facebookmetapixel
कनाडा पर ट्रंप का नया वार! एंटी-टैरिफ विज्ञापन की सजा में 10% अतिरिक्त शुल्कदेशभर में मतदाता सूची का व्यापक निरीक्षण, अवैध मतदाताओं पर नकेल; SIR जल्द शुरूभारत में AI क्रांति! Reliance-Meta ₹855 करोड़ के साथ बनाएंगे नई टेक कंपनीअमेरिका ने रोका Rosneft और Lukoil, लेकिन भारत को रूस का तेल मिलना जारी!IFSCA ने फंड प्रबंधकों को गिफ्ट सिटी से यूनिट जारी करने की अनुमति देने का रखा प्रस्तावUS टैरिफ के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, IMF का पूर्वानुमान 6.6%बैंकिंग सिस्टम में नकदी की तंगी, आरबीआई ने भरी 30,750 करोड़ की कमी1 नवंबर से जीएसटी पंजीकरण होगा आसान, तीन दिन में मिलेगी मंजूरीICAI जल्द जारी करेगा नेटवर्किंग दिशानिर्देश, एमडीपी पहल में नेतृत्व का वादाJio Platforms का मूल्यांकन 148 अरब डॉलर तक, शेयर बाजार में होगी सूचीबद्धता

Health insurance: बुजुर्गों का स्वास्थ्य बीमा लें तो प्रतीक्षा अवधि और प्रीमियम देख लें

Health insurance: सभी स्वास्थ्य बीमा में 25 फीसदी अब बुजुर्गों के लिए खरीदी जाती हैं

Last Updated- June 26, 2024 | 11:07 PM IST
LIC Jeevan Arogya Scheme

बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य बीमा लेने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के आंकड़ों के मुताबिक, उनके प्लटफॉर्म पर बेची जाने वाली सभी स्वास्थ्य बीमा में 25 फीसदी अब बुजुर्गों के लिए खरीदी जाती हैं। उनमें से करीब 35 फीसदी बीमा पॉलिसी संतानें अपने मां-बाप के लिए खरीदती हैं। उनके अनिवासी भारतीय ग्राहकों में से 60 फीसदी भारत में रहने वाले माता-पिता के लिए पॉलिसी खरीदते हैं।

ऐसी बीमा पॉलिसी दो तरह की होती है। पहला स्टैंडर्ड हेल्थ कवर है, जो बुजुर्ग ही नहीं किसी भी उम्र के लोग ले सकते हैं। बीमा नियामक ने कंपनियों से कहा है कि पॉलिसी खरीदने या शुरू करने के लिए अधिकतम आयु की बंदिश हटा दी जाए। दूसरी तरह का स्वास्थ्य बीमा खास तौर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए तैयार किया गया है।

आसानी से मिल रहा बीमा

वरिष्ठ नागरिकों के लिए बीमा का मुख्य फायदा उसे खरीदते वक्त देखा जाता है। सिक्योर नाउ के सह-संस्थापक कपिल मेहता कहते हैं, ‘कई बुजुर्गों को पहले से बीमारी होती हैं। ये पॉलिसी उन लोगों को भी मिल जाती है, जो पहले से बीमार हैं।’

मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस में हेड (प्रोडक्ट्स ऐंड ऑपरेशन्स) आशिष यादव बताते हैं, ‘ऐसी पॉलिसियों की असली खासियत यह है कि पॉलिसी लेने के 91 वें दिन से ही पहले से मौजूद बीमारी समेत तमाम बीमारियों के इलाज पर होने वाला खर्च बीमा के दायरे में आ जाता है।’

पॉलिसी बाजार डॉट कॉम के कारोबार प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) सिद्धार्थ सिंघल बताते हैं कि कई पॉलिसी में करीब 20 फीसदी ज्यादा प्रीमियम देने पर प्रतीक्षा अवधि खत्म हो जाती है और पहले दिन से ही सभी बीमारियां बीमा की जद में आ जाती हैं। इन प्लान में डिडक्टिबल और को-पेमेंट (बिल का कुछ हिस्सा अपनी जेब से भरना) जैसी सुविधाओं के जरिये बुजुर्ग अपना प्रीमियम कम भी करा सकते हैं।

सिंघल बताते हैं कि पहले बुजुर्गों के लिए बीमा में को-पेमेंट जरूरी था मगर अब यह वैकल्पिक कर दिया गया है। अधिकतर प्लान के तहत घर में ही हॉस्पिटलाइजेशन यानी नर्स आदि लगाने का खर्च मिल जाता है। कुछ ओपीडी और मानसिक स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर से सलाह की सुविधा देते हैं।

यादव बताते हैं कि बुजुर्गों को इलाज के लगातार बढ़ते खर्च से बचाने के लिए कई पॉलिसियां अधिक बीमा राशि का विकल्पदेती हैं, वित्तीय प्रोत्साहन के तौर पर बोनस की गारंटी देती हैं और बीमारी से बचाने के लिए देखभाल की सहूलियत भी देती हैं। इनमें ताउम्र रीन्यूअल होते रहने की सुविधा होती है और आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत कर छूट भी मिलती है। सिंघल ने कहा, ‘वरिष्ठ नागरिकों के लिए बीमा योजनाएं सामान्य स्वास्थ्य बीमा योजनाओं से ज्यादा महंगी नहीं हैं।’

प्रीमियम कैसे घटाएं?

वरिष्ठ नागरिक डिडक्टिबल का विकल्प चुनकर प्रीमियम कम कर सकते हैं। सिंघल समझाते हैं, ‘अगर आप अस्पताल का 25,000 रुपये तक का बिल खुद चुकाने के लिए तैयार हैं तो प्रीमियम 15 से 25 फीसदी तक घट सकता है।’ वह को-पेमेंट के बजाय डिडक्टिबल का विकल्प चुनने की सलाह देते हैं क्योंकि डिडक्टिबल में ग्राहक को एक तय सीमा तक ही रकम अपनी जेब से देनी पड़ती है।

को-पेमेंट में बिल बढ़ने के साथ ही ग्राहक की देनदारी भी बढ़ती जाती है। सिंघल के हिसाब से 25,000 से 50,000 रुपये तक डिडक्टिबल चुनना चाहिए। अगर कम किराये वाला कमरा लें तो भी प्रीमियम की रकम कम हो सकती है।

पर्याप्त बीमा लीजिए

हरेक बुजुर्ग के लिए कम से कम 15 लाख रुपये तक का बीमा लेना चाहिए। सिंघल का कहना है, ‘सबसे बड़ी वजह यह है कि इलाज का खर्च हर साल 14 से 15 फीसदी बढ़ रहा है। बड़ा जोखिम यह है कि अगर आप बीमार पड़ते रहते हैं तो रीन्यूअल के समय शायद बीमा कंपनी राशि बढ़ाने से इनकार ही कर दे।’

पॉलिसी चुनें तो सबसे ज्यादा तवज्जो पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि को दें। मेहता के मुताबिक प्रतीक्षा अवधि जितनी कम होगी उतना ही अच्छा होगा। बुजुर्गों की बीमा पॉलिसी में सब-लिमिट भी होती हैं।

मेहता बताते हैं, ‘मोतियाबिंद, घुटने अथवा जोड़ों के प्रत्यारोपण जैसी खास बीमारियों अथवा आधुनिक उपचारों के लिए बीमा की सीमा हो सकती है। पक्का कर लीजिए कि यह सीमा आपके लिए वाजिब हो।’ यह बी देखिए कि बीमा कंपनी कितने दावे निपटाती हैं और उनका प्रीमियम कितना-कितना है।

First Published - June 26, 2024 | 10:38 PM IST

संबंधित पोस्ट