भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को संकटग्रस्त लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के संभावित अधिग्रहण के लिए तैयार रहने को कहा है। अगर क्लिक्स कैपिटल के साथ एलवीबी की प्रस्तावित बातचीत बेनतीजा साबित हुई तो उस सूरत में पीएनबी को आगे आना पड़ सकता है। आरबीआई ने पीएनबी के अलावा दूसरे सरकारी बैंकों को भी एलवीबी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कमर कसने को कह दिया है।
पीएनबी के एक शीर्ष सूत्र के अनुसार शुक्रवार को एक के बाद एक घटनाओं ने पूरा मामला ही पलट दिया, जिसके बाद आरबीआई ने बैंक को तैयार रहने के लिए कह दिया। सबसे पहले शेयरधारकों के एक समूह ने एलवीबी के सात निदेशकों के दोबारा चयन का प्रस्ताव खारिज कर दिया। इसके बाद बैंक ने रविवार को रोजमर्रा का परिचालन संभालने के लिए निदेशकों की एक समिति नियुक्त कर दी है। पीएनबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैंक को दूसरे वाणिज्यिक बैंकों को साथ लाने का पहले से ही अनुभव है। अधिकारी ने कहा, ‘ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) और यूनाइटेड बैंकों के विलय से देश के उत्तरी एवं पूर्वी भागों में पीएनबी की पैठ खासी बढ़ी है। पूरे देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बैंक को दक्षिण भारत में भी बड़े स्तर पर अपनी मौजूदगी दर्ज करानी होगी।’ हालांकि अधिकारी ने भी स्पष्ट कर दिया कि एलवीबी को लेकर फिलहाल पुख्ता तौर पर कुछ तय नहीं हो पाया है। वर्ष 2003 में पीएनबी ने केरल के एक लघु निजी बैंक नेडुंगडी बैंक का अधिग्रहण कर लिया था। इस अधिग्रहण से पीएनबी को केरल के तेजी से बढ़ते बाजार में मौजूदगी दर्ज कराने में मदद मिली थी। हालांकि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में पीएनबी की सीमित उपस्थिति है। अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि अब एलवीबी के अधिग्रहण से यह कमी संभवत: पूरी हो जाएगी।
एलवीबी पर उस समय संकट में फंस गई जब इसके शेयरधारकों ने सांविधिक अंकेक्षक एवं शाखा अंकेक्षकों की नियुक्ति को अपनी मंजूरी नहीं दी। बैंक के शेयरधारक क्लिक्स के साथ विलय के खिलाफ थे। दिलचस्प बात यह है कि आरबीआई ने एलवीबी को मुश्किलों से उबारने के लिए इस वर्ष के शुरू में ऑडिटर की नियुक्त पर अपनी मुहर लगा दी थी। शेयरधारकों ने निदेशक नामित करने का प्रस्ताव भी स्वीकार नहीं किया।
जिन शेयरधारकों ने निदेशकों की नियुक्ति का प्रस्ताव खारिज कर दिया, उनमें श्रेय कैपिटल और इंडियाबुल्स फाइनैंस शामिल थे। एलवीबी में श्रेय कैपिटल की 3.4 प्रतिशत और इंडियाबुल्स फाइनैंस की 5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। पहले एलवीबी के साथ इंडियाबुल्स फाइनैंस के विलय की बात चल रही थी, लेकिन आरबीआई ने इसकी इजाजत नहीं दी। पिछले साल नवंबर में आरबीआई ने एलवीबी को उसके खिलाफ दूसरी इकाइयों से आने वाले दावों से संभावित नुकसान की भरपाई के लिए कुछ रकम अलग रखने के लिए कहा था।
