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‘ओवर द काउंटर’ डेरिवेटिव लेनदेन के लिए 1 अप्रैल 2026 से UTI अनिवार्य, भारतीय रिजर्व बैंक का प्रस्ताव

1 अप्रैल 2026 से भारतीय रिजर्व बैंक ने ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन में यूटीआई अनिवार्य कर सभी लेनदेन की रिपोर्टिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित लाने का फैसला किया है

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- October 23, 2025 | 9:47 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बाजार सहभागियों द्वारा सभी ओवर द काउंटर (ओटीसी) डेरिवेटिव लेनदेन के लिए 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी यूनीक ट्रांजैक्शन आइडेंटीफायर (यूटीआई) का उपयोग अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया है।

रिजर्व बैंक के मसौदे के मुताबिक ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए यूटीआई का निर्माण भुगतान और बाजार अवसंरचना समिति (सीपीएमआई) और ऑर्गेनाइजेशन ऑफ सिक्योरिटीज कमीशंस (आईओएससीओ) द्वारा फरवरी 2017 में जारी यूटीआई तकनीकी मार्गदर्शन के अनुरूप किया जाएगा।  प्रत्येक यूटीआई 52 अक्षरों तक लंबा होगा, जिसमें लीगल इंटिटी आइडेंटीफायर (एलईआई) शामिल होगा, उसके बाद एक अद्वितीय पहचानकर्ता होगा, और यह अपनी समयावधि के दौरान डेरिवेटिव लेनदेन के लिए अद्वितीय बना रहेगा।

 रिजर्व बैंक ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘यूनीक ट्रांजैक्शन आइडेंटीफायर (यूटीआई) को ओवर द काउंटर (ओटीसी) डेरिवेटिव लेनदेन की रिपोर्टिंग के लिए विश्व स्तर पर पहचाने गए प्रमुख डेटा तत्वों में से एक के रूप में परिकल्पित किया गया है, ताकि नीति निर्माताओं को ओटीसी डेरिवेटिव बाजार का व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त करने में सक्षम बनाया जा सके।’इसमें कहा गया है कि ओटीसी मार्केट में सभी लेनदेन के लिए यूटीआई लागू करने का फैसला किया गया है।

First Published : October 23, 2025 | 9:24 PM IST