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BS BFSI Summit: मजबूत अर्थव्यवस्था में बैंकों को तेज वृद्धि जारी रहने का भरोसा

बैंकरों ने उल्लेख किया कि अब किस तरीके से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के विभिन्न मानकों पर प्रदर्शन पिछले कुछ साल में करीब बराबर हो गए हैं।

Last Updated- November 07, 2024 | 12:14 AM IST
NPA pressure will increase, there is a possibility of decline in banks' profits in the next financial year NPA का बढ़ेगा दबाव, अगले वित्त वर्ष में बैंकों के मुनाफे में गिरावट की आशंका

BS BFSI Summit: ठोस आर्थिक बढ़ोतरी और बुनियादी आधार मजबूत रहने के कारण भारत में बैंकिंग क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है। साथ ही बैंकों को जोखिम प्रबंधन और अंडरराइटिंग मानकों में सुधार करने और सचेत रहने की भी जरूरत है। बुधवार को बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों ने यह बात कही। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ग्राहक अब बैंकों के केंद्रबिंदु में आ गए हैं और बैंकों को लेकर ग्राहकों का अनुभव बेहतर करने के लिए नवाचार की कवायद की जा रही है।

बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी देवदत्त चंद ने कहा, ‘बैंक के रूप में हम अर्थव्यवस्था की प्रतिछाया होते हैं और जब तक अर्थव्यवस्था मजबूत और तेज बनी रहेगी, मुझे लगता है कि बैंकिंग सेक्टर बेहतर बना रहेगा।’ चर्चा में शामिल शीर्ष बैंकरों ने जोर दिया कि बैंक इस समय डेटा एनालिटिक्स और नवोन्मेषी योजनाओं की पेशकश पर मोटी धनराशि खर्च कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है।

यूको बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अश्वनी कुमार ने कहा, ‘नई योजनाएं लाने के साथ ही हमें भविष्य में अपनी जोखिम प्रबंधन की पद्धतियों में सुधार की जरूरत है। और हर बैंक को अपनी इच्छा के मुताबिक जोखिम उठाना होगा।’

बैंकरों ने उल्लेख किया कि अब किस तरीके से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के विभिन्न मानकों पर प्रदर्शन पिछले कुछ साल में करीब बराबर हो गए हैं और तकनीक व प्रतिभा पर ज्यादा निवेश किया जा रहा है।

केनरा बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी के सत्यनारायण राजू ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने जो वर्तमान स्थिति हासिल की है, वह पिछले 10 वर्षों में भारतीय रिजर्व बैंक, सरकार, बैंक बोर्डों और व्यक्तिगत बैंक प्रबंधन द्वारा की गई कड़ी मेहनत और नियामक दिशानिर्देशों का परिणाम है।

राजू ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब निजी क्षेत्र के बैंकों या प्रतिस्पर्धी बैंकों की तरह काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि बैंक 10 से 12 प्रतिशत की दर के साथ दो अंकों में वृद्धि दर्ज करेंगे।’

बैंकों के सीईओ ने पर्सनल लोन में चूक के ज्यादा स्तर के तथ्य का भी जिक्र किया और कहा कि इनका प्रतिशत इतना नहीं है कि बैंकों पर इसका कोई उल्लेखनीय असर पड़े। असुरक्षित ऋण को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा जताई गई चिंता से सहमत होते हुए उन्होंने कहा कि किसी खास बैंक के बजाय यह पूरी व्यवस्था का मसला है।

इंडियन बैंक के सीईओ शांतिलाल जैन ने कहा, ‘हम उन ग्राहकों को पर्सनल लोन दे रहे हैं, जिनका वेतन पिछले 12 या 24 महीनों से हमारे यहां लगातार आ रहा है। हमारे कुल ऋण में असुरक्षित ऋण करीब 1.4 प्रतिशत हैं। ऐसे में हमें यह कोई बड़ा मसला नजर नहीं आता है।’

कुमार ने कहा कि यूको बैंक का पर्सनल लोन सेगमेंट आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर है और हम लोग हर आवेदन करने वाले को कर्ज नहीं देते हैं। कुमार ने कहा, ‘पिछले 2-3 साल से हम जो कर्ज और चूक देख रहे हैं, वह बहुत कम है। यह 1 प्रतिशत भी नहीं है।’

रीपो रेट में कटौती का लाभ ग्राहकों को देने और जमा की लागत पर असर के बारे में बिजनेस स्टैंडर्ड के सलाहकार संपादक तमाल बंद्योपाध्याय के सवालों का भी बैंकरों ने जवाब दिया। राजू ने कहा, ‘जब दरें बढ़ाई गई थीं, हमें लाभ मिला था। इसी तरह हम कर्ज लेने वालों को लाभ का हिस्सा देंगे, लेकिन जमाकर्ताओं पर तत्काल यह लागू नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह पहले से तय समझौता है। लेकिन हमें स्थिर होने में 3 से 6 महीने लगेंगे।’

बैंक ऑफ बड़ौदा के सीईओ ने कहा, ‘जमा की लागत सिर्फ दर के रुख पर निर्भर नहीं है। यह व्यापक रूप से व्यवस्था में नकदी पर भी निर्भर है। मैं ऐसी स्थिति के बारे में सोच रहा हूं, जब रीपो रेट में कटौती के पहले लागत में कमी आएगी।’

चर्चा में शामिल बैंकरों ने खास नवोन्मेषी योजनाओं के बारे में भी बात की, जो अलग-अलग ग्राहक श्रेणी जैसे वेतनभोगी वर्ग, महिला, युवा, पेशनधारकों और अन्य की जरूरतों के मुताबिक लाई गई हैं।

चंद ने कहा, ‘जहां तक बैंकों का सवाल है, ग्राहक केंद्र में हैं। कई तरीकों से हम ग्राहकों को बेहतर सेवा देने की कवायद कर रहे हैं।’

राजू ने कहा, ‘हम सीबीडीसी के माध्यम से शैक्षिक ऋण ब्याज सब्सिडी देने पर काम कर रहे हैं। हम सरकार के साथ मिलकर विकसित भारत कार्ड पर भी काम कर रहे हैं, जिससे उर्वरक या बीज या गैस सब्सिडी जैसे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरित किए जा सकें।’

कुमार ने भी इसी तरह की राय दोहराते हुए कहा कि यूको बैंक का पर्सनल लोन सेग्मेंट आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है और वे हर उस व्यक्ति को पर्सनल लोन देने की प्रक्रिया में नहीं हैं जिसने आवेदन किया है। कुमार ने कहा, ’पिछले दो या तीन साल में हम जो लोन और चूक देख रहे हैं, वह बहुत कम है। यह 1 प्रतिशत भी नहीं है।’

First Published - November 7, 2024 | 12:14 AM IST

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