निजी क्षेत्र के येस बैंंक ने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में क्रेडिट की रफ्तार को सहारा देने के लिए उसे 7,500 करोड़ रुपये की पूंजी की दरकार का अनुमान है। यह अनुमान नियामकीय अनिवार्यता के तीन फीसदी बफर कैपिटल को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है। बैंंक नहीं चाहेगा कि कॉमन इक्विटी टियर-1 (सीईटी-1) अनुपात 11 फीसदी से नीचे फिसले।
बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी प्रशांत कुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से ये बातें कही। उन्होंने कहा कि सीईटी-1 अनुपात मार्च 2021 में 11.2 फीसदी के सहज स्तर पर था जबकि प्रावधान में काफी बढ़ोतरी हुई। बैंक सहज पूंजी बनाए रखकर बढ़त की उम्मीद कर रहा है। फंसे कर्ज में नई रकम जाने के मुकाबले उसे ज्यादा रिकवरी की उम्मीद है। बैंक करीब 5,000 करोड़ रुपये की नकद रिकवरी की उम्मीद कर रहा है। उन्होंने कहा, परिचालन लाभ बढ़त वाली उसकी पूंजी को कवर करने के लिए पर्याप्त होगा। साथ ही सीईटी-1 की गणना के लिए नेटवर्थ में 6,500 करोड़ रुपये की टाली गई कर परिसंपत्तियां घटाई गई है, जो 2.80 फीसदी बैठता है औ्र यह समय के साथ बैंक की सीईटी-1 को मजबूत बनाएगा।
कुमार ने कहा, जिस समय बैंक परिसंपत्तियोंं पर एक फीसदी रिटर्न अर्जित करना शुरू करेगा, आंतरिक सृजन बैंक की जरूरतों को पूरी करने के लिए पर्याप्त होगा। बैंक वित्त वर्ष 23 तक परिसंपत्तियों पर एक फीसदी रिटर्न हासिल करने पर काम कर रहा है। जब तक बैंंक एक फीसदी पर नहीं पहुंचता, वह अपनी पूंजी की जरूरतों के लिए रिजर्व का इस्तेमाल करेगा। 31 मार्च, 2021 को बैंक की परिसंपत्तियोंं पर रिटर्न -5.7 फीसदी था।
बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात मार्च के आखिर में 17.5 फीसदी था। दिसंबर 2020 में यह 19.6 फीसदी रहा था। उन्होंने कहा, वित्त वर्ष 22 की कारोबारी रफ्तार को सहारा देने के लिए पूंजी का मौजूदा आधार पर्याप्त है। कभी राणा कपूर के नियंत्रण में रहे इस बैंक का पुनर्गठन एक पैकेज के तहत किया गया, जहां भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई में भारतीय लेनदारों के समूह ने इक्विटी पूंजी लगाई। दूसरे दौर में लेनदारों ने जुलाई 2020 में बैंक को पुनर्पूंजीकृत करने के लिए अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम के जरिए 15,000 करोड़ रुपये जुटाए।