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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को ‘नो योर कस्टमर’ (KYC) मानकों में बदलाव किए हैं। यह बदलाव ‘मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम (रिकॉर्ड संधारण) नियमों’ में हाल ही में किए गए संशोधनों के साथ तालमेल बिठाने के लिए किए गए हैं। इसके साथ ही, रिजर्व बैंक ने कुछ मौजूदा निर्देशों में भी संशोधन किया है।
आरबीआई ने 2016 के मास्टर डायरेक्शन -KYC दिशा-निर्देश में संशोधन किया है। इसके तहत, अब सभी रेगुलेटेड एंटिटीज (REs) को ग्राहक की पहचान जांच प्रक्रिया यानी कस्टमर ड्यू डिलिजेंस (CDD) को यूनिक कस्टमर आइडेंटिफिकेशन कोड (UCIC) स्तर पर लागू करना होगा।
RBI द्वारा जारी एक सर्कुलर के अनुसार, अगर किसी रेगुलेटेड एंटिटी (RE) के मौजूदा KYC-सम्पन्न ग्राहक को उसी एंटिटी में नया खाता खोलना है या किसी अन्य उत्पाद या सेवा का लाभ उठाना है, तो ग्राहक की पहचान के लिए नए CDD (ग्राहक पहचान प्रक्रिया) की आवश्यकता नहीं होगी।
आरबीआई ने बताया कि मास्टर डायरेक्शन में किए गए ये संशोधित प्रावधान तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं।
आरबीआई ने CDD प्रक्रिया और केंद्रीय KYC रिकॉर्ड रजिस्ट्री (CKYCR) के साथ KYC जानकारी साझा करने को लेकर भी संशोधन किए हैं। अब, जब भी कोई रिपोर्टिंग इकाई (RE) किसी ग्राहक से नई या अपडेट की गई जानकारी प्राप्त करती है, तो उसे सात दिनों के भीतर या केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित अवधि में CKYCR को अपडेट की गई जानकारी भेजनी होगी। इसके बाद, CKYCR ग्राहक के मौजूदा KYC रिकॉर्ड को अपडेट कर देगा।
CKYCR एक ऐसी इकाई है, जो ग्राहकों के KYC रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में प्राप्त करती है, सुरक्षित रखती है और आवश्यकता पड़ने पर वापस उपलब्ध कराती है।