वित्त-बीमा

घटेगा बैंकों को सस्ते में मिलने वाला धन: SBI चेयरमैन सीएस शेट्टी

शेट्टी का कहना है कि सरकार के साथ कॉर्पोरेट सेक्टर के बेहतर नकदी प्रबंधन के कारण ऐसा होने की संभावना है।

Published by
सुब्रत पांडा   
अभिजित लेले   
Last Updated- September 18, 2024 | 11:29 PM IST

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने आज कहा कि भारत के बैंकों में कम लागत का चालू व बचत खाते में जमा (कासा) का अनुपात अभी और कम होगा, जो पहले से ही कम है। शेट्टी का कहना है कि सरकार के साथ कॉर्पोरेट सेक्टर के बेहतर नकदी प्रबंधन के कारण ऐसा होने की संभावना है।

बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में शेट्टी ने कहा, ‘हम एक बार फिर अपने आंकड़ों की ओर देखेंगे, जो बैंकिंग व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। कोविड के पहले कासा अनुपात 40 प्रतिशत था, जो कोविड के बाद बढ़कर 45 प्रतिशत हो गया। स्वाभाविक है कि यह 40 प्रतिशत की ओर जा रहा है। अगर सरकार का कुशल नकदी प्रबंधन समय से सामने आ जाता है तो यह और नीचे आ सकता है। ’

उन्होंने कहा, ‘कॉर्पोरेट ने अब कुशल नकदी प्रबंधन की नीति अपनाई है, और सरकार भी प्रभावी नकदी प्रबंधन की ओर बढ़ रही है। इसका मतलब यह हुआ कि फ्लोट फंड उपलब्ध नहीं होगा।’ घरेलू परिचालन में जून के आखिर तक के आंकड़ों के मुताबिक स्टेट बैंक की कुल जमा में कासा की हिस्सेदारी गिरकर 40.7 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले 42.88 प्रतिशत थी। ज्यादातर बड़े बैंकों के कासा अनुपात में पिछले एक साल के दौरान कमी आई है। ग्राहक सावधि जमा की ओर बढ़ रहे हैं, जहां आकर्षक ब्याज दर है।

स्टेट बैंक के चेयरमैन ने कहा कि देश का सबसे बड़ा बैंक कम लागत वाले जमा की हिस्सेदारी बनाए रखने में सफल होगा। उन्होंने कहा कि स्टेट बैंक छोटे कारोबारियों को बेहरीन सेवाएं मुहैया कराकर जमा करने के लिए आकर्षित करेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं कि जमा में वृद्धि नहीं हो रही है। शेट्टी ने कहा, ‘अगर आप कुल मिलाकर आंकड़े देखें तो जमा में पिछले 5 साल में 58 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वहीं ऋण में 56 प्रतिशत वृद्धि हुई है।’खुदरा ऋण पर दबाव का हवाला देते हुए शेट्टी ने कहा, ‘छोटे मूल्य के ऋण (50,000 से 1,00,000 रुपये) को लेकर कुछ मसले हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यह ऐसी स्थिति में नहीं पहुंचा है, जिसे लेकर चिंता की जाए।’

उन्होंने कहा कि हाल के नियामकीय मानकों की वजह से ऋण के बारे में रिपोर्टिंग की अवधि घटी है और अब हर 15 दिन पर सूचना देनी होती है। इसकी वजह से खुदरा संपत्ति की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘अब रिजर्व बैंक ने 15 दिन में नए आंकड़े देना अनिवार्य कर दिया है। इसका मतलब यह है कि दिए जाने वाले ऋण के आंकड़े ज्यादा तेजी से पहुंच रहे हैं। इससे निश्चित रूप से चूक को सुधारने में मदद मिलेगी।’ उन्होंने कहा कि कंपनियों के कर्ज की मांग बेहतर रही है, जो पहली तिमाही के वृद्धि के आंकड़ों में भी नजर आ रहा था।

First Published : September 18, 2024 | 10:48 PM IST