भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि डिजिटल उधारी के तरीकों से कर्ज देने में लगी विनियमित इकाइयों (आरई) को मौजूदा डिजिटल ऋण की श्रेणी में डिजिटल उधारी मानकों का पालन करने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त दिया गया है। हालांकि नए ग्राहकों और नया ऋण ले रहे मौजूदा ग्राहकों के मामले में ये मानक तत्काल लागू होंगे।
केंद्रीय बैंक ने एक अधिसूचना में कहा है, ‘आसान लेन-देन सुनिश्चित करने के लिए आरई को 30 नवंबर, 2022 तक का वक्त दिया गया है, जिससे वे पर्याप्त प्रबंधन कर सकें और यह सुनिश्चित हो सके कि मौजूदा डिजिटल ऋण (अधिसूचना जारी होने की तिथि को जारी) भी इन दिशानिर्देशों के अनुपालन की श्रेणी में आते हैं।’ रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि अगर विनियमन में आने वाली इकाइयां (आरई) कर्ज सेवा प्रदाता (एलएसपी)/डिजिटल उधारी ऐप (डीएलए) से आउटसोर्सिंग व्यवस्था में भी प्रवेश करती हैं तो उनके ऊपर बाध्यताएं लागू होंगी। यह सुनिश्चित करना उनका दायित्व होगा कि नियामक के दिशानिर्देशों का पालन करें।
रिजर्व बैंक ने कार्यसमूह की सिफारिशों के आधार पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसे पिछले महीने लागू करने के लिए स्वीकार कर लिया गया। ये दिशानिर्देश सभी तरह के डिजिटल कर्ज पर लागू होंगे, जो वाणिज्यिक बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, और प्राथमिक, राज्य व जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा दिए जा रहे हैं। स्वीकार की गई सिफारिशों में यह भी शामिल है कि जारी किया गया कर्ज और पुनर्भुगतान सिर्फ कर्ज लेने वाले के बैंक खाते से होगा और यह ऋण सेवा प्रदाता (एलएसपी) या किसी थर्ड पार्टी के पूल खाते में नहीं डाला जाएगा। केंद्रीय बैंक ने यह निर्धारित कर दिया है कि उधारी लेने वाले के खाते में ही धन डाला जाएगा। इसमें केवल वैधानिक या नियामकीय जरूरतों के तहत जारी धन, संयुक्त रूप से उधारी लेने के मामले में आरई के बीच धन के आदान प्रदान, किसी खास अंतिम उपभोग के लिए जारी धन, अंतिम लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे जारी कर्ज शामिल नहीं होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने साफतौर पर कहा है कि किसी भी मामले में एलएसपी और डिजिटल ऋण देने वाले ऐप (डीएलए) के खातों सहित किसी भी थर्ड पार्टी के खाते में धन नहीं दिया जाएगा। आरई को सुनिश्चित करना होगा कि एलएसपी को किसी भी आवश्यक शुल्क का भुगतान उनके द्वारा स्वतः किया जाए और उधारी लेने वाले सी सीधे शुल्क न लिया जाए। केंद्रीय बैंक ने यह भी साफ किया है कि उधारी लेने वालों पर जुर्माना कर्ज की बकाया राशि के मुताबिक होनी चाहिए। इस तरह के जुर्माने की दर सालाना आधार पर साफ तौर पर की फैक्ट स्टेटमेंट (केएफएस) में करना होगा।