अक्सर शेयर बाजार में निवेश करने वालों से गलती यह होती है कि वे इस बारे में हद से ज्यादा सोचने लगते हैं।
यह कई हालात में हो सकता है- या तो किसी ने शेयर बाजारों में बहुत देर से कदम रखा हो, या फिर बहुत जल्दी पैसा निकाल लिया हो, हर दिन इस बात पर सर खपाना कि बाजार कितना ऊपर नीचे हुआ या रोजाना के नुकसान का गुणा भाग करना।
अधिकांश निवेशक यह भूल जाते हैं कि वे बाजार में भले ही पैसे बनाने के लिए आए हैं, पर यह इतना आसान काम भी नहीं है।
बाजार के लिए कुछ दिन अच्छे रहते हैं, तो कुछ बुरे दिन भी आएंगे। कई दफा ऐसा भी हो सकता है कि बुरे दिनों का सिलसिला कुछ लंबा खिंच जाए।
जिस तरीके से बाजार की चाल का अनुमान लगाया जाता है, वह अपने आप में काफी दिलचस्प है। अक्सर जो अंदाजा लगाया जाता है, वह पूरी तरह से गलत साबित हो जाता है क्योंकि उसका तरीका ही गलत होता है।
हो सकता है, जो अनुमान लगाए जा रहे हों, वास्तविकता उससे बिल्कुल अलग हो। चलिए, आपको बाजार से संबंधित कुछ सुझावों से रू-ब-रू कराते हैं :
पहली सीख: कभी किसी शेयर के अंकित मूल्य पर न जाएं। अगर किसी निवेश में 25 फीसदी का मुनाफा या 50 फीसदी का नुकसान हुआ हो तो उसे खरीदने के लिए यही अच्छा समय है, यह न समझें। यानी कि शेयरों को खरीदने के लिए उसके मुनाफे और नुकसान को ही देखना काफी नहीं है।
साथ ही ज्यादा सवालों के जवाब ढूंढ़ने के फेर में न रहें। मसलन, कितने समय में शेयरों के भाव ऊपर चढ़े या घटे हैं या फिर किस आधार पर शेयर के भावों की गणना की गई है।कई बार निवेशक बिल्कुल गलत गणना कर बैठते हैं और ऐसे में नतीजे भी गलत ही निकलेंगे।
दूसरी गलती, जो आमतौर पर लोग करते हैं और जिससे बचा जाना चाहिए, वह यह है कि वे विभिन्न शेयरों से मिलने वाले रिटर्न को जोड़ देते हैं और तब यह सोचते हैं कि उन्हें कितना फायदा या नुकसान हुआ है। ऐसा किया जाएगा, तो नतीजे तो भ्रम में डालने वाले ही निकलेंगे।
दूसरी सीख: जब भी शेयरों के भाव गिरते हैं तो निवेशकों में हड़कंप मच जाता है। शेयरों में जितनी गिरावट आती है, निवेशक उतने ही भयभीत हो जाते हैं।
जबकि कई बार ऐसा होता है कि जब शेयरों के भाव गिरते हैं तो दरअसल आपका मुनाफा घट रहा होता है, आपको नुकसान नहीं हो रहा होता।
जिसे भी आंकड़ों के इस खेल के बारे में सही-सही जानकारी होती है वह शुरुआती दौर में ही सही-सही बता सकता है कि बाजार में आगे कितना जोखिम है। इसे हम उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करते हैं। माना, किसी ने 25 रुपये के भाव पर कोई शेयर खरीदा है।
उसके बाद शेयर बाजारों में जबरदस्त तेजी आती है और उसी शेयर का भाव 300 फीसदी ऊपर चला जाता है। इसका मतलब है कि उस व्यक्ति के शेयर का भाव चार गुना हो गया है यानी 100 रुपये।
अब अगर उसी शेयर के भाव 50 फीसदी घट जाते हैं तो निवेशक को लगेगा कि उसने जितना मुनाफा कमाया था वह 200 फीसदी घट गया है।
पर शायद उसका ध्यान इस ओर नहीं जाता कि असल में उसे मुनाफा ही हो रहा है। और यह मुनाफा भी 100 फीसदी का होगा जो काफी अच्छा है। अक्सर कई मामलों में ऐसा ही देखा जाता है जहां शेयरों में बहुत अधिक गिरावट के बाद भी निवेशक का सारा मुनाफा खत्म नहीं होता है।
कई बार तो शेयरों में 75 फीसदी की गिरावट आने के बाद भी उस शेयर के भाव उस वास्तविक कीमत से कम नहीं होते जिस पर निवेशक ने उसे खरीदा था।
इस उदाहरण में गणना हमेशा 25 रुपये को आधार मानकर ही की जानी चाहिए। हालांकि अगर निवेशक ने 100 रुपये के मूल्य पर शेयर खरीदे हैं तब तो स्वाभाविक है कि उसे नुकसान होगा ही।
तीसरी सीख: कुछ इसी तरह जब शेयरों के भाव ऊपर चढ़ते हैं तो कई दफा निवेशकों को लगता है कि उन्हें कोई फायदा नहीं हो रहा है।
ऐसा इसलिए कि निवेशक को इतना नुकसान हो चुका होता है कि शेयरों के भाव ऊपर चढ़ने के बाद भी उसके नुकसान को पाटने में नाकाफी होते हैं।
निवेशक ने इतने अधिक दाम पर शेयर खरीदे होते हैं कि वापस से वहां तक पहुंचने में कई बार तो सालों लग जाते हैं।
ऐसा ही कुछ स्थिति का सामना आने वाले कुछ महीनों में निवेशकों को करना पड़ सकता है क्योंकि उन्होंने उस समय शेयर खरीदे थे जब उनके भाव आसमान छू रहे थे।
उदाहरण के लिए किसी निवेशक ने 1,000 रुपये के भाव में कोई शेयर खरीदा था। उसके बाद शेयर बाजारों में जबरदस्त गिरावट आती है और उस शेयर के भाव तकरीबन 80 फीसदी लुढ़क जाते हैं यानी 200 रुपये रह जाते हैं।
अब यहां से अगर शेयर शेयरों के भाव 80 फीसदी भी बढ़ते हैं तो भी वह बढ़कर 360 रुपये तक ही पहुंचेगा।
अगर शेयर के भाव को वापस पुराने स्तर तक पहुंचना है तो उसके लिए गिरे हुए भाव से उसे 400 फीसदी ऊपर उठना पड़ेगा। वजह यह है कि जब शेयरों में गिरावट आई थी तो उस समय गणना का आधार मूल्य 1,000 रुपये था तो इस हिसाब से 80 फीसदी गिरावट बहुत अधिक थी।
पर अब जब शेयरों के दाम वापस से ऊपर चढ़ रहे हैं तो आधार मूल्य 200 रुपये है और वापस से पुराने मूल्य यानी कि 1,000 रुपये तक पहुंचने के लिए बहुत अधिक बढ़ोतरी की जरूरत होगी। यानी शेयरों की चाल को पढ़ने में बहुत सावधानी की जरूरत है।
कई दफा 50 फीसदी गिरावट के बाद भी असल में आपको फायदा हो रहा होता है और कई दफा 80 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद भी आप नुकसान में ही जा रहे होते हैं।