सरकारी बॉन्ड की कीमतें धराशायी हो गईं और 10 वर्षीय बेंचमार्क प्रतिभूतियों का प्रतिफल दो हफ्ते के उच्चस्तर पर आ गया क्योंकि तय सॉवरिन डेट की नीलामी का बड़ा हिस्सा अप्रत्याशित तौर पर अंडरराइटर्स के खातों में चला गया। यह बताता है कि मांग कमजोर थी। ट्रेडरों ने यह जानकारी दी।
सबसे ज्यादा लिक्विड 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 5 आधार अंक बढ़कर शुक्रवार को 7.39 फीसदी पर टिका, जो 30 जनवरी के बाद से बॉन्ड का सबसे ऊंचा क्लोजिंग प्रतिफल है।
बॉन्ड की कीमतें व प्रतिफल एक दूसरे के विपरीत दिशा में चलते हैं। 10 वर्षीय बॉन्ड के प्रतिफल में एक आधार अंक की बढ़ोतरी से उसकी कीमतों में मोटे तौर पर सात पैसे की गिरावट आती है।
शुक्रवार की प्राइमरी नीलामी में भारतीय रिजर्व बैंक ने 8,254.37 करोड़ रुपये के नए 10 वर्षीय बॉन्ड प्राइमरी डीलरों को हस्तांतरित किए, जबकि अधिसूचित रकम 12,000 करोड़ रुपये की है। सॉवरिन बॉन्ड की नीलामी का कुल आकार 28,000 करोड़ रुपये का है।
प्राइमरी डीलर वे इकाइयां होती हैं, जो सरकारी बॉन्ड को अंडरराइट करती हैं। प्राइमरी नीलामी में बॉन्ड का हस्तांतरण मोटे तौर पर उच्च प्रतिफल या कम कीमत को लेकर आरबीआई की असहजता को बताता है। बॉन्ड के निवेशक ज्यादा रिटर्न मांगते हैं जब डेट का परिदृश्य कई वजहों मसलन उच्च महंगाई या बॉन्ड की भारी आपूर्ति के कारण प्रतिकूल हो जाते हैं।
सरकार के डेट मैनेजर के नाते आरबीआई केंद्र सरकार के उधारी कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कराने के लिए जवाबदेह होता है।
पिछली बार सॉवरिन बॉन्ड बिक्री का एख हिस्सा प्राइमरी डीलरों को 16 सितंबर, 2022 को हस्तांतरित किया गया था, वहीं 10 वर्षीय बॉन्ड का आखिरी उदाहरण 13 अप्रैल, 2022 का है।
ट्रेडरों ने कहा कि शुक्रवार की नीलामी में कमजोर मांग की वजह देसी व वैश्विक स्तर पर महंगाई के परिदृश्य में एकाएक आया बदलाव है। इस हफ्ते जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जनवरी में भारत की महंगाई में अप्रत्याशित तौर पर तेज बढ़ोतरी हुई और यह पिछले महीने आरबीआई के सहज स्तर के पार चली गई।
अमेरिका में जारी हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि वहां नौकरियां बढ़ी हैं और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में महंगाई अनुमान से ज्यादा रही है।
देसी व वैश्विक आंकड़ों ने ब्याज दरों में और बढ़ोतरी को लेकर चिंता में इजाफा किया है और टर्मिनल रीपो दरों के पिछले अनुमान का तेजी से समायोजन हुआ है। 6.98 फीसदी पर भारत का एक साल का ओवरनाइट इंडेक्स स्वैप रेट, रीपो दरों के बढ़कर 6.75 फीसदी पर पहुंचने की संभावना जता रहा है।