केंद्र सरकार ने राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपये दीर्घावधि ब्याज रहित पूंजीगत व्यय देने की योजना बनाई थी, जिसमें से अब तक 30,000 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जबकि बिजनेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक सितंबर तिमाही के अंत तक 70,000 करोड़ रुपये और जारी कर दिए जाएंगे। इक्षस से राशि से राज्य अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश कर सकेंगे।
जुलाई महीने में उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था पूरे 1 लाख करोड़ रुपये सितंबर के अंत तक जारी कर दिए जाएंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘केंद्र ने 30,000 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय ऋण को मंजूरी दे दी है और इस तिमाही के अंत तक 60,000-70,000 करोड़ रुपये ऋण को मंजूरी मिल सकती है।’
राज्यों को दिया जाने वाला एक लाख करोड़ रुपये का 50 साल के लिए ब्याज रहित पूंजीगत व्यय ऋण केंद्र सरकार की वित्त वर्ष 23 की 7.5 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय योजना का हिस्सा है। इस राशि में से करीब 80,000 करोड़ रुपये बगैर किसी शर्त के है। वहीं 20,000 करोड़ रुपये पीएम गतिशक्ति संबंधी पूंजीगत व्यय, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, शहरी क्षेत्र के सुधार और डिजिडल इंडिया पहल के तहत फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाने के लिए है।
राज्यों को 80,000 करोड़ रुपये उसी फॉर्मूले से जारी होंगे, जैसे उन्हें 15वें वित्तीय आयोग की सिफारिशों के मुताबिक कर विभाजन वाले खाते से मिलता है। इस तरह से इस राशि का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश (17.9 प्रतिशत), बिहार (10 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (7.8 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (7.5 प्रतिशत), महाराष्ट्र (6.3 प्रतिशत) और राजस्थान (6 प्रतिशत) को मिलेगा।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि यह साफ है कि उत्तर प्रदेश को पूंजीगत व्यय ऋण का ज्यादा हिस्सा मिलेगा क्योंकि यह 15वें वित्त आयोग के राजस्व साझा करने के फार्मूले के मुताबिक दिया जाएगा।
बहरहाल इस 80,000 करोड़ रुपये राशि से अभी भी 2 शर्तें जुड़ी हुई हैं। पहली, राज्यों को सिंगल नोडल अकाउंट (एसएनए) व्यवस्था स्वीकार करनी होगी और दूसरा वे केंद्र के ब्रांडिंग नियमों को नहीं तोड़ेंगे।
एसएनए का मतलब यह है कि राज्य आवश्यक रूप से एक योजना के लिए एक खाता रखेंगे और उस योजना की सभी राशि का लेनदेन उसी खाते से होगा। इसका सीधा मतलब यह है कि केंद्र सरकार हजारों खातों की निगरानी के बजाय महज करीब 3,000 खातों की निगरानी करेगी। एसएनए डैशबोर्ड के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकारें देश सकेंगी कि कितनी धनराशि दी गई है और कितनी राशि राज्यों को दी गई है व कितनी राशि योजना को लागू करने वाली एजेंसी को दी गई है। पिछले वित्त वर्ष में केंद्र ने एसएनए के माध्यम से करीब 10,000 करोड़ रुपये बचाए थे।