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रिजर्व बैंक ने दिए सख्ती के संकेत

Last Updated- December 11, 2022 | 3:30 PM IST

 अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था वृद्धि की रफ्तार में मामूली कमी को दूर करने को तैयार है। वहीं नियामक ने मौद्रिक नीति में और सख्ती के संकेत देते हुएमहंगाई दर को लक्षित स्तर पर बनाए रखने पर जोर दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘मौद्रिक नीति की कार्रवाई से महंगाई को उम्मीद के मुताबिक रखा जा सकता है और इससे मध्यावधि के हिसाब से वृद्धि पर पड़ने वाले विपरीत असर को घटाया जा सकता है।’ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत थी, जो केंद्रीय बैंक के 16.2 प्रतिशत अनुमान की तुलना में कम है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘महंगाई दर बढ़े स्तर पर बनी हुई है और यह सहनशीलता के स्तर के ऊपर है। यह मौद्रिक नीति की दूसरे स्तर की कार्रवाई और महंगाई दर से निपटने की जरूरत पर जोर दे रही है।’
इस साल मई महीने से केंद्रीय बैंक ने नीतिगत रीपो रेट में 140 आधार अंक की बढ़ोतरी की है और यह 5.4 प्रतिशत हो गया है। वहीं महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय 6 प्रतिशत ऊपरी सीमा के पार चल रही है। अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर पिछले साल के समान महीने की तुलना में बढ़कर 7 प्रतिशत पर पहुंच गई है और यह 2022 के सभी 8 महीनों में केंद्रीय बैंक की ऊपरी सीमा से ऊपर बनी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वैश्विक आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार सुस्त पड़ने से महंगाई पर असर पड़ सकता है, जो अभी बढ़े स्तर पर बनी हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था विकास की गति में मामूली कमी को दूर करने को तैयार है।’
डिप्टी गवर्नर और मौद्रिक नीति के प्रभारी माइकल पात्र सहित रिजर्व बैंक के स्टाफ द्वारा लिखित अर्थव्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट में पाया गया है कि मांग बढ़ी हुई है और त्योहारों के मौसम में इसके और गति पकड़ने की संभावना है। इसमें कहा गया है, ‘घरेलू वित्तीय स्थितियां वृद्धि को समर्थन देने वाली बनी हुई हैं।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीपीआई महंगाई दर अगस्त में शीर्ष पर थी। अवलोकन का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में महंगाई दर पूर्वानुमान के अनुरूप थी, लेकिन आधार का असर खत्म होने से जुलाई की तुलना में इसमें 30 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई है। इसमें कहा गया है, ‘बहरहाल खाद्य कीमतों खासकर मोटे अनाज की वजह से दबाव बढ़ा है। लेकिन ईंधन और प्रमुख क्षेत्रों ने मामूली राहत दी है।’ इसमें कहा गया है कि आधार का असर वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में पक्ष में है, जिससे महंगाई में कमी आ सकती है, हालांकि महंगाई बढ़ने का भी जोखिम है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक रूप से गतिविधियों में सुस्ती की वजह से महंगाई कम हो रही है और जुलाई में वैश्विक महंगाई घटकर 0.3 प्रतिशत रहा है, जबकि साल की पहली छमाही में इसका औसत 0.7 प्रतिशत था। घरेलू वृद्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में खाद्यान्न उत्पादन का 32.8 करोड़ टन का लक्ष्य पिछले साल के उत्पादन से सिर्फ 4 प्रतिशत ज्यादा है। जुलाई महीने में औद्योगिक उत्पादन की गति नकारात्मक चली गई है, लेकिन ऐसा लगातार 7 महीने की तेजी के बाद हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘घरेलू वित्तीय स्थितियां ऐसे वातावरण का निर्माण कर रही हैं, जिससे वृद्धि की रफ्तार को और मजबूत किया जा सकता है।’ इसमें कहा गया है कि बैंकों द्वारा दिया जाने वाला ऋण हर पखवाड़े बढ़ रहा है और बैंक इस कवायद में लग गए हैं कि जमा में बढ़ोतरी की जाए जिससे कि ऋण की मांग पूरी की जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकों की महानगरों में स्थित शाखाओं से बैंक ऋण का 60 प्रतिशत से ज्यादा दिया जाता है और आधे से ज्यादा इन्ही शाखाओं में जमा होता है। यह बैंकिंग कारोबार की वृद्धि के मुख्य चालक रहे हैं। 
 

First Published - September 16, 2022 | 10:57 PM IST

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