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एमपीसी में नए सदस्य दरें रह सकती हैं यथावत

Last Updated- December 14, 2022 | 11:03 PM IST

सरकार ने सोमवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बाहरी सदस्यों के तीन रिक्त पद भर दिए। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि समिति के सदस्य बुधवार से शुक्रवार तक बैठक कर किसी नीतिगत फैसले पर पहुंच सकते हैं।
सरकार ने भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद के प्रोफेसर जयंत वर्मा, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य आशिमा गोयल और नैशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च के वरिष्ठ सलाहकार शशांक भिडे को एमपीसी के बाहरी सदस्यों के रूप में नियुक्त किया है।
ये तीन पद 22 सितंबर को पूर्व सदस्यों पम्मी दुआ, चेतन घाटे और रवींद्र ढोलकिया के अपने पद से हटने के बाद खाली हैं। हालांकि असल में तो पूर्व सदस्यों ने अगस्त की मौद्रिक नीति बैठक के बाद ही अपने पद छोड़ दिए थे, लेकिन सरकार ने उनके उत्तराधिकारी नामित करने में देरी की। इसके नतीजतन एक अक्टूबर की मौद्रिक नीति में बदलाव करना पड़ा। अब इसकी तारीख 9 अक्टूबर तय की गई है।
हालांकि सदस्यों की देरी से नियुक्ति के कारण नीति निर्णयों में बहुत बदलाव नहीं आएगा। केंद्रीय बैंक के दरों को अपरिवर्तित रखने के आसार हैं। आरबीआई दरों में कटौती का लाभ लंबी अवधि के बॉन्ड प्रतिफल और बैंक ऋण दरों तक पहुंचने का इंतजार करेगा।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के पोल में सभी 10 भागीदारों ने आरबीआई के दरों को यथावत रखने की संभावना जताई थी। इन भागीदारों में अर्थशास्त्री और बैंक खजांची शामिल थे। ज्यादातर पर्यवेक्षकों का कहना है कि आरबीआई के लिए कम से कम इस कैलेंडर वर्ष में दरों में और कटौती की वजह खत्म हो चुकी हैं। एमपीसी बजट के गणित और राजकोषीय घाटे के आंकड़ों को देखने के बाद ही कोई फैसला ले सकती है। इस समय दरों में कटौती से ज्यादा फायदा नहीं होगा क्योंकि पिछली कटौतियों का लाभ ही आगे नहीं पहुंच पाया है।
इसके बजाय केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि और रियायतें आगे दी जाएं। आरबीआई का तरलता बढ़ाने पर लगातार जोर रहेगा ताकि बॉन्ड प्रतिफल कम हो और सरकार को सस्ती दरों पर उधारी में मदद मिले। नए एमपीसी सदस्य भी यथास्थिति बरकरार रखना चाहेंगे क्योंकि उनके पास पर्याप्त मूल शोध तैयार नहीं होने के आसार हैं। इसकी वजह यह है कि उन्हें अपनी नियुक्ति के एक दिन बाद नीतिगत बैठकों में शामिल होने के लिए कहा गया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि वर्ष 2016 में एमपीसी की शुरुआती कुछ बैठकों में सभी सदस्यों ने सर्वसम्मत फैसले लिए थे, इसलिए नई एमपीसी में भी ऐसा ही रुझान दिख सकता है।
समिति में आरबीआई के गवर्नर समेत तीन पदेन सदस्य हैं, जबकि तीन सदस्य बाहरी हैं। अगर मत बराबर रहते हैं तो गवर्नर अतिरिक्त निर्णायक मत डाल सकते हैं।

First Published - October 6, 2020 | 10:58 PM IST

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