भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि कार्ड कंपनियां अमेरिकन एक्सप्रेस और डाइनर्स क्लब इंटरनैशनल 1 मई से भारत में नए ग्राहक नहीं बना सकती हैं क्योंकि उन्होंने स्थानीय डेटा भंडारण के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है।
आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर एक अधिसूचना में कहा, ‘यह पाया गया है कि ये कंपनियां भुगतान प्रणाली के डेटा के भंडारण से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं। हालांकि इस आदेश से मौजूदा ग्राहक प्रभावित नहीं होंगे।’ केंद्रीय बैंक ने अप्रैल 2018 में सभी भुगतान प्रणाली प्रदाताओं से कहा था कि वे किसी प्रणाली में अपना पूरा डेटा भारत में ही भंडारित करें। उन्हें अनुपालन की रिपोर्ट आरबीआई को देनी थी और बोर्ड से मंजूर तथा सीईआरटी के पैनल में शामिल ऑडिटर से ऑडिट कराई हुई सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट (एसएआर) निर्धारित समयसीमा में देनी थी। आरबीआई ने उन्हें अनुपालन के लिए छह महीने का समय दिया था।
इसे लेकर काफी हो-हल्ला मचा। अमेरिकी कंपनियां इस मामले में अमेरिकी सरकार को शामिल कर भारत और आरबीआई पर दबाव बनाना चाहती थीं ताकि नियमों को सरल बनाया जाए। आरबीआई के स्थानीय स्तर पर डेटा भंडारित करने के दिशानिर्देशों का विरोध करने के लिए वीजा, मास्टरकार्ड, अमेरिकन एक्सप्रेस, पेपाल, गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, एमेजॉन और वैश्विक बैंकों ने उद्योग स्तर का लॉबी समूह बनाने के लिए आपस में खूब चर्चा की थी।
कुछ अन्य शक्तिशाली लॉबी समूहों जैसे सिक्योरिटीज इंडस्ट्री ऐंड फाइनैंशियल मार्केट्स एसोसिएशन (एसआईएफएमए), ग्लोबल फाइनैंशियल मार्केट्स एसोसिएशन (जीएफएमए) और यूएस-इंडिया बिज़नेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) स्थानीय स्तर पर डेटा के नियमों को आसान बनवाने के लिए अमेरिकी कंपनियों के पक्ष में काम कर रहे हैं। शुरुआत में केंद्र सरकार में शामिल कुछ लोगों ने भी बीच का रास्ता निकालने का पक्ष रखा था, लेकिन आरबीआई अपने रुख पर अडिग़ रहा। इस तरह जो कोई भारत में भुगतान लेनदेन करना चाहता है, उसे आरबीआई के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।