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यूनियन बैंक बना एसएमई का मददगार

Last Updated- December 10, 2022 | 12:00 AM IST

देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) की समस्याओं का पता लगाने और उन्हें मदद मुहैया कराने के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया आगे आया है।
बैंक ने देश के सभी एमएसएमई क्लस्टरों का अध्ययन किया है। इस अध्ययन के लिए अब तक 7 क्लस्टरों की पहचान की गई है। कुल औद्योगिक उत्पादन में एमएसएमई का योगदान लगभग 40 फीसदी है और देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर में इन उद्योगों की भूमिका 8 फीसदी है।
यह उद्योग कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता क्षेत्र है। हालांकि मौजूदा वैश्विक मंदी के कारण लघु इकाइयां दबाव महसूस कर रही हैं। एमएसएमई इकाइयों का ऑर्डर बुक सिकुड़ता जा रहा है और मंदी की वजह से इनके भुगतान में भी विलंब हो रहा है।
बाजार अनिश्चितता, कम मार्जिन और माल के बढ़ रहे अंबार की वजह से इन लघु इकाइयों का संकट गहरा गया है। बैंक ने इन इकाइयों की समस्याओं का आकलन करने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक एस रमन ने कहा, ‘एमएसएमई क्षेत्र को उधारी हमारी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। इसके अलावा हमने इन इकाइयों के समक्ष पेश आ रही समस्याओं को दूर करने की भी योजना बनाई है। हमने इनके लिए बेहतर उपाय तलाशने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है।’
ये क्लस्टर हैं वाराणसी और भदोही (कालीन), लुधियाना (होजरी, बुने हुए परिधान), तिरुपुर और सूरत (टेक्स्टाइल), हिमाचल प्रदेश में बद्दी (फार्मास्युटिकल्स), जमशेदपुर और पुणे (वाहन कलपुर्जा), मुंबई (रत्न एवं आभूषण), रायपुर और लुधियाना (लौह एवं इस्पात)। बैंक इन क्षेत्रों में पुनर्वास उपायों में मददगार साबित हो सकता है।
बैंक ने अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे खातों के आधार पर एमएसएमई ग्राहकों की ऋण जरूरतों का आकलन करें। इस आकलन में ऋण का पुनर्निर्धारण, जरूरत-आधारित अतिरिक्त ऋण सुविधाएं आदि को शामिल किया जाएगा।
बैंक मझोले आकार की इकाइयों को वित्तीय मदद मुहैया कराने के लिए ‘यूनियन हाई प्राइड’ नामक योजना भी शुरू कर चुका है। इस योजना का उद्देश्य लघु उद्यमियों को मशीनरी और उपकरणों की खरीद के लिए ऋण मुहैया कराना और कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करना है।
एमएसएमई क्षेत्र के लिए बैंक की अग्रिम राशि सितंबर, 2008 के अंत तक 13,884 करोड़ रुपये थी जो कुल अग्रिम राशि का लगभग 16 फीसदी है। यह राशि पिछले वर्ष की समान अवधि में बैंक द्वारा मंजूरी की गई 10,563 करोड़ रुपये की तुलना में 31.44 फीसदी अधिक है।

First Published - February 5, 2009 | 1:27 PM IST

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