अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये मे गुरुवार को खासी मजबूती दर्ज हुई क्योंकि फेडरल रिजर्व के हालिया मौद्रिक नीति बयान ने उम्मीद जगाई है कि केंद्रीय बैंक दरों में सख्ती के अपने साइकल के आखिरी पायदान पर है। डीलरों ने यह जानकारी दी।
देसी करेंसी अमेरिकी डॉलर के खिलाफ 82.26 पर टिकी, जो एक दिन पहले 82.67 पर बंद हुई थी। गुरुवार की चाल 3 मार्च के बाद डॉलर के मुकाबले सबसे तेज एकदिवसीय बढ़त और 13 मार्च के बाद सबसे मजबूत बंद भाव को प्रदर्शित करती है।
साल 2022 में डॉलर के मुकाबले करीब 10 फीसदी टूटने के बाद रुपये ने मौजूदा कैलेंडर वर्ष में अभी तक 0.6 फीसदी की तेजी दर्ज की है।
बुधवार देर शाम अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों का इजाफा किया और फेडरल फंड की दरें अब 4.75-5.00 फीसदी है। इस बढ़ोतरी के साथ मार्च 2022 से अब तक ब्याज दरों में 475 आधार अंकों का इजाफा हो चुका है।
फेड ने भले ही ब्याज दरें बढ़ाई, लेकिन भविष्य में सख्ती को लेकर फेड का रुख पहले के मुकाबले नरम माना जा रहा है, खास तौर से आगर हालिया अमेरिकी बैंकिंग संकट को देखें तो।
येस बैंक के अर्थशास्त्री ने कहा, कीमत में स्थिरता पर लगातार फेड की नजर बनी हुई है, लेकिन आगे के अनुमान को लेकर भाषा बदली है।
ज्यादातर विश्लेषक अब उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी महीनों में एक बार 25 आधार अंकों का इजाफा होगा जबकि कुछ का मानना है कि अब और सख्ती नहीं होगी।
बाजार के कुछ सेगमेंट साल 2023 में आगे फेड की तरफ से दरों में कटौती मानकर चल रहे हैं क्योंकि अमेरिकी बैंकिंग सिस्टम में उतार-चढ़ाव ने सख्त वित्तीय हालात पैदा कर दिए हैं और गुरुवार को अमेरिकी डॉलर इंडेक्स काफी कमजोर हुआ। 3.30 बजे इंडेक्स 102.37 पर था, जो गुरुवार को इस वक्त 103.28 रहा था।
एचडीएफसी बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष (ओवरसीज ट्रेजरी) भास्कर पांडा ने कहा, मुझे लगता है कि आगे रुपये का दायरा 81-83 प्रति डॉलर होगा।
भुगतान संतुलन में सुधार हुआ है क्योंकि तेल की कीमतें घटी हैं, लेकिन जब तक पूंजी खाते में प्रवाह दोबारा नहीं होता तब तक आप रुपये के आयाम में तब तक ज्यादा बदलाव नहीं देखेंगे जब तक कि अमेरिकी ब्याज दरें ऊंची बनी रहती हैं।
सिन्हन बैंक के उपाध्यक्ष कुणाल सोढानी का अनुमान है कि इस महीने के आखिर तक रुपये का दायरा प्रति डॉलर 81.80 से 82.80 रहेगा।
फॉरवर्ड प्रीमियम में उछाल
अब बाजार समझने लगा है कि फेड ब्याज दरों में बढ़ोतरी के अपने आखिरी साइकल में पहुंच रहा है, ऐसे में डॉलर-रुपये का फॉरवर्ड प्रीमियम पिछले कुछ हफ्तों में तेजी से बढ़ा है। फॉरवर्ड प्रीमियम भारत व अमेरिका के ब्याज दरों में अंतर को प्रतिबिंबित करता है।
साल 2022 में फॉरवर्ड प्रीमियम 11 साल के निचले स्तर तक लुढ़क गया था क्योंकि दरों में अंतर काफी तेजी से सिकुड़ा था। इसकी वजह आरबीआई के मुकाबले फेड की तरफ से तेज गति से ब्याज बढ़ोतरी थी।
आरबीआई ने मई 2022 के बाद से ब्याज दरों में 250 आधार अंकों का इजाफा किया है। ब्याज दरों में कम अंतर विदेशी निवेशकों को भारतीय परिसंपत्ति की ओर कम आकर्षित करता है।
8 मार्च के बाद से एक साल का फॉरवर्ड प्रीमियम 34 आधार अंक उछला है जब सिलिकन वैली बैंक धराशायी हुआ था। मंगलवार को दर 2.48 फीसदी थी, जो 20 अक्टूबर, 2022 के बाद का उच्चस्तर है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।