काले धन को सफेद बनाने के काराबोर पर लगाम कसने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सहकारी और क्षेत्रीण ग्रामीण बैंकों से अपना रिपोर्टिंग मैकेनिज्म दुरुस्त करने को कहा है ताकि इस तरह के संदिग्ध लेन-देन को पकड़ा जा सके।
इसकी शुरुआत में ये बैंक प्रत्येक ग्राहक का जोखिम के आधार पर प्रोफाइल तैयार करेंगे। दूसरा वह, इस तरह का साफ्टवेयर लगाएगा जो रिस्क प्रोफाइल से अधिक का लेन-देन होने पर बैंक को अलर्ट करेगा। ये कदम आतंकियों को हासिल होने वाले धन को लेकर व्याप्त चिंताओं के मद्देनजर उठाए जा रहे हैं।
केंद्रीय बैंक चाहता है कि सहकारी और ग्रामीण बैंक 10 लाख से अधिक के लेन-देन और संदिग्ध ट्रांजेक्शन रिपोर्ट (एसटीआर) फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफयूआई) को दें। रिजर्व बैंक ने इस माह जारी अपने सर्कुलर में कहा है कि ये बैंके ये रिपोर्ट उस स्थिति में भी पेश करें, जबकि उनकी सारी शाखाएं कंप्यूटरीकृत न हों। इस रिपोर्ट के प्रभारी कार्यकारी की यह जिम्मेदारी होगी कि वह इस तरह के ट्रांजेक्शन की जानकारी लेकर यह रिपोर्ट एफयूआई को दें।
सर्कुलर में आगे कहा गया है कि अगर किसी ट्रांजेक्शन में जाली भारतीय मुद्रा का उपयोग किया हो तो उसकी रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। इस तरह के ट्रांजेक्शन में शामिल उन लोगों के नाम भी देना होंगे जो इन अहम दस्तावेजों की जालसाजी में शामिल होगा। केंद्रीय बैंक ने बैंकों को सलाह दी है कि वे इस तरह के असामान्य ट्रांजेक्शन पर निगाह रखे। उसने बैंकों को चेतावनी दी है कि ग्राहकों को इस बात की भनक नहीं लगनी चाहिए कि उनके इन असमान ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट एफआईयू को भेजी जा रही है। हो सकता है कि भनक मिलने पर वे इस तरह के लेन-देन न करें।
बैंकों से मिली रिपोर्ट पर एफबीआई, एफयूआई मिलकर यह पड़ताल करेंगे कि कहीं इस तरह से हासिल धन का उपयोग गलत कामों में तो नहीं हो रहा है। केंद्रीय बैंक ने इन बैंकों के लिए तय किए गए रिपोर्टिंग मानकों में उन बातों का उल्लेख किया है जो आतंकवादियों की होने वाली फंडिंग को रोकने की वैश्विक पहल में शामिल है। भारत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) का एक सदस्य है जो मनीलाँड्रिग रोधी एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है।