मुश्किल में फंसे लक्ष्मी विलास बैंक के शेयरधारकों के बड़े वर्ग ने सालाना आम बैठक में बैंक के प्रबंध निदेशक व सीईओ एस सुंदर, सात निदेशकों और अंकेक्षकों की दोबारा नियुक्ति के खिलाफ मतदान किया है। हाल में संशोधित बैंकिंग नियमन अधिनियम के तहत यह शायद पहला मामला होगा, जो मोरेटोरियम लगाए बिना आरबीआई को किसी बैंक के पुनर्गठन या एकीकरण पर विचार करने के लिए सशक्त बनाता है।
एक प्रवर्तक केआर प्रदीप गैर-स्वतंत्र निदेशक हैं, जिनके खिलाफ शेयरधारकों ने मतदान किया है। उनके पास 30 जून, 2020 को बैंक की 2 फीसदी हिस्सेदारी थी।
बैंक ने एक बयान मेंं कहा, नए प्रबंध निदेशक की नियुक्ति होने तक मौजूदा प्रबंधन टीम अपने निदेशक मंडल के साथ बैंक के रोजाना के कामकाज पहले की तरह पूरा करेगी। तीन स्वतंत्र निदेशकों के साथ बैंक का निदेशक मंडल अपना कामकाज जारी रखेगा।
यह घटनाक्रम ऐसे समय मेंं हो रहा है जब लक्ष्मी विलास बैंक एयॉन समर्थित और प्रमोद भसीन के गठन वाली क्लिक्स कैपिटल के साथ विलय का समझौता करने के करीब है और पूंजी जुटाने की प्रक्रिया में है। विगत में बैंक को श्रेय कैपिटल ने आकर्षित किया था। आरबीआई के एतराज तक वह इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस के साथ सौदा करने वाला था।
बैंक क्लिक्स समूह का बैंक के साथ प्रस्तावित विलय पर विचार जारी रखेगा। दोनों तरफ से जांच परख (ड््यू डिलिजेंस) करीब-करीब पूरा हो गया है। बैंक ने एक बयान में ये बातें कही। इसके अतिरिक्त शेयरधारकों ने एफपीओ, राइट्स इश्यू, क्यूआईपी आदि के जरिए अतिरिक्त पूंजी जुटाने को भी मंजूरी नहीं दी। बैंक ने एक बयान में ये बातें कही। शेयरधारकों ने पूंजी का विस्तार 650 करोड़ रुपये से 1,000 करोड़ रुपये करने की मंजूरी दी थी।
कमजोर क्रेडिट प्रोफाइल, फंसे कर्ज ज्यादा होने और कम पूंजी व नुकसान के कारण बैंक 27 सितंबर 2019 से आरबीआई की त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के दायरे में है। वह कंपनियों व दबाव वाले और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को उधारी पर पाबंदी का सामना कर रहा है। उसकी गैर-निष्पादित आस्तियां 9.6 फीसदी रही जबकि पूंजी पर्याप्तता अनुपात महज 0.17 फीसदी। बैंंक का टियर-1 पूंजी अनुपात 31 मार्च, 2020 और 30 जून 2020 को क्रमश: -0.88 फीसदी व -1.83 फीसदी रहा जबकि न्यूनतम अनिवार्यता 8.875 फीसदी की है। जून 2020 की तिमाही में बैंक का नुकसान 112.28 करोड़ रुपये रहा। 2019-20 में बैंक ने 836.04 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था। 10 तिमाहियों से बैंक नुकसान दर्ज कर रहा है।
करीब 60 फीसदी शेयरधारकों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया, जिसमें बैंक के अंतरिम एमडी व सीईओ सुंदर, सात स्वतंत्र निदेशकों की दोबारा नियुक्ति की मांग की गई थी। कुछ शेयरधारकों ने कहा कि जिस तरह से बैंंक का प्रबंधन हो रहा है और उसकी वित्तीय स्थिति का क्षरण हो रहा है, उसे लेकर वे नाखुश हैं।
लक्ष्मी विलास बैंक ने सप्ताहांत में बीएसई को मतदान के नतीजे भेजे और यह बताता है कि जो प्रस्ताव पारित नहीं हो पाए उनमे सुंदर की प्रबंध निदेशक व सीईओ पद पर दोबारा नियुक्ति, एन साईप्रसाद, गौरिका जगमोहन राव, रघुराज गुज्जर, के आर प्रदीप, बीके मंजूनाथ और वाई एन लक्ष्मीनारायण समेत स्वतंत्र निदेशकों की दोबारा नियुक्ति का प्रस्ताव शामिल है। शेयरधारकों ने सिर्फ तीन निदेशकों शक्ति सिन्हा, सतीश कुमार कालरा और मीता माखन की नियुक्ति को हरी झंडी दिखाई। इसके अतिरिक्त निदेशक मंडल में आरबीआई की तरफ से नियुक्त दो निदेशक हैं।
आईआईएएस के प्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा कि शेयरधारकों ने आरबीआई को संदेश भेज दिया है। अब मामला आरबीआई के हाथ में है।