भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने इस बात का खुलासा किया है कि केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के जिन 70 उपक्रमों में इक्विटी निवेश किया है, वह घाटे के कारण पूरी तरह चौपट हो गया है।
मार्च 2007 तक इन कंपनियों के नेटवर्थ में 64,358 करोड़ रुपये की कमी आ गई।कैग ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2006-07 में 348 सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों की इक्विटी पूंजी में 1 लाख 37 हजार 110 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष निवेश किया है और 69,798 करोड रुपये का ऋण भी दिया।
गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कैग ने कहा कि घाटे के कारण 40 कंपनियों से 40,733 करोड़ रुपये के ऋण की उगाही होना संदिग्ध है।घाटे में चल रही 70 कंपनियों में से 35 कंपनियों को तो औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड के जिम्मे सौंप दिया गया है। छह कंपनियों को फिर से चालू कराने के लिए रिवाइवल पैकेज मंजूर किया गया है, 16 कंपनियों को बंद करने या बेच देने की सिफारिश की गई है। बाकी 13 कंपनियों के बारे में विचार किया जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 107 सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों ने 2006-07 में 27,859 करोड़ रुपये का लाभांश घोषित किया और उसमें से सरकार को 20,831 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। यह राशि सरकार की कुल इक्विटी निवेश का मात्र 15 प्रतिशत रिटर्न है।इन सार्वजनिक क्षेत्रों को अपने प्रदर्शन सुधारने के लिए कैग ने सलाह दी है कि उन्हें अपनी क्षमता का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर किसी कंपनी को अपनी उत्पादकता और अर्थव्यवस्था सुधारनी हो तो उसे अपनी क्षमताओं और मशीनों का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसे एक प्रभावकारी और कुशल प्रबंधन पर भी ध्यान देना चाहिए। इस संबंध में कंपनियों को खोजी प्रवृत्ति को बनाए रखना चाहिए और साथ ही मानव संसाधन और उत्पादकता को बढ़ाते रहना चाहिए।