प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड वित्त वर्ष 26 में अपनी चमक खो रहे हैं जबकि ये बॉन्ड वित्त वर्ष 25 में जमा वद्धि के सुस्ती के दौर में घरेलू ऋण बाजार से धन जुटाने के लिए वाणिज्यिक बैंकों के पसंदीदा रहे थे। किसी भी बैंक ने वित्त वर्ष 26 में इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से धन जुटाने के लिए घरेलू ऋण बाजार का उपयोग नहीं किया है। लिहाजा उम्मीद यह है कि यदि ऋण की मांग नहीं बढ़ती है तो इसके जरिए धन जुटाना बीते वर्ष की तुलना में काफी कम रहेगा।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी और निजी क्षेत्र के ऋणदाताओं ने वित्त वर्ष 25 में इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के जरिए 94,490 करोड़ रुपये जुटाए थे। बैंकों ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से वित्त वर्ष 24 में 71,080 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 23 में 29,620 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 22 में 27,200 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में किसी बैंक ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के जरिए धन नहीं जुटाया है। इस क्रम में बैंक ऑफ इंडिया ने ही केवल इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से कोष जुटाने की अनुमति ली है। निजी बैंक के अधिकारी ने कहा, ‘दीर्घावधि इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड की आवश्यकता कम हो गई है।’
इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड ऋण प्रतिभूतियां हैं और इन्हें बैंक आधारभूत परियोजनाओं के साथ साथ आवास ऋण के लिए जारी करते हैं। इन दीर्घकालिक इंस्ट्रूमेंट को सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) की आवश्यकताओं से छूट प्राप्त है। सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 25 में इस तरीके जरिए घरेलू ऋण बाजार से धन जुटाया था। दरअसल बैंकिंग उद्योग के लिए धन जमा करना चुनौती हो गया था।
इक्रा के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट व हेड फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग्स अनिल गुप्ता ने बताया, ‘इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में पूर्ववर्ती उच्च स्तरों की तुलना में ऋण वृद्धि सुस्त हो गई है जबकि धन ज्यादा जमा हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप बैंकों के पास इस स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से धन जुटाने के लिए कम प्रोत्साहन है। हालांकि हम अनुमान लगाते है कि एक बार ऋण वृद्धि के गति पकड़ने के बाद बैंक तीसरी तिमाही में इस रास्ते की ओर फिर से रुख कर सकते हैं। बीते साल की तुलना में इस साल इसे जारी करने की मात्रा और मूल्य कम होने की उम्मीद है।’
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार 27 जून को समाप्त पखवाड़े में बैंकों की ऋण वृद्ध दर सालाना आधार पर सुस्त होकर 9.5 प्रतिशत हो गई है जबकि इस अवधि में जमा की दर सालाना आधार पर बढ़कर 10.1 प्रतिशत हो गई है। हालांकि बीते साल की इस अवधि में ऋण वृद्धि रिकार्ड 17 प्रतिशत दर्ज की गई थी और इसमें इस साल तेज गिरावट आई है।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक व प्रबंध साझेदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन के अनुसार कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले साल अपने इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करने के लिए अग्रिम भुगतान किया था। इससे पर्याप्त कोष एकत्रित हो गया था लेकिन अभी तक पूरी तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर उधार में नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा ‘इस खंड में ऋण वृद्धि शानदार नहीं है लेकिन स्थिर है। लिहाजा मार्केट में वापसी की तात्कालिकता सीमित है। इसके अलावा संस्थान जैसे आईआईएफसीएल और एनएबीएफआईडी आधारभूत परियोजनाओं के लिए प्रत्यक्ष तौर पर ऋण मुहैया करवा रहे हैं। लिहाजा बैंकों के लिए दीर्घकालिक कोष जुटाने की आवश्यकता आंशिक रूप से कम हो गई है। बैंकों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड का रुख करने में प्रमुख बाधा प्रचुर प्रणालीगत नकदी है। अन्य कारक यह है कि टियर 2 या एटी 1 इंस्ट्रमेंट्स की तरह इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड नियमकीय पूंजी के तहत नहीं आते हैं। श्रीनिवासन ने बताया कि कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बेसल III मानदंडों के तहत अपने सीईटी1 अनुपात और समग्र पूंजी पर्याप्तता को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं।