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बैंकिंग में एफडीआई नियमों की समीक्षा

Last Updated- December 11, 2022 | 3:55 AM IST

बैंकिंग क्षेत्र के लिए नए विदेशी सीधे निवेश (एफडीआई) के दिशानिर्देशों की समीक्षा की जा सकती है ताकि अधिक विदेशी हिस्सेदारी वाले विदेशी बैंकों को किसी प्रकार की समस्या से न जूझना पडे।
प्रेस नोट 2,3 और चार में वर्णित नए मानदंडों के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक विदेशी हिस्सेदारी वाले फर्मों के निवेश को एफडीआई माना जाएगा।
इस प्रकार आईसीआईसीआई बैंक की तरह के बैंक, जिनमें विदेशी हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक है, के द्वारा किए जाने वाले किसी निवेश को विदेशी स्वामित्व वाला लेकिन भारतीय-नियंत्रित इकाई के रूप में देखा जाएगा और यह एफडीआई के दायरे में आएगा।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त मंत्रालय से कहा था कि औद्योगिक नीति एवं संवर्ध्दन विभाग (डीआईपीपी) द्वारा फरवरी 2009 में जारी किए गए प्रेस नोट का प्रभाव सात भातीय निजी बैंकों पर हो सकता है।
इन प्रेस नोट के प्रावधानों के अनुसार केंद्रीय बैंक ने पाया कि आईसीआईसीआई बैंक, आईएनजी वैश्य, यस बैंक, डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक, इंडसइंड बैंक और फेडरल बैंक विदेशी स्वामित्व वाले भारतीय-नियंत्रित बैंक बन जाते हैं।
परिणामस्वरूप, इनके द्वारा किए जाने वाले निवेशों पर एफडीआई मार्ग से निवेश करने की शर्तें लागू होंगी। डीआईपीपी मानता है कि एक विनियमित क्षेत्र है इसलिए एफडीआई के मामलों में इसे अतिरिक्त प्रावधानों की जरूरत हो सकती है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस मुद्दे की जांच की जाएगी, इसके बाद विभिन्न मंत्रालयों में मंत्रणा होगी जिसमें डीआईपीपी, वित्तीय सेवाओं के विभाग, आर्थिक मामलों के मंत्रालय और आरबीआई शामिल होंगे। अगर बातचीत में सब इस बात पर एकमत होते हैं कि बैंकिंग क्षेत्र को कोई खास रियायत दी जानी चाहिए, तो उन पर विचार किया जाएगा।’
नए नियम तभी लागू होंगे जब उन्हें विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम के तहत अधिसूचित किया जाता है। हालांकि, विभिन्न मंत्रालयों के बीच होने वाली मंत्रणा की वजह से इस प्रक्रिया में विलंब हो सकता है।

First Published - April 29, 2009 | 9:58 AM IST

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