प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंडों (एमएफ) को इक्विटी शेयरों के प्री-आईपीओ प्लेसमेंट में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया है। बाजार नियामक ने स्पष्ट किया है कि म्युचुअल फंड आईपीओ से पहले केवल ऐंकर निवेशक के रूप में ही गैर-सूचीबद्ध शेयरों में निवेश कर सकते हैं। आईपीओ खुलने से एक दिन पहले ऐंकर आवंटन किया जाता है जबकि प्री-आईपीओ प्लेसमेंट की प्रक्रिया लिस्टिंग से पहले के महीनों में की जाती है।
फंडों से जुड़े नियमों में कहा गया है कि म्युचुअल फंड सूचीबद्ध हो चुके और सूचीबद्ध होने वाले शेयरों में निवेश कर सकते हैं। हालांकि इन नियमों में प्री-आईपीओ प्लेसमेंट का जिक्र नहीं किया गया है। लेकिन हकीकत में सूचीबद्धता से पहले होने वाले इन आवंटन को लेकर यह अनिश्चितता हो जाती है कि म्युचुअल फंड इसमें हिस्सा ले सकते हैं या नहीं।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) को लिखे पत्र में सेबी ने तर्क दिया है कि प्री-आईपीओ प्लेसमेंट में म्युचुअल फंडों की भागीदारी जोखिम भरी है क्योंकि इससे म्युचुअल फंड योजनाओं के पास गैर-सूचीबद्ध शेयर इकट्ठे हो सकते हैं।
हालांकि प्री-आईपीओ प्लेसमेंट ऑफर दस्तावेज दाखिल करने के बाद होता है। फिर भी आईपीओ में देरी हो सकती है या वह रद्द किया जा सकता है। ऐसे मामलों में निवेशकों को अनिश्चित काल तक गैर-सूचीबद्ध शेयरों को अपने पास रखना पड़ सकता है, जबकि म्युचुअल फंडों को ऐसा करने की अनुमति नहीं है।
सेबी ने पत्र में कहा, ‘अगर म्युचुअल फंडों की योजनाओं को प्री-आईपीओ प्लेसमेंट में भाग लेने की अनुमति दी जाती है तो किसी भी कारण से निर्गम या लिस्टिंग नहीं होने पर उनको अनलिस्टेड इक्विटी शेयर रखने पड़ सकते हैं, जो संबंधित नियम के अनुपालन के दायरे में नहीं होगा।’ इस पत्र को एम्फी ने अपने सभी सदस्यों को भेज दिया है। एम्फी और सेबी को भेजे गए सवालों के जवाब नहीं मिले हैं।
प्री-आईपीओ राउंड फंड मैनेजरों के लिए आकर्षक होते हैं क्योंकि ये आमतौर पर आईपीओ की तुलना में कम कीमत पर होते हैं। अक्सर ऐसे निवेश योजनाओं के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
नियामकीय अस्पष्टता की वजह से प्री-आईपीओ सौदों में फंडों की भागीदारी सीमित रही है। अब कुछ फंड प्रबंधक इसका विकल्प तलाश रहे हैं। हाल में, एसबीआई म्युचुअल फंड ने अर्बन कंपनी के प्री-आईपीओ राउंड में हिस्सा लिया था।
म्युचुअल फंडों की भागीदारी पर प्रतिबंध ऐसे समय लगाया गया है जब प्री-आईपीओ प्लेसमेंट में गिरावट का रुख है। इस कदम से वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) या फैमिली ऑफिस जैसे अन्य निवेश माध्यमों के लिए भी इन प्लेसमेंट में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के मौके मिल सकते हैं।
वर्ष 2023 में 13 कंपनियों ने प्री-आईपीओ नियोजनों से 1,074 करोड़ रुपये जुटाए। लेकिन वर्ष 2024 में यह आंकड़ा घटकर 387 करोड़ रुपये (आठ कंपनियां) रह गया। इस साल अब तक सात कंपनियों ने 506 करोड़ रुपये जुटाए हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान संख्या और इन सौदों के मूल्य दोनों में गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण प्री-आईपीओ और आईपीओ कीमतों के बीच मूल्यांकन का अंतर घटना है।