सरकार सात सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों में कैपिटल एडिक्वेंसी रेशियो (सीएआर) को 12 फीसदी पर लाने के लिए इनमें तीन हजार करोड़ रुपये डाल सकती है ताकि बैंकिंग क्षेत्र पर निवेशकों का भरोसा लौटाया जा सके।
सरकार के इस कैपिटेलाइजेशन कार्यक्रम में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा, यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल है। इन सबका रिस्क वेटेड असेट रेशियो (सीआरएआर) 12 फीसदी से कम है।
हालांकि अभी इस योजना के अंतिम रूप दिया जाना बाकी है, लेकिन 3,000 करोड़ रुपये बैंकों को जल्द ही मिलने वाले हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह कैपिटेलाइजेशन डेट इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से होगा। बैंकें टीयर-2 बांड या फिर प्रिफरेंशियल शेयर जारी कर सकते हैं जो सरकार द्वारा सब्सक्राइब किया जाएगा।
इस समय किसी भी भारतीय बैंक का सीएआर 10 फीसदी से कम नहीं है, जबकि आरबीआई की शर्तों के अनुसार बैंकों को सीएआर 9 फीसदी होना चाहिए। सरकार उन्हें यह अतिरिक्त सीएआर इसलिए उपलब्ध करा रही है ताकि यह संदेश जाए कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम में सबकुछ ठीकठाक है।
हालांकि यह कदम अमेरिका और यूरोप द्वारा किए गए उपायों से अलग है। यहां की सरकार ने यह कदम वैश्विक वित्त बाजार में आए संकत से अपने बैंकिंग सिस्टम को महफूज रखने के प्रयासों के तहत उठा रहा है।