भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को 2 वैरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) नीलामी की। दोनों 50,000-50,000 करोड़ रुपये की थीं। बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के परिणाम गुरुवार को आने वाले हैं, उसके पहले बैंकिंग व्यवस्था में बढ़ी नकदी को कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है।
पहली नीलामी में बैंकों ने अधिसूचित राशि की करीब दोगुनी बोली लगाई, और रिजर्व बैंक को 50,000 करोड़ रुपये अधिसूचित राशि की जगह 96,093 करोड़ रुपये की बोली मिली है।
बहरहाल दूसरी नीलामी में बैंकों ने 6.49 प्रतिशत भारित औसत दर पर सिर्फ 11,829 करोड़ रुपये डाले हैं। बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि उल्लेखनीय रूप से नकदी की कमी के बीच स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिसिली (एसडीएफ) में धन जमा किए जाने पता चलता है कि बैंकिंग व्यवस्था के भीतर नकदी का वितरण असमान है।
रिजर्व बैंक ने मंगलवार को पहली बार एक दिन में 2 वीआरआरआर नीलामी का आयोजन किया था।
बहरहाल सरकार द्वारा व्यय किए जाने से बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की कमी की स्थिति लगातार कम हो रही है, भले ही केंद्रीय बैंक इन नीलामियों के माध्यम से नकदी खींच रहा है।
मंगलवार को नकदी की कमी 1 लाख करोड़ रुपये थी। यह 24 जनवरी को रिकॉर्ड 3.46 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई थी, जब बड़े पैमाने पर कर भुगतान के लिए निकासी हुई थी।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘वे नहीं चाहते कि धन एसडीएफ में जाए। कल दूसरी नीलामी में प्रतिक्रिया बेहतर थी, क्योंकि रिजर्व बैंक द्वारा कुछ जानकारी मांगी गई थी कि बैंक कम दर पर एसडीएफ में पैसे डालना क्यों पसंद कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘वे नकदी घटा रहे हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि यील्ड कमजोर हो क्योंकि महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी भी जारी है।’
केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को वीआरआरआर नीलामी की थी, क्योंकि मनी मार्केट रेट घटकर रीपो रेट के नीचे आ गया था। उल्लेखनीय है कि भारित औसत कॉल रेट बुधवार को 6.48 प्रतिशत था, जो मौजूदा रीपो रेट 6.50 प्रतिशत से थोड़ा ही कम था।
बाजार के हिस्सेदार अब मौद्रिक नीति समिति की बैठक के परिणाम पर नजर बनाए हुए हैं, जिससे मौजूदा नकदी की स्थिति को लेकर आगे के दिशानिर्देश मिल सकेंगे।