भारतीय रिजर्व बैंक ने नियमन के तहत आने वाली इकाइयों (RE) के साथ लेनदेन में लगे राजनीतिक संपर्क रखने वाले व्यक्तियों (Politically Exposed Persons-PEP) की श्रेणी के लिए ‘अपने ग्राहकों को जानें’ (KYC) के मानदंड को बेहतर किया है। इसका उद्देश्य ऐसे ग्राहकों के बारे जानकारी को बेहतर करना है।
RBI ने कहा कि PEP ऐसे व्यक्ति हैं जो देशों सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ सरकारी या न्यायिक या सैन्य अधिकारी, राज्य के स्वामित्व वाले निगमों के वरिष्ठ अधिकारी और महत्वपूर्ण राजनीतिक दल के पदाधिकारी हैं या उन्हें इनके द्वारा प्रमुख सार्वजनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
RBI ने नियमन के तहत आने वाली इकाइयों (RE) को भेजे संदेश में बताया कि इस कदम से ‘कस्टमर ड्यू डिलिजेंस’ (CDD) यानी ग्राहकों की जांच-पड़ताल के बारे में स्पष्टता की उम्मीद है।
RE के पास यह विकल्प होता है कि वे पीईसी के साथ संबंध (बतौर ग्राहक या लाभार्थी) रखें। RE को सामान्य तौर पर अपने ग्राहक को जानना होता है। इसके अलावा RE को RBI के मानदंड के तहत पीईपी से लेनदेन की स्थितियों को पूरा करना होता है।
इन अतिरिक्त स्थितियों में उचित जोखिम प्रबंधन प्रणाली की स्थापना भी करनी होती है। इसके तहत यह तय किया जाता है कि ग्राहक या लाभार्थी पीईपी है।
RE को कोष/संपदा के स्रोत को स्थापित करने के लिए उचित उपाय करने होते हैं। RE को PEP श्रेणी का खाता खोलने के लिए वरिष्ठ प्रबंधन से इजाजत की जरूरत होती है।
धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 में PEP का उल्लेख नहीं है। इसलिए PEP को परिभाषित करना वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की सिफारिशों के अनुरूप भी है। लिहाजा RBI का यह कदम FATF से जुड़े देशों के साथ नियामक कमी को दूर करेगा।
FATF ने अहम जिम्मेदारी संभालने वाले व्यक्ति को PEP के तहत परिभाषित किया है। कई PEP ऐसे महत्त्वपूर्ण पदों पर काबिज हैं जिनसे अवैध धन को वैध बनाने और अन्य अपराध जैसे भ्रष्टाचार या रिश्वतखोरी की जा सकती है।
FATF की वेबसाइट के मुताबिक, ‘FATF ने PEP से जोखिम जुड़ा होने के कारण सिफारिश की है। इसके तहत PEP से कारोबारी संबंध के मामले में AML/CFT की अतिरिक्त सिफारिशें की गई हैं। इन सिफारिशों की प्रकृत्ति निवारक (आपराधिक नहीं) है। इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि सभी PEP आपराधिक गतिविधियों में संलग्न हैं।’