्रतिशत की कमी आई है (आठ जनवरी से सात जनवरी 2008 के बीच)। ये इस बात के साफ संकेत हैं कि मिड–कैप स्टॉक बाजार के उतार–चढ़ाव के दौरान कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।
सुंदरम सेलेक्ट मिड–कैप जैसे फंड, जो भारी मात्रा में मिड–कैप में निवेश करते हैं, ने अच्छा खासा गंवाया है। इस फंड ने वर्ष 2007 में 63.14 प्रतिशत का प्रतिफल दिया और साल के शीर्षस्थ मिड–कैप प्रदर्शनकर्ताओं में से एक रहा। हालांकि वर्ष 2008 में इस फंड ने कम समय में 30 प्रतिशत से अधिक गंवा दिया (एक जनवरी से सात मार्च के बीच)। मिड–कैप फंडों में निवेश करना एक आदर्श विकल्प है अगर आप दीर्घावधि के निवेशक हैं। दीर्घावधि से हमारा तात्पर्य पांच–सात वर्षों से है। इस समयावधि में उभरती हुई कंपनियां खुद को व्यवस्थित कर सकती हैं। मिड–कैप फंड उन लोगों के लिए नहीं है जो हर दिन फंड का एनएवी देखते हैं।
अधिक सुरक्षित लार्ज
–कैप
लार्ज
–कैप की तरफ अधिक झुकाव वाले फंड वैसे निवेशकों के लिए आदर्श है जो बाजार के तेजी से बदलते रुख से चिंतित होने लगते हैं। आइए इसे समझने के लिए हम दो फंडों की तुलना करते हैं– एक चार सितारों की रेटिंग वाला कोटक–30 जो प्रमुख रुप से लार्ज–कैप में निवेश करता है और दूसरा विशुध्द मिड–कैप पेशकश बिड़ला मिड–कैप।वर्ष 2007 में कोटक फंड ने 66.56 प्रतिशत का प्रतिफल दिया जबकि बिड़ला मिड–कैप 78 प्रतिशत का प्रतिफल देकर इससे आगे था। लेकिन हाल में बाजार में आई गिरावट के दौरान मिड–कैप फंड सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। बिड़ला मिड–कैप ने इस दौरान 27 प्रतिशत गंवाए जबकि कोटक–30 ने केपल 20 प्रतिशत। लार्ज–कैप फंड और आक्रामक मिड कैप फंडों की तुलना कर हम इस फर्क को आसानी से देख सकते हैं।