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फंड प्रश्नोत्तरी

Last Updated- December 07, 2022 | 10:47 PM IST


कम मार्जिन से प्रभावित हुए ऑर्बिट्राज फंड


मेरा सवाल ऑर्बिट्राज फंडों (खासकर के एसबीआई ऑर्बिट्राज फंड) के कमजोर होते हुए प्रदर्शन से जुड़ा है। मैं इसमें दिसंबर 2006 से निवेश कर रहा हूं। इससे पहले 2006 में इसने 10 फीसदी सालाना रिटर्न दिया था। लेकिन पिछले छह माह में इनका रिटर्न घटकर महज 5 फीसदी सालाना रह गया है। लगभग सभी ऑर्बिट्राज फंडों का हाल एक सा ही है। इसका क्या कारण है? अब तक ऑर्बिट्राज फंड निवेश का एक बेहतर जरिया रहे हैं। एकाएक इनको क्या हो गया है? यहां तक कि मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट भी ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं।


तरुण गोयल


ऑर्बिट्राज फंड स्पॉट और वायदा बाजार में कीमतों के बीच अंतर से उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाते हैं जिसे कैश फ्यूचर स्प्रेड भी कहा जाता है। आपने ठीक कहा कि इस तरह के अवसर हमेशा बाजार में होते हैं। लेकिन कारोबार इतना ज्यादा नहीं है कि फंड हाउस इससे लाभ उठा सकें। पिछले कुछ माह में कैश फ्यूचर स्प्रेड बेहद सिकुड़ा रहा है। इस कारण ये फंड पिछले साल की तरह मुनाफा कमाने में असफल रहे हैं।




क्या ऐसा हो सकता है कि प्राइवेट म्युचुअल फंड निवेशकों से पैसा लेकर चंपत हो जाएं। मान लीजिए, मैं किसी प्राइवेट म्युचुअल फंड में निवेश करुं और वह मेरा पैसा लेकर भाग जाए जैसे कि पहले कई वित्तीय संस्थान कर चुके हैं। मैं एनएवी की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन किसी प्राइवेट फंड में निवेश करने पर मेरा धन सुरक्षित रहेगा इस बात की क्या गारंटी है? पहले पीयरलेस, संचयनी, गोल्डन फारेस्ट और जेवीजी जैसी कंपनियां निवेशकों का धन लेकर चंपत हो चुकी हैं।


ए एम देशपांडे


आपने जिन वित्तीय संस्थानों को का नाम लिया है, वे म्युचुअल फंड नहीं है। भारत में म्युचुअल फंड को सेबी के पास पंजीकरण कराना होता है। सेबी ने म्युचुअल फंड में निवेशकों का धन सुरक्षित रखने के लिए एक पॉलिसी तैयार की है। वह पूरी तरह इन फंडों की निगरानी करती है। इस तरह कोई भी पंजीकृत म्युचुअल फंड निवेशकों का धन लेकर भाग नहीं सकता। इस पैसे का प्रबंधन सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) द्वारा किया जाता है जो विभिन्न योजनाओं से एकत्र फंड को अपने संरक्षण में रखते हैं। वर्तमान में भारत में 36 एएमसी काम कर रही हैं। आप पंजीकृत म्युचुअल फंडों की सूची सेबी की वेबसाइट पर जाकर देखा जा सकते हैं। फिर पूरी तसल्ली के बाद ही इनमें से किसी फंड में निवेश करें।


मैं अपने पोर्टफोलियो से कुछ फंड कम करना चाहता हूं। इनमें रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज फंड और रिलायंस विजन फंड प्रमुख हैं। एक ही एएमसी में एक फंड से दूसरे फंड में जाने या फिर एक एएमसी से दूसरी एएमसी में जाने में कितनी लागत आएगी ? सुनील चतुर्वेदी


एक स्कीम से दूसरी स्कीम में जाना दो स्पष्ट ट्रांजैक्शन का संयोजन है। वास्तव में आपका मामला एक फंड से दूसरे फंड में जाने का नहीं है, वरन आप एक फंड को छोड़ रहे हैं जबकि दूसरे में निवेश कर रहे हैं। इसलिए आपको हर फंड में निश्चित इंट्री और एक्जिट लोड देना पड़ेगा। यहां इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप एक ही एएमसी के एक फंड से दूसरे फंड में जा रहे हैं या फिर एक एएमसी से दूसरी एएमसी में।




मैंने मार्च 2006 में मैग्नम कांट्रा फंड में निवेश किया था। मार्च 2009 में इसका लॉक इन पीरियड खत्म होने जा रहा है। मैं इस फंड में एक साल अपना निवेश और बनाए रखना चाहता हूं। क्या यह संभव है?


आप टैक्स प्लानिंग के तहत जितने वर्ष चाहें, इस निवेश को कायम रख सकते हैं। एसबीआई मैग्नम टैक्सगेन कांट्रा एक कर बचत योजना है। एक ईएलएसएस फंड से आप अपनी राशि को लॉक इन पीरियड के पूरा होने से


पहले नहीं निकाल सकते। लेकिन अगर आप चाहें तो यह अवधि पूरी होने के बाद भी


अपनी राशि इसमें निवेशित रख सकते हैं। तीन साल बाद राशि निकालने की कोई अनिवार्यता नहीं है। इसलिए आप अपना निवेश लॉक इन पीरियड के बाद भी बरकरार रख सकते हैं।




मैं भारत के बाहर वियतनाम, सिंगापुर, तुर्की और यहां तक कि ब्राजील में भी निवेश करना चाहता हूं। क्या मैं भारत में पंजीकृत किसी म्युचुअल फंड के माध्यम से यह कर सकता हूं? कृपया मुझे उचित मार्ग बताएं ? आशीष बलसावर


वर्तमान में भारत में कई ऐसे फंड हैं जो अपनी एसेट विदेशी बाजार में निवेश कर रहे हैं। कई ग्लोबल थीम पर आधारित फंड अपना निवेश अपने वर्णित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपना धन दुनिया के कई देशों में लगाते हैं। आप द्वारा जिन देशों के लिए नाम लिए गए हैं, उनमें से अधिकांश एशियाई देश हैं।


आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल इंडो एशिया इक्विटी फंड, फ्रैंकलिन एशियन इक्विटी प्रमुख रूप से एशिया प्रशांत देशों में निवेश करते हैं। इनके अलावा डीडब्ल्यूएस ग्लोबल थीमेटिक ऑफशोर फंड खासतौर


पर अपनी पूंजी सिंगापुर के डीडब्ल्यूएस रणनीतिक ग्लोबल थीम फंड में लगाता है।


अगर मैं किसी नुकसान दे रहे फंड से ईएलएसएस फंड की ओर जाता हूं तो क्या मुझे कैपिटल लॉस बेनिफिट मिलेगा ? क्या कैपिटल नुकसान की भरपाई केवल कैपिटल लाभ के जरिए ही की जा सकती है या फिर यह किसी कि कर योग्य राशि से निकाली जाती है? अनुभव


किसी यूनिट की बिक्री से हुए पूंजी नुकसान की भरपाई केवल दूसरे पूंजी लाभ से ही की जा सकती है। यह भरपाई ईएलएसएस फंड की ओर जाने से नहीं हो पाएगी। अगर आपको हुआ नुकसान छोटी मियाद का पूंजी


नुकसान है तो इसकी भरपाई छोटी मियाद के पूंजी लाभ और लंबी मियाद के पूंजी


लाभ के जरिए की जा सकती है। लेकिन लंबी मियाद के पूंजी नुकसान की भरपाई केवल लंबी मियाद के पूंजी लाभ के जरिए ही हो


सकती है।


दूसरी बात यह है कि जिस तरह लंबी मियाद के पूंजी लाभ को कर में छूट मिलती है उसी तरह लंबी अवधि के पूंजी नुकसान का समायोजन लंबी मियाद के पूंजी लाभ से नहीं हो सकता। असमायोजित लंबी और छोटी मियाद का पूंजी नुकसान अगले आठ साल तक आपके दूसरे सवाल का जवाब यह है कि कर नियमावली के तहत पूंजी के लाभ का समायोजन केवल पूंजी लाभ के जरिए ही संभव है। इसलिए यह पूंजी नुकसान आपकी कर योग्य आय से घटाया नहीं जाएगा।


मैं अलगअलग म्युचुअल फंडों में एसआईपी के माध्यम से 17,000 रुपये प्रतिमाह निवेश कर रही हूं। मैंने चारपांच म्युचुअल फंडों में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश किया है। इन फंडों में रिलायंस, एसबीआई, एचडीएफसी, बिड़ला और प्रमुख एएमसी शामिल है। क्या वर्तमान में बाजार में छाई अनिश्चितता के बाद भी मुझे निवेश करना जारी रखना चाहिए? क्या मेरे निवेश से मुझे लाभ होगा?


अगर आपका पोर्टफोलियो संतुलित है और आप लंबी अवधि को ध्यान में रखकर निवेश कर रही हैं तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। लंबे समय में एसआईपी (सिस्टेमेटिक इंनवेस्टमेंट प्लान) म्युचुअल फंड में निवेश का बेहतर जरिया है।

First Published - October 5, 2008 | 8:38 PM IST

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