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अनुबंध खेती में बैंकों का हल

Last Updated- December 06, 2022 | 12:42 AM IST

देश के वाणिज्यिक बैंक एक नई नीति अनुबंध खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) को अपनाने पर विचार कर रहे हैं।


कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बदौलत वे न केवल उधार जुटा सकते हैं बल्कि कृषि क्षेत्र के अपने ऋण लक्ष्य को भी पा सकते हैं।लगभग सभी बैंक कृषि के ऋण लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रहें हैं। कृषि ऋण का लक्ष्य शुध्द ऋण का 18 प्रतिशत था। चुनाव के समय के नजदीक होने से अब बैंकों पर वित्त मंत्रालय का दबाव है कि वे कृषि ऋण का विस्तार करें।


कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में कंपनी और किसान के बीच पूर्व निर्धारित मूल्य पर एक करार होता है जिसमें गुणवत्ता के मानक, परिमाण, कृषि योग्य भूमि का रकबा या करार की अवधि शामिल होती है। इस व्यवस्था के अंतर्गत ठेकेदार खेती के लिए लागत संबंधित जरूरतों की पूर्ति करता है जबकि किसान भूमि और मजदूरी से संबंधित जरुरतों को पूरी करते हैं।


निजी क्षेत्र के बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। कई कंपनियां अब अपनी निर्यात संबंधी जरुरतों को पूरा करने के लिए और केंद्र एवं राज्य सरकार से मिलने वाली विभिन्न छूटों और लाभों को प्राप्त करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का रुख कर रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से वर्ष 2010 तक देश का कृषि निर्यात दोगुना होकर 20 अरब डॉलर का हो जाएगा।


उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में अगर किसान की फसल अच्छी गुणवत्ता वाली है और अंतिम उत्पाद बैंक से गठजोड़ कर चुकी कंपनी तक पहुंचा दी गई है तभी नकदी प्रवाह सुरक्षित है। केवल राष्ट्रीयकृत बैंक ही इसे नजदीक से मॉनीटर करने की पहुंच रखती है।


इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एस ए भट्ट ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का भविष्य उवल है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में सभी शेयरधारकों को लाभ होगा। बैंक के लिए सबसे बड़ा लाभ यह है कि ऋण की वसूली सुनिश्चित है। आईओबी ने हाल ही में मिशन बायोफ्यूल्स इंडिया के साथ तेल निकालने के  लिए जैट्रोफा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए समझौता किया है।


इस समझौते के तहत बैंक किसानों को 25,000 रुपये तक का ऋण 10 प्रतिशत के ब्याज दर पर देगा। कंपनी उधार लेने वालों का चयन कर उनकी लागत संबंधी जरुरतों को पूरी करेगी और उत्पादों की वापस खरीदारी की व्यवस्था करेगी।


भट्ट ने कहा कि शुरुआत में बैंक ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और महाराष्ट्र के सात जिलों के 25 किसानों को  ऋण दिया है और जल्दी ही आने वाले वर्षों में इस योजना को  देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाया जाएगा।


बैंक चरणबध्द तरीके से देश के अन्य हिस्सों में इस योजना का विस्तार करेगी और अगले दो वर्षों में इसने 20,000 किसानों को ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।स्टेट बैंक ऑफ मैसूर के प्रबंध निदेशक पी पी पटनायक ने कहा कि इस प्रकार की फाइनैंसिंग में बैंकों को अपार संभावनाएं दिख रही हैं। बैंक ने कोयम्बटूर स्थित सुगुना पोल्ट्री फार्म के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत करने के लिए समझौता किया है।


उन्होंने कहा कि ऐसी ही परियोजना के लिए बैंक तीन अन्य कंपनियों से बातचीत कर रहा है। स्टेट बैंक ऑफ मैसूर किसानों को तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध कराने के साथ-साथ पूंजी-खर्च का 75 प्रतिशत तक और कार्यशील पूंजी का 80 से 85 प्रतिशत तक उपलब्ध कराएगा। केवल इस परियोजना के लिए बैंक ने 30 करोड़ रुपये के ऋण का लक्ष्य रखा है।


भारत में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत का श्रेय आईसीआईसीआई बैंक को जाता है जिसने वर्ष 2000 के आरंभ में इसका शुभारंभ किया था। इस बैंक ने हिंदुस्तान यूनीलीवर और रैलिस जैसे कॉर्पोरेट घरानों के साथ कृषि-ऋण लक्ष्य को बढ़ावा देने के लिए समझौता किया था।


आईसीआईसीआई के सूत्रों के अनुसार बैंक देश भर में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के वित्तपोषण की योजना बना रही है ताकि किसी क्षेत्र विशेष के व्यवस्थागत और एकल फसल से जुड़े जोखिमों को कम किया जा सके। कॉन्टैक्ट फार्मिंग मॉडल के लिए बैंक कॉर्पोरेट और गैर सरकारी संस्थानों, दोनों को लक्ष्य कर रही है। आईसीआईसीआई बैंक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मॉडल के माध्यम से बागान-उद्योग, डेयरी और बीज कंपनियों को उधार देने के बारे में विचार कर रहा है।

First Published - April 29, 2008 | 11:39 PM IST

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