भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पंजाब ऐंड सिंध बैंक (पीऐंडएसबी) में पूंजी डालने के लिए जारी किए गए शून्य ब्याज दर वाले बॉन्ड पर सवाल उठा सकता है। समझा जा रहा है कि ये बॉन्ड जिस रूप में जारी किए गए हैं उसे लेकर आरबीआई को एतराज हो सकता है। सरकार ने कुछ दिनों पहले ही पीऐंडएसबी को शून्य ब्याज वाले बॉन्ड जारी किए हैं। बैंकिंग नियामक परिपक्वता अवधि तक (हेल्ड-टू-मैच्योरिटी) श्रेणी में इस बॉन्ड को अंकित मूल्य के बजाय कम मूल्य पर (डिस्काउंट पर) रखने के लिए कह सकता है। ये शून्य ब्याज वाले बॉन्ड परमपरागत रूप से जारी होने वाले शून्य ब्याज वाले बॉन्ड से इस मायने में अलग हैं कि ये अंकित मूल्य पर ही जारी किए गए हैं। आम तौर पर शून्य ब्याज वाले बॉन्ड कुछ छूट पर जारी होते हैं, इसलि तकनीकी रूप से निवेशकों को कुछ ब्याज मिल जाता है।
इस बारे में एक सूत्र ने कहा, ‘बॉन्ड के मौजूदा रूप में बदलाव किए जा सकते हैं। बॉन्ड जिस रूप में जारी किए गए हैं उससे बॉन्ड बाजार को नुकसान पहुंच सकता है। बॉन्ड पर इस गणना के आधार पर पूंजी नहीं जुटाई सकते हैं। अगर इस बॉन्ड की इजाजत दी गई तो इसका बेजा इस्तेमाल हो सकता है।’ हालांकि यह भी कहा गया कि बैंक में पूंजी डालने के लिए शून्य ब्याज दर वाले बॉन्ड कोई समस्या नहीं है, लेकिन बॉन्ड के मूल्य की गणना जिस तरह से की जा रही है वह परेशानी खड़ी सकता है। इस लिहाज से केंद्र सरकार आने वाले समय में बैंकों में पूंजी डालने के लिए इस बॉन्ड का इस्तेमाल करती है तो उसे अपने राजकोषीय गणित पर दोबारा विचार करना होगा।
बैंक में पूंजी डालने की प्रक्रिया के तहत केंद्र सरकार सरकार नियंत्रित बैंकों की तरजीही पूंजी खरीदती है और उसी रकम से संबंधित बैंक ब्याज अर्जित करने वाले बॉन्ड खरीदता है। इस प्रक्रिया में अलग से नकदी की जरूरत नहीं होती है और अंत में खरीदे गए और बेचे गए बॉन्ड का मिलान किया जाता है। सरकार द्वारा 11 दिसंबर 2020 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार पीऐंडएसबी के मामले में केंद्र ने ब्याज अर्जित करने वाले बॉन्ड से इतर शून्य ब्याज वाले बॉन्ड जारी किए हैं। इस कदम से सरकार को राहत मिली होगी क्योंकि ऐसे बॉन्ड पर सरकार को सालाना ब्याज नहीं देना पड़ता है। वर्ष 2030 से 2035 के बीच परिपक्व होनी वाली ब्याज रहित पांच प्रतिभूतियां 14 दिसंबर को जारी की गई हैं। इस बॉन्ड में निवेश की प्रकृति कुछ इस तरह है कि पीऐंडएसबी को परिपक्वता पर ही या एकमुश्त भुगतान पर ही 5,500 करोड़ रुपये मिलेंगे।
एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ‘बैंक को निवेश डिस्काउंट के साथ दिखाना होगा न कि 5,550 करोड़ रुपये पर। इस लिहाज से यह नहीं कहा जा सकता कि बैंक में 5,500 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी क्योंकि आखिर में बॉन्ड का मिलान किया जाता है।’ बैंक में पूंजी डालने के लिए अब तक केवल ब्याज अर्जित करने वाले बॉन्ड ही जारी किए गए हैं। केंद्रीय बैंक ने बॉन्ड को परिपक्वता अवधि पूरी होने तक रखने की इजाजत दी थी, लेकिन निवेश का वास्तविक मूल्य सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक)से किया जा सकता था। शून्य ब्याज वाले बॉन्ड के साथ ऐसी बात नहीं है। इतना ही नहीं, पीऐंडएसबी के मामले में शून्य ब्याज वाले बॉन्ड की गैर-तरलता पर भी विचार करना होगा।