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RBI का बड़ा एक्शन! इस कोऑपरेटिव बैंक का बोर्ड 12 महीने के लिए किया भंग, सभी बैंकिंग गतिविधियों पर रोक

हालांकि रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंक पर लगाए गए इन प्रतिबंधों को बैंकिंग लाइसेंस निरस्त करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। 

Last Updated- February 14, 2025 | 10:11 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के बोर्ड को 12 महीने के लिए शुक्रवार को भंग कर दिया। रिजर्व बैंक ने इस अवधि में बैंक के कामकाज के प्रबंधन के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्रीकांत को इसका प्रशासक नियुक्त किया है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने प्रशासक को दायित्वों में मदद करने के लिए सलाहकार समिति भी नियुक्त की है। इस समिति में एसबीआई के पूर्व महाप्रबंधक रवींद्र सपरा और अभिजीत देशमुख शामिल हैं। 

रिजर्व बैंक ने गुरुवार को इस सहकारी बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया था। बैंक को केंद्रीय बैंक की पूर्व स्वीकृति के बगैर ऋण और उधारी राशि देने या उसके नवीनीकरण, निवेश करने, किसी भी देनदारी को स्वीकारने – जिसमें कोष का उधार लेना – और नई राशि जमा करने सहित अन्य कार्रवाइयों से प्रतिबंधित किया गया है। यह फैसला हालिया घटनाक्रम में पर्यवेक्षी चिंताओं के मद्देनजर किया गया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले का उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना है।

इसके अलावा रिजर्व बैंक ने बैंक को किसी भी बचत खाते या चालू खाते या निवेशक के किसी भी खाते से धन निकालने की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया है। हालांकि बैंक को जमा के स्थान पर ऋण का समायोजन करने की अनुमति दी गई है। रिजर्व बैंक ने इस बैंक कर्मचारियों के वेतन, किराया, बिजली बिल आदि चुनिंदा आवश्यक मदों के संबंध में व्यय करने की अनुमति भी दी है। ये प्रतिबंध बैंक पर छह माह के लिए जारी रहेंगे। रिजर्व बैंक के अनुसार बैंक पर लगाए गए इन प्रतिबंधों को बैंकिंग लाइसेंस निरस्त करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। 

केंद्रीय बैंक ने बताया, ‘बैंक वित्तीय स्थिति बेहतर होने तक इन चुनिंदा प्रतिबंधों के साथ कारोबार करना जारी रखेगा। बैंक की स्थिति पर रिजर्व बैंक नजर रखेगा और स्थितियों व निवेशकों के हितों के अनुरूप निर्देशों में संशोधन सहित आवश्यक कार्रवाई करेगा।’

इस बैंक ने पूंजी पर्याप्तता के भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंडों का उल्लंघन किया है। वित्त वर्ष 24 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार 31 मार्च, 2024 को बैंक की पूंजी पर्याप्तता 9.06 फीसदी थी जबकि रिजर्व बैंक के मानदडों के अनुसार यह न्यूनतम 10 फीसदी होनी चाहिए।  

इस शहरी सहकारी बैंक ने मार्च 2024 (वित्त वर्ष 24) की समाप्ति पर 22.77 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान दर्ज किया। हालांकि बैंक ने बीते वर्ष (वित्त वर्ष 23) के 30.74 करोड़ रुपये के शुद्ध नुकसान को कम किया।

बैंक से दिए जाने वाले ऋण भी सालाना आधार पर 11.66 फीसदी कम हो गए। बैंक से दिए जाने वाले ऋण मार्च, 2024 में 1,174.84 करोड़ रुपये थे जबकि यह मार्च, 2023 में 1,329.88 करोड़ रुपये थे। बैंक में जमा मार्च, 2024 में सालाना आधार पर 1.26 फीसदी बढ़कर 2,436.37 करोड़ रुपये हो गए थे जबकि यह 31 मार्च, 2023 को 2,405.86 करोड़ रुपये थे। मार्च, 2024 की समाप्ति पर कुल जमा राशि में बचत जमा 27.95 फीसदी, चालू खाते की जमा राशि 4.23 फीसदी और सावधि जमा राशि 67.82 फीसदी थी।   

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार सहकारी बैंकिंग ढांचे में शहरी सहकारी बैंक (यूसीबी) और ग्रामीण ऋण सहकारी बैंक (आरसीसी) हैं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार देश में 1,472 यूसीबी और 1,07,961 आरसीसी हैं। 

1990 के दशक में उदार लाइसेंस नीति के कारण यूसीबी की संख्या में इजाफा हुआ लेकिन बीते कुछ वर्षों में नए लाइसेंस वाले एक तिहाई बैंक वित्तीय रूप से घाटे में चले गए। रिजर्व बैंक ने 2004-05 से समेकन की प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया में घाटे में चल रहे यूसीबी को व्यवहार्य समकक्षों के साथ जोड़ा गया। 

इससे गैर व्यवहारिक इकाइयां बंद हुईं और जारी नए लाइसेंस निलंबित किए गए। इन कार्रवाइयों का परिणाम यह हुआ कि बीते दो दशकों में यूसीबी की संख्या 1,926 से घटकर 1,472 हो गई। 

इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2005 के बाद 156 विलय हुए जिसमें वित्त वर्ष 24 के छह विलय भी शामिल हैं। इनमें से महाराष्ट्र में तीन, तेलंगाना में दो और गुजरात में एक विलय हुआ था।

First Published - February 14, 2025 | 10:07 PM IST

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