बैंक की हालत सुधरती दिख रही है। कम से कम आंकड़े यही बता रहे हैं? रिजर्व बैंक ने पिछली तीन महीनों में बैंकों को नकदी यानी तरलता के संकट से उबारने के लिए क्या नहीं किया।
कई चरणों में सीआरआर और रेपो-रिवर्स रेपो दरों में कमी की। इसी का असर है कि नकदी के संकट से जूझ रहे बैंक हर महीने अपनी जरूरतों के लिए रिजर्व बैंक से अरबों रुपए उधार ले रहे थे। लेकिन नवंबर और दिसंबर में हालातों में परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।
बैंकों ने केंद्रीय बैंक से उधार लेने के बजाए अपनी अतरिक्त जमा राशि आरबीआई के पास जमा की है। सितंबर और अक्टूबर में बैंकों ने रिजर्व बैंक से औसतन रोजाना क्रमश: 41,929 करोड़ और 39,082 करोड़ रुपए उधार लिए थे जबकि नवंबर-दिसंबर में उधार लेने के बजाए बैंकों ने रिजर्व बैंक में अपना पैसा जमा किया है।
नवंबर में बैंकों ने रिजर्व बैंक में औसतन रोजाना 4,901 करोड रुपए जमा किए जबकि दिसंबर में बैंकों ने औसतन रोजाना करीब 28,890 करोड़ रुपए जमा किए।
बैंकों के हालत को सुधारने के लिए पिछले तीन महीनों में ही रिजर्व बैंक ने कई चरणों में नकद आरक्षी अनुपात नौ फीसदी से घटाकर 5 फीसदी पर ला दिया,
रेपो रेट को भी नौ फीसदी से घटाकर साढे पांच फीसदी तक कर दिया जबकि रिवर्स रेपो में दो फीसदी की कटौती की गई और इसे चार फीसदी पर ला दिया गया, जो अब तक का न्यूनतम है। इसके अलावा तिमाही के दौरान एसएलआर को 25 से घटाकर 24 फीसदी पर ला दिया गया।
इनका सीधा असर बैंकों की तरलता पर पड़ा है। आईडीबीआई गिल्ट्स के उपाध्यक्ष और ट्रेजरी प्रमुख श्रीनिवास राघवन का कहना है कि अब यह कहना मुश्किल नहीं लगता कि बैंकों के सामने जो तरलता का संकट पैदा हुआ था वो अब खत्म हो गया है, कॉल दरें भी साढ़े चार-पांच फीसदी से घटकर चार फीसदी पर टिकी हैं आने मौजूदा तिमाही बेशक पिछली तिमाही से बेहतर रहेगी।
रिजर्व बैंक की प्राथमिकता तेजी से निकल रही विदेशी पूंजी से निपटने के लिए पूरे वित्तीय प्रणाली में तरलता को बढ़ाना रहा है। इन कदमों के बाद ही बैंकों ने भी अपनी ब्याज दरों में कटौती की और बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में इजाफा दिखा।
बैंकों का आरबीआई से लेनदेन
रोजाना का औसत
(करोड़ रु में) कुल
सितंबर -21645 -411250
अक्टूबर -39082 -703470
नवंबर 4901 93115
दिसंबर 28890 606695
बदलाव फीसदी में
सीआरआर 9 5
रेपो 9 5.5
रिवर्स रेपो 6 4
एसएलआर 25 24