आईटी सेक्टर पिछले साल के दौरान अच्दे प्रदर्शन वाले क्षेत्रों में से एक रहा और निफ्टी आईटी सूचकांक ने निवेशकों का पैसा दोगुने से अधिक किया तथा 102.5 प्रतिशत का प्रतिफल दिया।
इसकी वजह यह रही कि निवेशकों ने राजस्व संभावना को देखते हुए आईटी सेक्टर पर दांव लगाया है। करीब आठ साल के बाद इस क्षेत्र द्वारा वित्त वर्ष 2022 में फिर से दो अंक की वृद्घि दर्ज किए जाने की संभावना है। इसके अलावा, बाजार लगातार मार्जिन प्रदर्शन, मजबूत मुक्त नकदी प्रवाह और सक्षम पूंजी आवंटन की उम्मीद के साथ आईटी कंपनियों को पसंद कर रहा है।
यये बदलाव अक्सर उपभोक्ता कंपनियों से जुड़े रहे हैं, जिसे देखते हुए निवेशक यह पूछ रहे हैं कि क्या एफएमसीजी कंपनियों के लिए मूल्यांकन में भारी तेजी बनी रहेगी और क्या आईटी रेटिंग में सुधार की और संभावना है।
जहां आईटी क्षेत्र की रेटिंग में पिछले साल के दौरान बदलाव दर्ज किया गया और मूल्यांकन 82 प्रतिशत तक बढ़कर एक वर्षीय मूल्यांकन के करीब 26 गुना पर रहा, वहीं विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्र में रेटिंग में और ज्यादा बदलाव की गुंजाइश बरकरार है। रिलायंस रिसर्च के सुयोग कुलकर्णी का कहना है, ‘जहां वित्त वर्ष 2022 में दो अंक की वृद्घि की संभावना है, वहीं आईटी खर्च और सौदों की वैल्यू पर वैश्विक दिग्गजों द्वारा प्रतिक्रिया से ऊंचे वृद्घि डिजिटल सेगमेंट की भागीदारी और भारतीय आईटी कंपनियों के लिए खर्च की अनिवार्य प्रवृत्ति का पता चलता है। सौदों की शानदार वैल्यू के मौजूदा रुझान बरकरार रह सकता है, जिसकी संभावना को देखते हुए इसकी कोई वजह नहीं है कि आईटी सेक्टर (प्रमुख चार कंपनियां) रेटिंग में और ज्यादा बदलाव क्यों नहीं दर्ज कर सकता है।’ आईटी क्षेत्र के मुकाबले एफएमसीजी क्षेत्र के महंगे मूल्यांकन के लिए जो कारक जिम्मेदार रहे हैं, वे थे ऊंची राजस्व वृद्घि की संभावना, मजबूत मार्जिन, और आय में तेजी। आईटी क्षेत्र एक अंक की वृद्घि दर में विफल रहा, वहीं एफएमसीजी क्षेत्र का महंगा मूल्यांकन चार वर्षों में मजबूत हुआ था। उपभोक्ता कंपनियों के लिए मुनाफा वृद्घि को मजबूत ग्रामीण मांग और कच्चे माल की लागत में नरमी से मदद मिली।
कच्चा तेल, पाम तेल, कोपरा, और कुछ क्रूड ऑयल डेरिवेटिव्स में एक साल पहले के स्तरों के मुकाबले भारी तेजी आई है। मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के विश्लेषकों के अनुसार फरवरी तक, पूरे जिंस में कच्चे माल (उपभोक्ता क्षेत्र) खंड में एक साल पहले की अवधि के मुकाबले 13 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया।
हालांकि कंपनियों ने कीमत वृद्घि का सहारा लिया और कुछ खास डिस्क्रेशनरी खर्चों में कटौती की, विज्ञापन खर्च में वृद्घि तथा ब्रांड निवेश से भी इसकी भरपाई हो सकती है। जहां राजस्व वृद्घि मजबूत रहने की संभावना है, वहीं मार्जिन पर कुछ दबाव बने रहने की आशंका है। दूसरी तरफ, ऊंचे मार्जिन वाले डिजिटल सेगमेंट के बढ़ते अनुपात और कर्मचारियों के लिए कार्य के हाइब्रिड मॉडल भी ऐसे कुछ सकारात्मक बदलाव हैं जिनसे आईटी सेगमेंट को मदद मिल सकती है।
इससे उपभोक्ता कंपनियों के मूल्यांकन के साथ साथ उनके प्रीमियम पर दबाव पड़ सकता है, जिस पर उन्होंने आईटी जैसे अन्य रक्षात्मक क्षेत्रों के मुकाबले बढ़त बनाई थी। ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के धीरेंद्र तिवारी और पंकज छाओछाडिय़ा का कहना है, ‘अगले दो वर्षों के दौरान, एफएमसीजी और आईटी सेवाआसें द्वारा समान आय वृद्घि दर्ज किए जाने की संभावना है। जहां आईटी सेवा क्षेत्र डिजिटलीकरण की लहर की सवारी कर रहा है जिससे उसमें आय वृद्घि की अच्छी संभावना बढ़ी है, वहीं ऊंची जिंस कीमतों की वजह से एफएमसीजी क्षेत्र की आय पर नकारात्मक प्रभाव देखा जा सकता है। हमारा मानना है कि दो प्रमुख रक्षात्मक क्षेत्रों के बीच अंतर अगले दो वर्षों में काफी कम होगा’
आईटीसी को छोड़कर, एफएमसीजी सूचकांक 50 गुना एक वर्षीय मूल्यांकन पर आईटी सूचकांक के मूल्यांकन के मुकाबले दोगुना या 100 प्रतिशत प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के विश्लेषकों का मानना है कि यह 15-50 प्रतिशत के दायरे में बना रहेगा।