आज के जमाने में क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान करने के चलन में वृद्धि के साथ-साथ इसे स्वीकृति भी मिल रही है।
मौजूदा समय में बीमा संबंधी भुगतान भी इसके जरिए किए जा सकते है। अब जल्द ही म्युचुअल फंडों में भी इस क्रेडिट कार्ड के जरिए निवेश करने की अनुमति दी जाने वाली है। इससे निवेशकों को न केवल कई झंझटों से मुक्ति मिलेगी,बल्कि निवेश करने के दौरान कई कागजी कारवाईयों से भी छुटकारा मिलेगा।
हालांकि इसे खासी सावधानी से काम को अंजाम दिए जाने की जरूरत है। वरना इसके जरिए निवेश करने के लिए निवेशक को इस कार्ड के इस्तेमाल की मोटी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
क्या है इसका फायदा: इससे बैंक चेक के इस्तेमाल में कमी आएगी और इसके चलते होने वाली परेशानियां भी कम होंगी। साथ ही,चेक के जरिए निवेश में होनेवाले जोखिम भी कम होगे। कार्ड के रकम की अदायगी पूरी तरह मान्य होगी और इसका भुगतान वह बिल आने पर कर सकता है, जैसा कि दूसरे मामलों में होता है।
इसके अलावा दूसरे फायदों की बात करें तो निवेश चाहे कितना भी जटिल क्यों न हो, रकम की अदायगी से लेकर अन्य मसलों का समाधान भी समय पर हो सकेगा। खासकर जो लोग कार्ड का रेगुलर इस्तेमाल करते हैं,उनके लिए इसे क रना और आसान होगा। लिहाजा,इससे प्रशासनिक कार्यां में कमी आएगी।
क्या है नुकसान: इसके जरिए रकम भुगतान करने के नुकसान भी कम नहीं हैं। सबसे बड़ी दिक्कत है कि वित्तीय झटकों को झेलने का पूरा भार निवेशक के कंधे पर ही रहेगा,क्योंकि कार्ड धारक डयू डेट को रकम भुगतान करने में कोई चूक ही कर सकता है,और अगर ऐसा होता है तो उसे अपनी बकाया रकम पर सालाना 36-42 फीसदी तक का ब्याज देना पड़ सकता है।
जबकि उसे म्युचुअल फंडों में किए गए निवेश से एक साल के भीतर 15 से 20 फीसदी का रिटर्न मिलता है। इससे साफ जाहिर है कि 20 फीसदी पर 40 फीसदी का कर्ज लेना कितनी समझदारी भरा कदम होगा।
परिस्थितियों पर रखें नजर: अगर आप पहले से ही क्रेडिट कार्ड के जरिए एक अच्छी रकम रिवॉल्व कर रहे हैं तो फिर कार्ड के जरिए भुगतान करना समझदारी भरा कदम नही होगा,क्योंकि इसके जरिए निवेश की गई रकम आउटस्टैंडिंग बैलेंस में जुड़ जाएगी। इसका सीधा सा मतलब है कि आपको ज्यादा ब्याज अदा करना होगा। यानी अदायगी की तारीख एक साथ नहीं आ जानी चाहिए।
इसका मतलब यह हुआ कि निवेशक को फ्री क्रेडिट अवधि का फायदा नही मिल पाएगा। ऐसी स्थितियों में निवेश के सामान्य तरीके ही ज्यादा प्रासंगिक लगते हैं,बजाए कि उसे हम क्रेडिट कार्ड के द्वारा अदा करें,क्योंकि ऐसी स्थिति में रकम भुगतान में चूक होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
भुगतान की प्रकृति:-क्रेडिट कार्ड के जरिए भुगतान करने के दो प्रकार हैं,पहला या तो एकमुश्त निवेश किया जाए या फिर दूसरा तरीका यह है कि मासिक सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (सिप) के द्वारा रकम अदा की जाए।
ऐसी स्थिति में पहला वाला तरीका तो सही है,लेकिन दिक्कत आती है दूसरे तरीके में,क्योंकि इस स्थिति में लगातार ध्यान देने की दरकार होती है,क्योंकि इस स्थिति में हरेक महीने वक्त पर रकम जमा करने की बात होती है,वरना देर से रकम जमा करने पर लेट पेमेंट फी कार्ड पर लागू हो जाएगी।
लिहाजा,इसके जरिए रकम जमा करने वाले को यह याद रखना होगा कि इससे रकम अदा करने में जहां सुविधाएं हैं,तो वहीं जरूरत इस बात की है कि वो मनमाफिक नतीजे पाने के लिए इसका बेहतर प्रबंधन करना भी न भूले।