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एमपीसी ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया

Last Updated- December 11, 2022 | 8:05 PM IST

अपनी पिछली नीतिगत घोषणाओं के बाद से बदले भूराजनीतिक घटनाक्रम के बीच शुक्रवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने खुदरा कीमत मुद्रास्फीति के लिए अपना अनुमान बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया, जो 6 प्रतिशत के उसके ऊपरी स्तर के नजदीक है। पिछली नीतिगत समीक्षा में 4.5 प्रतिशत अनुमान के मुकाबले मौजूदा वित्त वर्ष के लिए यह अनुमान बढ़ाया गया है।
मुद्रास्फीति पर अनुमान अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के भारतीय स्तर के अनुमानों पर आधारित था। इस संबंध में किसी तरह के दबाव से मुद्रास्फीति में और तेजी आएगी।
इसके अलावा, आरबीआई की समिति ने अपने फरवरी के नीतिगत अनुमानों के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्घि अनुमान 60 आधार अंक घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया।
हालांकि इससे सामान्य जीडीपी वृद्घि बढ़कर 12.9 प्रतिशत पर पहुंच सकती है, जो बजट में जताए गए 1.1 प्रतिशत के अनुमान से काफी ज्यादा है। इससे वित्त वर्ष 2023 के लिए सरकार के संसाधन जुटाने के संबंध में कुछ सकारात्मक खबरें सामने आ सकती हैं, लेकिन बजट अनुमान के मुकाबले ज्यादा मुद्रास्फीति से खासकर उर्वरक और भोजन पर सरकार का सब्सिडी बोझ भी बढ़ जाएगा।
वित्त मंत्री द्वारा यह कहे जाने के बाद एमपीसी के नए अनुमान सामने आए हैं कि अर्थव्यवस्था को रूस-यूक्रेन हमले की वजह से पैदा हुए संकट के कारण दोहरी चुनौती (वृद्घि धीमी पड़ सकती है जबकि मुद्रास्फीति ऊंची बनी रह सकती है) का सामना करना पड़ा है।
हालांकि वित्त मंत्रालय सामान्य जीडीपी वृद्घि के अपने बजट अनुमान में बदलाव लाने को इच्छुक नहीं दिख रहा है।
वित्त मंत्रालय के एक प्रमुख अधिकारी ने कहा कि सामान्य जीडीपी वृद्घि अनुमानों में संशोधन करना जल्दबाजी होगी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘वर्ष अभी शुरू ही हुआ है और अब सामान्य जीडीपी अनुमानों में बदलाव लाने की जरूरत होगी। हम नहीं जानते कि तेल कीमतें अब तीन या छह महीने में कैसी रहेंगी।’
वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के लिए एमपीसी के नए अनुमान 6 प्रतिशत के ऊपरी स्तर को पार कर जाएंगे। हालांकि फिलहाल कोई ठोस अनुमान नहीं हे, लेकिन शेष तिमाहियों में चालू वित्त वर्ष में कम से कम पांच प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर्ज की जाएगी।
इससे आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास को इस बारे में एक संवाददाता सम्मेलन बुलाने की जरूरत महसूस हुई कि केंद्रीय बैंक ने अब मुद्रास्फीति को प्राथमिकता दी है और फिर अपने मौद्रिक नीतिगत हस्तक्षेपों के जरिये वृद्घि पर जोर दिया है।
महामारी फैलने से ठीक पहले, आरबीआई का प्राथमिक क्रम संबंधित दृष्टिकोण सबसे पहले वृद्घि को समर्थन देना और उसके बाद खुदरा मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करना था।
केंद्रीय बजट में सिर्फ सामान्य जीडीपी वृद्घि का अनुमान जताया गया है। हालांकि 2021-22 की आर्थिक समीक्षा में अनुमान जताया गया था कि वित्त वर्ष 2023 की वास्तविक जीडीपी वृद्घि 8-8.5 प्रतिशत थी।

First Published - April 8, 2022 | 11:55 PM IST

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