वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) से ऋण का दायरा बड़ी कंपनियों से बढ़ाकर मझोली कंपनियों, लघु और मझोले उद्योगों (एसएमई) और कृषि व स्टार्टअप तक करने को कहा है। सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
भारत के निर्यात पर अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के संभावित असर को देखते हुए मंत्रालय के निर्देश आए हैं। शुल्क से श्रम केंद्रित उद्योग प्रभावित हो सकते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘सरकारी बैंकों से हर आकार के ऋण में वृद्धि पर ध्यान देने को कहा गया है। खासकर उन्हें कोर इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि, एमएसएमई और स्टार्टअप पर ध्यान देने को कहा गया है।’
यह भी पढ़ें: MSME को मिला 40 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज, एक साल में 20% की बढ़त
वित्त मंत्रालय ने बुधवार को सरकारी बैंकों की पहली तिमाही के प्रदर्शन की समीक्षा की। बैठक में सरकारी बैंकों के प्रमुख शामिल हुए और इसकी अध्यक्षता वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने की। मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लाइबिलिटी में अनुशासन और परिसंपत्ति विविधीकरण के माध्यम से अपने शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) की रक्षा करने को भी कहा है।
एनआईएम दर्शाता है कि एक वित्तीय संस्थान अपनी कुल ब्याज-अर्जित परिसंपत्तियों के सापेक्ष, उधार ली गई धनराशि (जैसे जमा) पर ब्याज चुकाने के बाद अपनी ऋण गतिविधियों से कितना कमाता है। बैंकों को एकमुश्त समाधान और संयुक्त ऋणदाता व्यवस्था के माध्यम से रिकवरी की व्यवस्था मजबूत करने के भी निर्देश दिए गए हैं।